कानपुर, स्वप्निल तिवारी। पिछले महीने और उससे पहले भी शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग ही नहीं बल्कि शहर के अन्दर भी सड़कों पर कई खतरनाक हादसे हो चुके हैं जिसमें कई लोगों की जाने भी जा चुकी है लेकिन प्रशासन इस ओर अभी भी गंभीरता नहीं बरत रहा है। कुछ स्थानों को ब्लैक लिस्टेड करने के बाद भी आज तक कोई पुख्ता समाधान नही निकाला जा सका है हालांकि अधिकारियों को इस बात का ध्यान भी है लेकिन अभी तक इस ओर कोई मजबूत कदम उठता प्रतीत नही हो रहा है।
शहर में तथा हाइवे पर कई खतरनाक कट है जो हादसों का कारण बन चुके हैं और यहां प्रतिदिन छोटे-बडे हादसे घटित होते हैं। वहीं रामादेवी फ्लाई ओवर लखनऊ इटावा हाईवे को भी शुरू हुए लगभग डेढ साल हो गया है लेकिन अभी तक रामादेवी से नौबस्ता की ओर जाने वाली सर्विस लेन का निर्माण नहीं हो सकता है। साथ ही एचएएल कालोनी और शक्ति नगर से निकलने वाले वाहनों के लिए भी कोई रास्ता नहीं है और इसी प्रकार एनएचएआई का और न ही जिला प्रशासन का ही इस ओर ध्यान जा रहा है। रामादेवी चैराहा अति व्यस्त चैराहा है और यहां से कानपुर लखनऊ, फतेहपुर, दिल्ली की रोड है, यहां की दशा भी बदहाल है, अव्यवस्था ऐसी की किस वाहन को किस ओर जाना है। चालक भ्रमित हो जाता है। फिलहाल अधिकारी हर बार एक माह में काम पूरा होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। कुछ स्थानों पर पुल और एकल मार्ग होने के कारण वाहन उल्टी दिशा से आते है जो हादसों का कारण बनते है तो अव्यस्थित दिशा के कारण जाम लगता है। यही हाल रामादेवी से गुजैनी तक का है। बीच में बने कट पर वाहनों के घूमने से जहां हादसों का खतरा बना रहता है तो वहीं जाम की भी स्थिति बनी रहती हैं। आंकडे बताते है कि बीते वर्षो में प्रतिवर्ष दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है वहीं मरने वाले लोगों की भी संख्या बढी है। वही प्रदेश में दुर्घटनाओं से बचने के लिए कइ्र बार शोध हुए और नीतिया भी बनी लेकिन सडकों की वजह से होने वाले हादसों में कोई कमी नहीं आई। इसके साथ ही हाइवे पर जिन स्थानों पर कट लगे हुए है वहां पर डिवाइडर घिस चुके है, संकेत भी मिट चुके है ऐसे में बडे वाहन चालकों को दूर से कट समझ नही आता और दुघर्टनायें हो जाती है।