कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। कोविड-19 के कारण राष्ट्रव्यापी स्कूल बंद होने के कारण दुनिया भर में 90 प्रतिशत से अधिक छात्रों की शिक्षा बाधित हो गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा में बेहतर परिणाम हेतु यूनिसेफ से मदद ली है। अब प्रदेश के हर एक बच्चे को शिक्षित करने के लिए यूनिसेफ टेलीफिल्म और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से शिक्षा की अलख जगायेगा। प्रदेश सरकार की योजना को यूनिसेफ और समग्र शिक्षा विभाग मूर्त रूप देंगे। लॉकडाउन खुलने के बाद नया सत्र शुरू होने से पहले ये लोग एक एलईडी वैन और नुक्कड़ नाटक टीम शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए रवाना करेंगे। एलईडी पर चल रही टेलीफिल्म और नुक्कड़ नाटक की टीम नाट्य मंचन के माध्यम से ग्रामीणों और बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करेगी। गांव-गांव में बच्चों और उनके अभिभावकों को शिक्षा के फायदे और परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की अच्छी पढ़ाई, अच्छे स्वास्थ्य की दिशा में खेलकूद समेत सभी तरह की अन्य व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देंगे। इससे अधिक से अधिक बच्चे परिषदीय स्कूलों में दाखिला लेंगे।
खंड शिक्षा अधिकारी और शिक्षक करेंगे यूनिसेफ टीम का सहयोग-
जिस ब्लॉक में भी यूनिसेफ की टीम जायेगी वहां के खंड शिक्षा अधिकारी और शिक्षक उनका पूरा सहयोग करेंगे। जिन गांवों के विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम है उन विद्यालयों की सूची खंड शिक्षा अधिकारी यूनिसेफ टीम को उपलब्ध कराएंगे। यूनिसेफ की टीम कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों के गांवों पर विशेष ध्यान देगी।
प्रत्येक ब्लाक के 9 स्थानों पर 3 दिन कार्यक्रम होंगे-
प्रत्येक ब्लाक के 9 स्थानों पर एलईडी वैन टेलीफिल्म दिखायेगी और नुक्कड़ नाटक का मंचन करेगी एक ब्लॉक में टीम 3 दिन तक रुक कर शिक्षा के क्षेत्र में प्रचार-प्रसार करेगी। साथ ही टीम सरकार की योजनाओं के बारे में ग्रामीणों को जागरूक करेगी।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरवनखेड़ा में कार्यरत राजेश बाबू कटियार ने बताया कि सरकार की योजना है कि हर एक बच्चा शिक्षित हो इसलिए समग्र शिक्षा और यूनीसेफ की मदद से यह अभियान शुरू किया जायेगा। उनका यह भी कहना है कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित होने के बाद भी बच्चे घट रहे हैं। अतः बच्चे सरकारी स्कूलों की ओर कैसे प्रेरित हों, कैसे मनोरंजनात्मक तरीकों से पढ़ें आदि योजनाएं संवादों के माध्यम से टेलीफिल्म में दिखाई जायेंगी। इससे बच्चे सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित होंगें व सरकारी स्कूलों की ओर बच्चों का रुझान बढ़ेगा।