कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश में तेजी से बढ़ते कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या के मध्येनजर सरकार ने संकट की इस घड़ी में सेवानिवृत्त चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ की मदद लेने का फैसला किया है।
इस संदर्भ में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की निदेशक (प्रशासन) डॉ पूजा पाण्डेय ने सभी जिलों के चिकिसाधिकारियों को अपने-अपने जनपद के सेवानिवृत्त डॉक्टरों, फार्मासिस्टों, स्टॉफ नर्सों आदि की पूरी जानकारी समेत सूची मांगी है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर इन सेवानिवृत्त कर्मचारियों से सेवायें लीं जा सकें।
इसके अलावा उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि कोविड-19 के दृष्टिगत जनपद में यथा आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू संचालन हेतु वेबसाइट पर रजिस्टर्ड सेवानिवृत्ति चिकित्सा अधिकारियों, पैरामेडिकल कर्मियों, स्टाफ नर्सों की सेवाएं लिए जाने के संबंध में नियमानुसार अपने स्तर से इनको नियुक्ति प्रदान करना सुनिश्चित करें।
योजना पर अमल करने में जुटे अधिकारी-इस समय देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। रोगियों को त्वरित इलाज मुहैया कराने की बात हो रही है। ऐसे में स्वास्थ्य महकमा समेत अन्य विभागों की ओर से उन सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है जिससे रोगियों को त्वरित इलाज उपलब्ध कराया जा सके। स्वास्थ्य विभाग से रिटायर डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ आदि को तैनात करने की योजना पर अधिकारियों ने अमल करना शुरू कर दिया है।
गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज कानपुर के पूर्व छात्र राजेश बाबू कटियार का कहना है कि रिटायरमेंट चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ एवं नर्सिंग स्टाफ की सेवाएं लिया जाना सरकार का बहुत ही गलत कदम है। सरकार एक ओर जहां यह दावा कर रही है कि अधिक उम्र वालों को कोरोना होने की ज्यादा संभावना है, वहीं दूसरी तरफ 65 साल से ज्यादा उम्र वालों को इस कार्य में लगाने जा रही है, जबकि प्रदेश में लगभग 80 हजार पंजीकृत फार्मासिस्ट बेरोजगार घूम रहे हैं इसके अलावा लगभग 2 लाख नर्सिंग स्टाफ व अन्य पैरामेडिकल डिग्री व डिप्लोमाधारी बेरोजगार घूम रहे हैं।
सरकार को चाहिए कि पहले वह इन प्रशिक्षित व पंजीकृत युवाओं को इस कार्य में लगाये, जिससे बेरोजगारी भी कम होगी और सेवानिवृत्त हो चुके 65 वर्षीय लोग भी इस बीमारी के प्रकोप से बच सकेंगे।
गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज कानपुर के पूर्व छात्र राजेश बाबू कटियार का कहना है कि रिटायरमेंट चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ एवं नर्सिंग स्टाफ की सेवाएं लिया जाना सरकार का बहुत ही गलत कदम है। सरकार एक ओर जहां यह दावा कर रही है कि अधिक उम्र वालों को कोरोना होने की ज्यादा संभावना है, वहीं दूसरी तरफ 65 साल से ज्यादा उम्र वालों को इस कार्य में लगाने जा रही है, जबकि प्रदेश में लगभग 80 हजार पंजीकृत फार्मासिस्ट बेरोजगार घूम रहे हैं इसके अलावा लगभग 2 लाख नर्सिंग स्टाफ व अन्य पैरामेडिकल डिग्री व डिप्लोमाधारी बेरोजगार घूम रहे हैं।
सरकार को चाहिए कि पहले वह इन प्रशिक्षित व पंजीकृत युवाओं को इस कार्य में लगाये, जिससे बेरोजगारी भी कम होगी और सेवानिवृत्त हो चुके 65 वर्षीय लोग भी इस बीमारी के प्रकोप से बच सकेंगे।