हाथरस, नीरज चक्रपाणि। जिस घर में संतो का आदर नहीं होता वह घर शमशान के समान है। संसार में सुख प्रत्येक व्यक्ति चाहता है, लेकिन दुख कोई नहीं चाहता। साधु की आप सुरक्षा करते है तो साधु भी आपको पाप-कर्म से बचाता हैं। मंदिर में प्रतिदिन पूजा अर्चना करने वाले लोग यह समझते है कि उनके पुण्य का उदय हो गया हैं। प्रभु से यह कोई नहीं मांगता कि प्रभु तेरे अंदर जो गुण है वह मेरे अंदर आ जायें। आचार्य श्री 108 चैत्य सागर जी महाराज नयाबांस स्थित चंदा प्रभु अतिशय क्षेत्र मंदिर पर अपने प्रवास के अंतिम दिन प्रवचन कर रहे थे।
वह हाथरस से शाम के समय सिकन्द्राराऊ के लिए बिहार कर गये। उन्हें हाथरस जंक्शन तक छोडने के लिए सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरूष व बच्चे उनके साथ गये थे। बैण्ड बाजों के साथ उनका जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत करने के अलावा आरती की गई थी।
चैत्य सागर जी महाराज ने कहा कि भगवान बोलते नहीं है वह जानते है, यदि वह बोलेंगे तो श्रावक उनकी बात मानने वाला नहीं हैं। आंख, कान, हाथ-पैर यह शरीर के प्रमुख अंग है लेकिन इनसे हम क्या काम ले रहे है मरने के बाद इस शरीर को कोई छूता भी नहीं हैं और जो छू लेता है उसे स्नान करना पडता हैं। आत्मा की शुद्धि और कल्याण के लिए हमें कार्य करना चाहिए। वनधानी माता जी ने कहा कि सम्राट सिकन्दर ने भी जैन साधु को झुकाने के लिए तमाम प्रयास किये थे और उनके सैनिकों ने जैन साधु से कहा था कि तुम नंगे हो तुम्हारे पास कुछ नही है हमारे सम्राट तुम्हे सब कुछ दे सकते हैं, लेकिन जैन साधु ने कहा कि उनसे बडा सम्राट कोई नहीं है यह बात जब सम्राट सिकन्दर को पता चली तो सम्राट ने पहले तो जैन मुनि को लालच भी दिया था, लेकिन जब वह लालच में नहीं आये तो सम्राट को उनके सामने झुकना पडा था। जिस घर में भाई-बहिन और ननद-भाभी तथा पिता-पुत्र में झगडा होता है वह घर कभी स्वर्ग नहीं हो सकता। कौरव व पाण्डव यूं तो एक दूसरे के दुश्मन थे, लेकिन जब कोई दूसरे देश का राजा आक्रमण करता था तो दोनो एक होकर उसका मुकाबला करते थे। इसी तरह भारत वर्ष के जैन समाज को एकजुट होना होगा।
इस अवसर पर श्री जैन नवयुवक सभा अध्यक्ष उमाशंकर जैन, महामंत्री संजीव जैन भूरा, कोषाध्यक्ष कमलेश जैन, मंत्री सुधीर जैन, नयाबांस बगीची के राजाबाबू जैन, महेश चंद्र जैन, धीरज जैन, कैलाश चंद्र जैन सूत वाले, कैलाश चंद्र जैन, वरिष्ठ पत्रकार लालता प्रसाद जैन, राकेश जैन, सुमत प्रकाश जैन लोहिया, छीतरमल जैन, डा.मोहन लाल जैन, संदीप कुमार जैन, विजय जैन, डिम्पल जैन, पंकज जैन, सिम्पल जैन, सौरभ जैन रानू, अतुल जैन, धन्य कुमार जैन सौगानी, अनूप जैन, संदीप जैन, आयुश जैन, गगन जैन, धर्मेन्द्र जैन, अरून जैन लोहिया, मयंक जैन, विनीत जैन, सुनीत जैन, शैलेन्द्र जैन, सिद्वार्थ जैन, विशाल जैन, सतेन्द्र जैन आदि बडी संख्या में जैन समाज के लोग साथ थे।