Monday, November 25, 2024
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निराकारी, निर्विकारी, निरंहकारी स्थिति व्यवहार में लाने वाला ही योगी

हाथरसः जन सामना संवाददाता। जहाँ एक ओर भक्त गाते हैं तन, मन, धन सब कुछ तेरा क्या लागे मेरा लेकिन जब व्यवहार में आते हैं तो सब कुछ मेरा हो जाता है। लेकिन ब्रह्मा बाबा ने एक बार अपना सब कुछ ईश्वर अर्पण करने के बाद निमित्त बनकर पार्ट बजाया। परमात्मा शिव के महावाक्यों को नष्टोमोहा स्मृतिलब्धा करके दिखाया। अपने परिजनों में से किसी को संगठन में मुखिया नहीं बनाया। आज किसी गुरू के आसन पर बैठने की हिम्मत कोई नहीं करता, लेकिन ब्रह्मा बाबा ने गुरू न होकर पिता का धर्म निभाया निरंहकारी तो इतने थे कि अपने आसन पर भी ब्रह्मावत्सों को बिठा दिया करते थे, ऐसा करते-करते वे जगतपिता प्रजापिता ब्रह्मा बन गये। यह उद्गार अलीगढ़ रोड स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आनन्दपुरी केन्द्र पर विश्व शान्ति दिवस के अवसर पर राजयोग शिक्षिका बी.के. शान्ता बहिन ने अनेक गीतपाठशालाओं से पधारे ब्रह्मावत्सों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। दोपहर के सत्र को सम्बोधित करते हुए बी.के. कैप्टन अहसानसिंह ने कहा कि जो सच्चाई से सत्यम शिवम सुन्दरम को अपना बना लेते हैं उनके जीवन का खिवैया परमात्मा शिव स्वयं हो जाते हैं। सत्य मार्ग पर चलते हुए विघ्न तो आते हैं लेकिन उनकी जीवन रूपी नैया कभी डूब नहीं सकती। राजयोग के संदर्भ में उन्होंने कहा कि राजयोग मन की शुद्धिकरण की वह प्रक्रिया है जिसके नियमित अभ्यास से मनुष्यात्मा के एक ही जन्म के नहीं लेकिन जन्म-जन्मांतर के दूषित संस्कार उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जिस प्रकार से अग्नि में सोने को डालने पर उसकी गन्दगी बाहर निकल जाती है। उन्होंने कहा कि आज स्वयं को भगवान कहलाने वालों की कोई कमी नहीं है, लेकिन ब्रह्मा बाबा ने कभी स्वयं के लिए ऐसा नहीं बोला कि मैं भगवान हूँ उन्होंने सदैव एक परमात्मा शिव की ओर ही इशारा करते हुए  कहा कि बच्चे-भगवान तो एक ही शिव बाबा है जो कि सभी के परमपिता हैं। कोई भी जन्म-मरण के चक्र में आने वाला कोई भी देहधारी कभी परमात्मा नहीं हो सकता। तीन सत्रों में आयोजित कार्यक्रम में प्रथम प्रातःकालीन सत्र में नियमित ब्रह्मावत्सों ने प्रातःकाल राजयोग का अभ्यास किया। द्वितीयसत्र में हाथरस जंक्शन, तोछीगढ, बरसै, हर्दपुर, हेमानगला, बसैली, फॅरौलरी, रामपुर, चंदपा, रूहेरी सासनी, रमनगला, नगला अलिया, जसनारा, गोपालपुर आदि गाँव-गाँव की गीतापाठशालाओं से आये हुए ब्रह्मावत्सों ने ब्रह्मा बाबा के 48 वें अव्यक्त दिवस पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये।