Friday, November 8, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » फाल आर्मी वर्म से फसलों को कीट नाशकों के द्वारा बचाएं: कृषि रक्षा अधिकारी

फाल आर्मी वर्म से फसलों को कीट नाशकों के द्वारा बचाएं: कृषि रक्षा अधिकारी

कानपुर नगर, जन सामना ब्यूरो। आशीष कुमार सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया है कि किसान भाइयों जनपद में जलवायु फॉल आर्मी वर्म कीट के लिए अनुकूल है तथा यह एक बहुभोजीय कीट है जिसके कारण अन्य फसलों जैसे-मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं, तथा गन्ना आदि फसलों को भी हानि पहुंचा सकता है। अतः इस कीट की पहचान एवं प्रबन्धन की सही जानकारी कृषकों को होना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने इस कीट के पहचान एवं लक्षण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया है कि इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचले सतह पर अण्डे देती है कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अण्डे देती है। इसकी मादा एक से ज्यादा पर्त में अण्डे देकर सफेद झाग से ढक देती है अण्डे मटमैले सफेद से हरे व भूरे रंग के होते है।
श्री सिंह ने बताया है कि फॉल आर्मी वर्म का लार्वा भूरा, घूसर रंग का होता है जिसके शरीर के साथ अलग से टयूबरकल दिखता है। इस कीट की लार्वा अवस्था में पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियां और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अंग्रेजी शब्द का वाई दिखता है एवं इसके शरीर के दूसरे अंतिम खण्ड पर वर्गाकार चार बिन्दु दिखाई देते है तथा अन्य खण्ड पर चार छोटे-छोटे बिन्दु व्यवस्थित होते है। यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाता है, इसलिए बुवाई के तुरन्त बाद ही इस कीट की रोकथाम हेतु उपाय करना आवश्यक है। समय से बुआई करें। देरी से बोई की गई फसल में इस कीट का प्रकोप अत्याधिक होने की संभावना होती है। मक्का इस कीट की प्रिय फसल है, यह कीट मक्का के पत्तो के साथ-साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधे के डन्ठल आदि के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करते है। इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढवार की अवस्था में जैसे पत्तियों के छिद्र एवं कीट के मल-मूत्र एवं बाहरी किनारो की पत्तियों पर मल-मूत्र से पहचाना जा सकता है मल महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है।
उन्होंने फसल के प्रबन्धन के संबंध में बताया है कि फसल की निगरानी एवं सर्वेक्षण करें। अण्ड परजीवी 2 से 5 ट्राईकोग्रामा कार्ड एवं टेलोनोमस रेमस का प्रयोग अंडे देने की अवस्था में करने से इनकी संख्या की बढोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है। प्रथम छिडकाव बुआई के बाद 15 दिन की अवधि में करना आवश्यक है। जैविक कीटनाशक बी0टी0 एक किलो प्रति हेक्टेयर अथवा बिवेरिया बेसियाना 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिडकाव सुबह अथवा शाम के समय करें। एन0पी0वी0 250 एल0ई0, मेटाराइजियम एनिप्सोली एवं नोमेरिया रिलाई आदि जैविक कीटनाशकों का समय से प्रयोग अत्यन्त प्रभावशाली यांत्रिक विधि के तौर पर सायंकाल (7 से 9 बजे तक ) में 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं 6 से 8 की संख्या में बर्ड पर्चर प्रति एकड लगाना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई0सी0 1.5 लीटर अथवा क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एस०सी० की 150 ग्राम अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० की 1.25 ली०मात्रा को 500-600 ली० पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। अधिक जानकारी हेतु विकासखण्ड स्तर पर स्थापित कृषि रक्षा इकाई पर सम्पर्क करे।