आजकल सोशल मीडिया पर लखनऊ की एक लालबत्ती पर कैब ड्राइवर की पिटाई का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। महज़ महिला होने का और सारे कानून महिलाओं के हक में है इसका मतलब ये हरगिज़ नहीं कि आप उस चीज़ का गलत फायदा उठाओ। विडियो देखकर शुरुआत में कैब ड्राइवर को ही दोषी माना जा रहा था, लेकिन 2 अगस्त को जब महिला की पिटाई का वीडियो वायरल होने लगा तब सच सामने आया। जिसमें साफ़ दिख रहा है कि ड्राइवर बेकसूर है और मैडम लड़की होने का फायदा उठा रही है।
मर्दों को एक लिमीट के अंदर ही सहन करना चाहिए अगर कोई महिला सशक्तिकरण का उदाहरण देकर आपको प्रताड़ित करती है, तो उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाओ। और पुलिस का भी फ़र्ज़ बनता है कि ऐसे मामलों में महिलाओं की एकतरफ़ा बात ना सुनकर मुद्दे की जड़ तक जाकर मर्दों के हित में भी कारवाई करें।
इसके बाद पुलिस ने महिला के खिलाफ लूट और मारपीट करने की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। आरोपी लड़की ने अपनी सफाई दी है उसमें कितनी सच्चाई है वो तो तहकीकात से पता चलेगा लड़की ने कहा कि मैंने अपनी सुरक्षा में युवक को पीटा था। इसके साथ ही लड़की ने कहा कि मुझे हार्ट की प्रॉब्लम है, किडनी की भी प्रॉब्लम है, ब्रेन की भी प्रॉब्लम है।
अपनी सफाई में लड़की ने कहा, ‘ट्रैफिक सिग्नल रेड होने के बावजूद कैब ड्राइवर तेजी से कार चला रहा था, मौके पर मौजूद पुलिस वालों के सामने कानून का उल्लंघन हो रहा था। लड़की ने आरोप लगाया कि युवक ने ट्रैफिक कानून का पालन नहीं किया, इस वजह से मैंने अपनी सुरक्षा में युवक को पीटा है, मैं उसको नहीं रोकती तो मुझे मार देता।
लड़की का आरोप है कि कार सवार लड़के मुझे 300 मीटर तक मारते ले गए, पर यह किसी सीसीटीवी में नहीं दिखाई पड़ा।
वहीं इस मामले पर कैब ड्राइवर सादत अली ने बताया कि जब वो लड़की उसकी गाड़ी के सामने आई तब ग्रीन लाइट थी, उसके बाद भी उसने तुरंत ब्रेक मारकर गाड़ी रोकी, जिसके बाद वह लड़की गाड़ी को धक्का देने लगी। उसने गाड़ी का दरवाजा खोला, मेरा मोबाइल लिया और तोड़ दिया। इसके बाद मुझे निकाल कर पीटने लगी। मुझे लगा कि सादे कपड़ों में कोई महिला पुलिसकर्मी है, मैं बिना गलती के माफी मांगने लगा। उसने बिना रुके ही मुझे 20 से ज्यादा थप्पड़ मार दिए। मेरे पैसे भी ले लिए, गाड़ी को भी नुकसान पहुंचाया। अब यह मेरे आत्मसम्मान की बात है, अगर उस लड़की को गिरफ्तार नहीं किया गया तो मैं आज आत्महत्या कर लूंगा।
इसके अलावा ड्राइवर ने पुलिस पर आरोप लगाया कि लड़की का पक्ष लिया और मेरी बात सुने बिना ही मुझे लॉकअप में डाल दिया गया और गाड़ी भी जब्त कर ली। अगले दिन मुझ से 10 हजार रुपये लिए गए और तब गाड़ी छोड़ी गई। मुझे पुलिस से भी शिकायत है की अब तक उसे क्यों नहीं पकड़ा गया जबकि सीसीटीवी में साफ दिख रहा है कि क्या हुआ था। मेरी गाड़ी की स्पीड कम थी, अगर 40 होती तो जबेरा लाइन क्रॉस कर चुकी होती। अब मैं एक गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हूं। किसी को चेहरा नहीं दिखा सकता। घरवालों से नजरे नही मिला पा रहा हूँ। कौन जिम्मेदार है इसका, मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था, अपनी रोजी रोटी कमा रहा था। कैब ड्राइवर ने यह भी दावा किया था कि थप्पड़ मारने वाली लड़की पुलिस की मुखबिर है। कैब ड्राइवर की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया कि लड़की के मुखबिर होने की बात खुद कृष्णा नगर थाने की पुलिस ने बताई थी. इसके साथ ही कैब ड्राइवर ने कहा था कि पुलिस ने 10 हजार रुपये की रिश्वत लेने के बाद मुझे छोड़ा था।
इस मामले में सच का सामने आना बेहद जरूरी है।
क्यूँकि सारे कानून महिलाओं के हक में होने कि वजह से अक्सर कुछ महिलाएं उसका गलत इस्तेमाल करती है, और मर्दों को फांसती है। चाहे दहेज का मामला हो, बलात्कार का या मार पीट का हर बार मर्द ही गलत नहीं होता। अधिकतर केस में महिलाएं झूठ बोलकर मर्दों को प्रताड़ित करती है और पैसे एठने के चक्कर में कानून का गलत फायदा उठाती है। कानून, पुलिस और सरकार से निवेदन है की ऐसे मामलों में दोनों पक्ष को निष्पक्ष नज़र से सुनकर, देखकर सच के हक में फैसला करें।
(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)