वतन पर मर मिटेंगे हम कसम ये आज खाते हैं।
लगा कर जान की बाजी तिरंगा हम उठाते हैं।
बढ़ाया हर कदम हमने सदा ही साथ में उनके
मगर वो पीठ पर खंजर हमारे ही चलाते हैं।
नहीं करते कभी भी हम बिना सिर पैर की बातें
वचन जो भी दिया हमने सदा उसको निभाते हैं।
किया हर काम हमने आज तक सबकी भलाई का
सफलता ही मिले सब को नहीं रोड़ा अड़ाते हैं।
यहाँ ‘संजय’ तुम्हारी बात पर जिनको भरोसा है
चलेंगे साथ वो ही जान जो तुम पर लुटाते हैं।