Saturday, November 23, 2024
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फास्ट फूड स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं

उस दिन वर्मा जी बड़े खुश-खुश मेरे कक्ष में पधारे। जब तक उनके रिकॉर्डों की फाइल मेरे समझ आती, मैंने यूं ही उनसे पूछ ही डाला- ‘क्या बात है, आज बहुत खुश नजर आ रहे हो ! क्या लड़का-बहू अमेरिका से आ गए?’ वर्मा जी, मानो इस प्रश्न की प्रतीक्षा कर रहे हो, तत्काल बोले- ‘लड़के बहू की बात छोड़िए, अच्छा समाचार यह है कि मेरे पड़ोस में एक फास्टफूड की दुकान खुल गई है।’
आगे मैं फिर पूर्ववत् निश्चल और अनंत विचाराकाश में स्वच्छंद विचरण करने लगा। कैसे बताऊं इस निरीह प्राणी को कि वह स्वयं आग के दरिया में छलांग लगा रहा है। फास्टफूड स्वास्थ्य के लिए कितने हानिकारक होते हैं इस तथ्य को वर्माजी के संज्ञान में कैसे लाऊं? वर्माजी की खुशी को स्वास्थ्य ज्ञान के बहाने कैसे छीन लूं ? वर्माजी की परिस्थिति में कितना आसान हो गया था उनकी समस्याओं का हल? इन जैसे अनेक प्रश्नों के झंझावात में मै उलझ के रह गया। तभी याद आया क्यों न एक लेख के माध्यम से फास्टफूड के विषय में संपूर्ण जानकारी प्रदान कर दूं। शायद मेरे लेख को पढ़कर ही वर्माजी कुछ सचेत हो जाएं और मुझे भी सीधे उनकी खुशी छीनने का काम न करना पड़े।
क्या होते हैं, फास्ट फूड ?
इंटरनेशनल यूनियन ऑफ न्यूट्रीशन साइंसेज द्वारा प्रकाशित शब्दकोश के अनुसार- ‘फास्टफूड उन व्यंजनों को कहते हैं, जो चाहें अल्पाहार हो अथवा पूर्णाहार, शीघ्र ही परोसे जाने योग्य हो अर्थात जिनके तैयार होने में कुछ समय कम लगता हो।’
फास्ट फूड का चलन आम क्यों होता जा रहा है ?
फास्टफूड का चलन आम होने के कई कारण हैंः-
1. इसमें कोई दो मत नहीं कि युवा पीढ़ी ने फास्टफूड को फैशन के अनुरूप अपनाया है।
2. महिलाओं के नौकरी करने की जरूरत या बढ़ते चलन के कारण भी फास्टफूड का चलन बढ़ा है क्योंकि दिवापर्यंत कार्य करने के बाद उन्हें भी पका-पकाया खाने की स्वाभाविक इच्छा होती है।
3. होटलों में जाकर खाने की तुलना में फास्टफूड काफी सस्ता होते हैं और अपेक्षाकृत शीघ्रतर उपलब्ध हो जाते हैं।
4. सेल्स जैसे व्यवसायों में संलग्न लोगों को फास्टफूड हर स्थान पर सहजता से उपलब्ध व्यंजन होते हैं।
5. एकाकी जीवन व्यतीत कर रहे लोगों के लिए यह सुगमता से उपलब्ध भोजन होता है।
6. निस्संदेह ये स्वादिष्ट भी होते हैं।
फास्ट फूड़ों की पौष्टिकता
विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार भोजन में निम्न गुणवत्ता होनी चाहिएः-
1. दैनिक कैलोरी आवश्यकता का 55-75 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होना चाहिए।
2. दैनिक कैलोरी आवश्यकता का 10-15 प्रतिषत प्रोटीन से प्राप्त होना चाहिए।
3. दैनिक कैलोरी आवष्यकता का 15-30 प्रतिषत वसा से प्राप्त होना चाहिए।
वसा से संबंधित अन्य हिदायतें निम्न हैंः-
1. संतृप्त वसाओं का अंश 10 प्रतिषत से कम हो।
2. फूफा यानी पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड का अंष 7 प्रतिषत से कम हो।
3. कोलेस्ट्रॉल की दैनिक मात्रा 300 मिलीग्राम से कम हो।
4. ओमेगा-6 व ओमेगा-3 फैटी एसिड का अनुपात भोजन में 5-10ः1 तक हो।
