Tuesday, November 26, 2024
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जल संबंधी मुद्दे अब हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए- यू.पी.सिंह

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सरंक्षण सचिव श्री यू.पी. सिंह ने देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या के खबरों के बीच आम बातचीत और समाज में जल संबंधी मुद्दों को पर्याप्त स्थान न मिलने पर चिंता व्यक्त की है। श्री सिंह ने कहा कि दूरसंचार और ऑटो मोबाइल सेक्टर में नए उन्नति की खबरें तुरंत सबके बीच आ जाती है लेकिन पानी जोकि सभी प्रकार के जीवन का मुख्य स्रोत और हमारी अहम आवश्यकता है, अभी तक समाज के लिए विचार का विषय नहीं बना है। श्री सिंह आज नई दिल्ली में वॉटर डाइजेस्ट द्वारा आयोजित जल का नवीकरण, प्रकृति का नवीकरण-II के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण के कारण जल की गुणवत्ता निरंतर खराब हो रही है और हमारी सभी आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु जल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नई प्रौद्योगिकी का विकास करना होगा।
इस सम्मेलन का आयोजन पानी और उससे जुड़े मुद्दों पर जागरुकता बढ़ाने के लिए किया गया है। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र दीर्घकालीन विकास लक्ष्य (एसडीजी) के अनुरूप पानी के संरक्षण और प्रबंधन के श्रेष्ठ प्रक्रिया पर विचार और प्रदर्शन करने हेतु मंच प्रदान करना है।
केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष श्री मसूद हसन ने इस अवसर पर अपने संबोधन में जल प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे हमारी पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक क्षेत्र के लिए आवश्यकता की पूर्ति होगी। उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत जल का प्रयोग कृषि कार्यों के लिए हो रहा है और लघु सिंचाई, ड्रिप सिचांई के प्रयोग को बढ़ावा देकर हम जल के बेहतर प्रयोग को प्रोत्साहन दे सकते है। सिविल सोसायटी जल संकट के सभी पहलुओं को नहीं समझती और आम जनता को इस संबंध में जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भू-जल का अत्याधिक प्रयोग पर नजर रखने, नदियों के जल को जलाशयो में भेजने, लघु सिंचाई प्रौद्योगिकी और जल को उपयोग हेतु पुन योग्य बनाने और पुन-प्रयोग करना समय की आवश्यकता है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए एनएमसीजी के डीजी श्री राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि हम वास्तव में नदियों की चिंता नहीं करते जबकि हम जानते हैं कि हमारे अस्तित्व के लिए नदियां अति आवश्यक हैं। हमें नदियो के जल-जन्तु, जैव विविधता,पेड-पौधो के संबंध में जागरुकता बढ़ानी होगी, ताकि यह घर-घर में बातचीत का विषय बन सके और हमें नदियों के संदर्भ में अधिक देखभाल की भूमिका निभा सकें। इस सम्मेलन में औद्योगिक, सरकारी क्षेत्र, विकास एजेंसी और संस्थानों के लगभग 150 से अधिक भागीदार शामिल हुए।