कानपुर नगरः जन सामना ब्यूरो। राशनिंग प्रणाली में अनियमितता व भ्रष्टाचार के मामले समय समय पर आते रहे हैं। शिकायत मिलने पर अधिकारियों ने अपने-अपने स्तर से जाँच की और कार्यवाही भी की। राशन में घोटाला ना किया जा सके इस लिये डिजिटाइजेशन किया गया लेकिन राशनिंग प्रणाली में भ्रष्टाचार खत्म नहीं किया जा सका। नतीजन कोटेदार अपनी कोई ना कोई जुगाड़ निकाल कर राशन को हजम करने में सफल होते दिख रहे हैं। हालांकि सभी कोटेदार ऐसा नहीं कर रहे हैं बल्कि शातिर दिमागी कुछ ऐसे कोटेदारों ने राशन को हजम करने का एक ऐसा रास्ता अपनाया है जिसका खुलासा तब होता है जब कोई व्यक्ति अपना राशन कार्ड बनवाने के लिये आवेदन करता है।
जी हाँ इन दिनों कई मामले प्रकाश में आ रहे हैं जिनके द्वारा पता चला है कि उन लोगों के नाम से कोई राशन कार्ड नहीं बना फिर भी उन लोगों के नाम किसी अन्य परिवार के सदस्यों के साथ समाहित कर दिया गया है और उनको पता ही नहीं है कि उनका राशन कोई और उठा रहा है या किसी के द्वारा उठवाया जा रहा है।
बर्रा-6 निवासी दीपेन्द्र सिंह के अनुसार, उन्होंने अपनी पत्नी सुमन का राशन कार्ड बनवाने के लिये एक कैफे गये और आवेदन भरा तो उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी का राशन कार्ड नहीं बन सकता है क्योंकि उनकी पत्नी का नाम व उनका आधार नम्बर किसी अन्य परिवार के सदस्यों के रूप में समाहित है जिस परिवार से दीपेन्द्र का दूर-दूर तक कोई भी नाता रिश्ता नहीं है।
जब दीपेन्द्र इस बारे में जानकारी की तो पता चला कि उनकी पत्नी नाम मे. सीटीआई उप स. लि. सचिव जितेन्द्र कुमार के कोटे से जुडे एक राशन कार्ड में मुखिया के परिवार के सदस्य के रूप में समाहित है। यह देख दीपेन्द्र के होश उड़ गये। उन्होंने ‘जन सामना’ को बताया कि कभी भी राशन लिया ही नहीं जबकि उनके हिस्से का राशन कोई और उठा रहा है। इस बारे में जब कोटेदार जितेन्द्र कुमार से मोबाइल द्वारा सम्पर्क किया तो पहले तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई लेकिन जब उनसे कहा कि मामले की पूरी जानकारी है और उन्हें इस मामले से अवगत कराया तो कुछ देर बाद दुबारा बात करने की बात कही और बोले मैं भी अपने रिकार्ड से जानकारी कर लूं लेकिन उन्होंने दुबारा सम्पर्क नहीं किया।
बर्रा-5 निवासी संतोष कुमार के अनुसार, वह अपनी पत्नी राज कुमारी का राशन कार्ड बनवाने के लिये एक कैफे में गये और जब आवेदन किया तो पता चला कि उनकी पत्नी का नाम किसी अन्य राशन कार्ड में समाहित है। जिससे उनका या उनकी पत्नी का कोई दूर-दूर तक नाता रिश्ता नहीं है जबकि सन्तोष कुमार को जानकारी प्राप्त हुई उसके अनुसार उनकी पत्नी का नाम कोटेदार दूधनाथ के यहां संचालित राशनकार्ड के किसी अनजान परिवार के साथ जोड़कर राशन उठाया जा रहा है।
वहीं सूत्रों की मानें तो महानगर में कई कोटेदारों के यहाँ समाहित इस तरह के राशन कार्ड काफी मात्रा में हैं और उनके द्वारा राशन की उठान की जा रही है। अगर इस मामले की जाँच निष्पक्षता से की जाये तो कई दुकानदारों के यहाँ इस तरह के राशन कार्ड बहुतायत संख्या में मिल सकते हैं और भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आ सकता है।
ऐसे में यह संदेह है कि इस तरह का राशनिंग घोटाला ऊँचे स्तर से किया जा रहा है। इसमें कोटेदारों की साजिश हो सकती है और इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस घोटाले में उच्चाधिकारियों की भी मिली भगत ना हो! यह तो जाँच के बाद ही पता चलेगा कि कोटेदारों ने अनजान लोगों की जानकारी कैसे इकट्ठा की है और नाम कैसे जोड़ रखे हैं? यह भी संदेह हो सकता है कि राशन कार्ड धारक ने खुद ही अनजान लोगों के नाम अपने साथ जुड़वाये हों और राशन की उठान कर रहा हो।
राशन का घोटाला करने का यह तरीका कब से अपनाया जा रहा है यह तो जाँच के बाद ही सामने आयेगा।