सत्य और अहिंसा के पुजारी, एक सच्चे राष्ट्र प्रेमी और देश को ब्रिटिश सरकार के हाथों से आज़ाद करवाने वाले साबरमती के संत की और राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी की जन्म जयंती 2 अक्टूबर को न सिर्फ पूरा हिन्दुस्तान, बल्कि दुनिया के कई देश गांधी जयंती मनाते है। महात्मा गाँधी को लोग बापू के नाम से भी पुकारते थे। बापू ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी दिलाई। उन्होंने लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाई। उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने सलाम किया। यही वजह है कि पूरा विश्व 2 अक्तूबर के दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है। महात्मा गांधी के विचारों ने ना सिर्फ़ भारत के लोगों का मार्ग दर्शन किया बल्कि विश्व का मार्गदर्शन किया। ऐसे महान राष्ट्रपिता गांधीजी ने अपने जीवन में कुछ आदर्शों को खास महत्व दिया।
पहला- सामाजिक गंदगी को दूर करने के लिए झाड़ू का सहारा।
दूसरा- सामूहिक प्रार्थना को बल देना, जिससे एकजुट होकर व्यक्ति जात-पात और धर्म की बंदिशों को दरकिनार कर प्रार्थना करें।
तीसरा- आखिरी रास्ता चरखा, जो आत्मनिर्भरता और एकता का प्रतीक बन गया।
गांधीजी ने भगवान महावीर के रास्ते पर चल कर त्याग को अपने जीवन में सदा अपनाए रखा और सादगीसभर जीवन के साथ-साथ कम से कम चीजों से अपना जीवनयापन किया। और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमेशा ही नई तालीम को जानने और उसे अपनाने के समर्थन में रहे। इसी बल पर आजादी की लड़ाई में सफलता हासिल की। साथ ही शाकाहारी भोजन को गांधीजी ने अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बना लिया था। महात्मा गांधी हर धर्म और जाति से जुड़े हुए थे। वे सभी धर्मों के प्रति विशेष आस्था रखते थे।
गाँधी जी ही एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश की जनता को विश्वास दिलाया, कि यह स्वतंत्रता की लड़ाई सबकी लड़ाई है. एक छोटा सा योगदान भी देश की आजादी के लिए अहम् हिस्सा हैं. इस तरह से देश की जनता ने स्वतंत्रता की लड़ाई को अपनी लड़ाई बनाया और एक जुट होकर 200 वर्षो की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ कर पूर्ण स्वराज हासिल किया।
फिर भी आज कई बातों के लिए गाँधी जी को जिम्मेदार कहा जाता हैं शायद उसी कारण 30 जनवरी 1948 को प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी को गोली मार कर आत्म समर्पण किया। पर आज हम जिस भारत की भूमि पर आज़ादी की साँसें ले रहे है उसके पीछे महात्मा गाँधी जैसे राष्ट्र पिता और कई देश प्रेमियों का बलिदान छिपा है। और सबसे दु:खद बात ये थी कि
गांधीजी की मृत्यु पर एक अंग्रेजी ऑफिसर ने कहा था कि जिस गांधी को हमने इतने वर्षों तक कुछ नहीं होने दिया, ताकि भारत में हमारे खिलाफ जो माहौल हैं, वो और न बिगड़ जाये, उस गांधी को स्वतंत्र भारत एक वर्ष भी जीवित नहीं रख सका, शायद ये हमारी सबसे बड़ी हार थी काश आज़ाद भारत की छवि देखने के लिए राष्ट्रपिता कुछ साल ज़िंदा रहते।
भावना ठाकर ‘भावु’ बेंगुलूरु