फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक शक्ति की आराधना के नौ दिन। प्रकृति माॅ के नौ रूपों को समझने व साधने के नौ दिन , प्रतिपदा का दिन नवसम्वत्सर के रूप में मनाया जाता हैं। क्यो कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन हुआ , हमारी आर्य संस्कृति या वैदिक संस्कृति में इस दिन को ही नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है, और रही कारण है कि पतंजलि योग पीठ द्वारा इन दिन को नारी शक्तिकरण के रूप में मनाया जाता हैै। ब्रहा्रण्ड की सारी दिव्यताएॅ धनीभूत मातृशक्ति में अवतरित है। सत्य, अहिंसा, प्रेम करूणा, वात्सल्य सेवा, सहानुभूति, सहजता सहिष्णुता, सन्तोष समर्पण धैर्य उत्साह पराक्रम, त्याग ज्ञान, भक्ति एव पुरूषार्थ की पराकाष्ठा है।
नारी भगवान की जीवन्त दृश्य मूर्त , सगुण साकार एक दव्यि अभिव्यक्ति है। नारी की इसी दिव्यता और भव्यता को पुनः समाज में स्थापित करने का कार्य प्रत्येक स्तर पर महिला पतंजलि योग समिति के साधक बहिनों भाइयों द्वारा किया जा रहा है। भारत का प्रत्येक नागरिक दिन का शुभारम्भ योग से करे जिससे वह शरीरिक मनासिंक रूप् से निरोगी हो। वेदानुसार अग्निहोत्र हवन हो जिससे प्रकृति माता धरती माता स्वस्थ हो सके। कार्यक्रम के दौरान छोटे -छोटे योग के छात्रों ने प्रर्दशन किया। इस मौके पर महिला पतंजलि योग समिति की प्रभारी सीमा आर्य, अर्चना, मोहिनी, गुंजन, पूजा, दुर्योधन अमन भाई यतेन्द्र, प्रर्मिला सरोज, पून एंजिला, मनोज आदि समिति के लोग मौजूद रहे।