Tuesday, November 26, 2024
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निर्देशों की धज्जियां उड़ाकर दौड़ रहे स्कूली वाहन

शिवली/कानपुर देहात, जितेन्द्र कुमार सविता। बच्चों को स्कूल लाने व वापस ले जाने के लिए स्कूल प्रबंधन मिनी बस वैन मैजिक को अनुबंध किया जाता है। इन वाहनों में बच्चों को क्षमता से अधिक बैठाया जाता है वाहन में अधिक बच्चें होने के कारण नौनिहालों की जान हमेशा जोखिम में बनी रहती हैं। वही स्कूली वाहन संचालक नियम नीति निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए मानकों को नजर अंदाज किये हुए हैं। वही आरटीओ व पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी कुम्भकर्णीय नीद में सो रहा है। और शायद बीते वर्षों की तरह किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा हुआ है। शिवली कस्बा सहित विकास खण्ड मैथा क्षेत्र के साथ साथ पूरे जनपद में संचालित छोटे से लेकर बड़े बड़े स्कूल कालेजों में सैकडों मिनी बस, वैन, मैजिक, विक्रम, टैम्पों बच्चों को स्कूल ले जाने व् वापस घर लाने के लिए चल रही हैं। काफी संख्या में स्कूली बसे, वैन व मैजिक बच्चों को सड़कों पर ढो रही हैं। बताते चले कि कुछ स्कूल प्रबंधको ने तो आरटीओ कार्यालय से रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। लेकिन बहुतायत स्कूल प्रबंधक बिना रजिस्ट्रेशन के नियम नीति निर्देशों को धता बताते हुए मौत के सौदागर बने हुए भूसे की तरह बच्चों को भर कर ढो रहे हैं। वही कुछ वाहनों का स्कूलों से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। फिर भी पुलिस की कृपा पर फर्राटे भरते हुए प्राइवेट तौर बच्चों को ढो रहे हैं। वैन, मैजिक व टैम्पो, विक्रम स्वामियों ने सीटे हटाकर बेंच लगा रखी है। भारी भरकम फीस वसूल कर सुविधा विहीन वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चे भरकर खुलेआम ढोये जा रहे हैं। जबकि इन मानक विहीन वाहनों में बच्चों की सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। न तो किसी भी स्कूली बस, वैन मैजिक व टैम्पो विक्रम में अग्नि शमन यंत्र है और न ही फर्स्ट एड बॉक्स मौके पर उपलब्ध हैं। स्कूली बस्ता रखने के लिए भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। फिर भी परिवहन व पुलिस विभाग के आगे चैथ वसूली चढ़ाकर उनके रहमोकरम पर बच्चों को भूंसे की तरह भरकर सरपट फर्राटे भरते हुए मौत को दावत देते हुए नजर आ रहे हैं।
स्कूली वाहनों के क्या है मानकः
शिवली कानपुर देहात। स्कूलों में लगे वाहनों का रंग पीला होना चाहिए और वाहन के दोनों ओर नीले रंग की मोटी पट्टी होनी चाहिए। स्कूली बस में इमरजेंसी गेट व खिड़की के साथ साथ सीटों के नीचे बच्चों के स्कूली बस्ते रखने की व्यवस्था होनी चाहिए सुरक्षा की दृष्टि कोण से अग्निशमन यंत्र व फर्स्ट एड बॉक्स भी निश्चित तौर पर वाहन में उपलब्ध होना चाहिए। एलपीजी गैस किट किसी भी सूरत में नहीं होनी चाहिए। वाहन चालकों को कम से कम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव भी होना चाहिए। स्कूली वाहन की खिड़की के बाहर छड़ लगी होने के साथ वाहन चालक का नाम मोबाइल नंबर, परमिट संख्या वैधता तिथि वाहन के बाहरी हिस्से पर साफ साफ दर्ज होना चाहिए।
स्कूली वाहनों से नहीं हटायी गई बेंचः
शिवली कानपुर देहात। शासन के स्पष्ट निर्देश है कि स्कूली वैन में सीट की जगह बेंच नहीं होनी चाहिए उनके स्थान पर सीट लगायी जाएं। वैन चालक वाहन में एक दर्जन बच्चों को ठूँस ठूंस कर भरते हैं और साइड में बच्चों के बस्ते टांग देते हैं। कई वैन चालक तो पीछे का दरवाजा खोल लेते हैं। शासन के निर्देशों के बाबजूद भी हठीले वैन स्वामियों ने स्कूली वैनों से सीट की जगह लगी बेंचों को आज तक नही हटाया है।