इटावा, राहुल तिवारी। इटावा .कचहरी रोड स्थित दीक्षित निवास पर आज तीन दिवसीय श्रीकृष्ण कथा का शुभारंभ करते हुए वृन्दावन धाम के रसिक आचार्य डा0 पं0 विजयकृष्ण चतुर्वेदी ने युगल गीत में वंशी की महिमा बताते हुए कहा कि भगवान का अपने भक्त के प्रति जो प्रेम, उदारता और कृपालुता है, वंशी उसी की प्रतीक है। इससे पूर्व कथा के आयोजक डा0 अशोक दीक्षित एवं श्रीमती सुनीता दीक्षित ष्श्यामाष् ने व्यासगद्दी का पूजन कर भगवान की आरती की। डा0 चतुर्वेदी ने आगे कहा कि श्रीमद भागवत में आये कुल पाँच गीतों में युगलगीत भी बड़ा मनोरम और महत्वपूर्ण है। कृष्ण को वंशी इतनी प्रिय है कि वे इसे अधरों पर रखतें हैं। और जब सोते हैं तब भी वंशी उनके साथ रहती है। वंशी बजाने में उनकी जो विभिन्न भाव भंगिमाएं बनती है, वे उनके भक्तों की विभिन्न परिस्थितियों के आधार पर होती है। भक्त जब प्रारब्धवश कष्ट में होता है तो उन्हें क्रोध भी आता है, लेकिन फिर वे उसका निवारण भी करते हैं। उन्होने कहा कि कर्मान कर्षयेति, इति कृष्ण, अर्थात जो बुरे कर्मो को खींचकर जीव को पवित्र बनाकर अपने चरणों में स्थान दे दें, वह कृष्ण है। अक्रूर स्तुति के बारे में बताते हुए डा0 विजय कृष्णजी ने कहा कि नवधा भक्ति में केवल स्मरण भक्ति अपनाकर ही अक्रूरजी इस भक्ति के आचार्य बन गये। उन्होनें कृष्ण के निराकार व साकार दोनों रूपों की स्तुति की। इसके अलावा उन्होंने केशी दानव व अरिष्टासुर वध की कथा, कृष्ण के मथुरागमन के प्रसंगए भी सुनाये। अंत में डा0 अशोक दीक्षित, सुनीता दीक्षित श्यामा ने आरती की। बाबू जमुनादास अग्रवाल, शिवकिशोर दीक्षित एड0, आलोक दीक्षित, डा0 आशीष दीक्षित, भुवनेश पाण्डेय, अजेय अभीष्ट, रमाकान्त त्रिपाठी, श्याम सिंह, मनोज, सदन. अजय उपस्थित रहे।