5. नमक की दैनिक मात्रा 6 ग्राम से कम हो।
6. भोजन में रेशे का अंश 40 ग्राम से अधिक हो।
उपरोक्त हिदायतों की तुलना में फास्टफूडों में निम्न दोष होते हैंः-
1. इनमें वसा का तत्व ज्यादा होने के कारण कैलोरी की बहुतायत होती है जिससे इनके निरंतर सेवन से मोटापे की संभावना रहती है।
2. इनमें ज्यादातर मैदा का प्रयोग किया जाता है जिसमें रेशा लगभग नहीं के बराबर होता है और उसका ग्लाइसीमिक इंडेक्स ज्यादा होने के कारण मधुमेहियों के लिए यह वर्जित होता है।
3. इनमें कोलेस्ट्राल की अधिकता होती है।
4. इनमें नमक का अंश भी ज्यादा पाया जाता है।
5. इन्हें आकर्षक बनाने के लिए प्रायः इनमें वर्जित रंगों का प्रयोग किया जाता है।
6. इन्हें सड़ने से बचाने के लिए इनमें प्रायः हानिकारक प्रिजवेंटिव मिलाए जाते हैं।
फास्ट फूड से हानियांः-
1. ज्यादा कैलोरीयुक्त होने के कारण फास्टफूड से वजन बढ़ने की संभावना रहती है जिससे स्वस्थ लोगों में मधुमेह के पनपने के अतिरिक्त मधुमेह के रोगियों में मधुमेह के अनियंत्रित होने की संभावना भी रहती है।
2. इन व्यंजनों में रेशे की मात्रा कम होने के कारण इनका सेवन करने वालों को कब्ज की दिक्कत प्रायः रहती है।
3. इन व्यंजनों में मैदा का प्रयोग ज्यादा किए जाने से इनका ‘ग्लाइसीमिक इंडेक्स’ काफी बढ़ जाता है जिससे मधुमेह के अनियंत्रित होने की संभावना रहती है।
4. अनेक फास्ट फूड में प्रोटीन का अंश ज्यादा होता है जिसके कारण मूत्र से कैल्शियम की निकासी बढ़ जाती है, फलतः वयोवृद्ध लोगों में ‘ऑस्टियोपोरोसिस’ यानी हड्डियों के कमजोर होने वाला रोग हो सकता है।
5. वसाओं के अंश की अधिकता, कोलेस्ट्राल की अधिकता, संतृप्त वसाओं की अधिकता इत्यादि अनेक कारणों से फास्ट फूड का ज्यादा सेवन करने वालों को हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है जिसका रुझान मधुमेह में पूर्व से ही होता है।
6. इन व्यंजनों में नमक का अंश ज्यादा होने के काम सामान्यजन में उच्च रक्तचाप के होने और उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों में रक्तचाप के बढ़ जाने की संभावना रहती है।
7. ज्यादा मिर्च-मसालों के प्रयोग के कारण ये खाद्य पदार्थ आमाषय के ‘मित्र’ नहीं होते और कई शोधों में इनके कारण कैंसर का ज्यादा होना भी पाया गया है।
8. इनमें प्रयोग होने वाले रंगों से कई बार ‘एलर्जी’ का होना जी पाया जाता है जिसके फलस्वरूप दमा हो जाने की संभावना भी रहती है।
9. प्रायः इन्हें बेचने वाली दुकानें व्यस्त सड़कों के किनारे स्थित होती हैं जिससे गुजरने वाले वाहनों के धुएं के प्रदूषण का होना भी पाया जाता है।
10. उपरोक्त कारण से इनके अस्वच्छ होने के कारण रोगाणुओं के संक्रमण की संभावना भी ज्यादा रहती है।
स्वास्थ्यवर्धक भी हो सकते हैं चंद्र फास्ट फूडः-
कदाचित विवरण की पूर्णता के लिए उल्लेख करना आवश्यक हो, कुछ फास्ट फूड स्वास्थ्यवर्धक भी हो सकते हैं जैसे- इडली, भेल-पुरी, मक्का दी रोटी सरसों दी साग इत्यादि।
उपरोक्त जानकारी के बाद किसी भी फास्टफूट के दोषों को हटाकर यदि उसका सेवन किया जाए तो वह भी स्वास्थ्यवर्धक हो सकता है। उदाहरणार्थ ‘वैज फ्रैंकी’ को बनाते समय यदि मैदा के स्थान पर संपूर्ण गेहूं के आटे का प्रयोग किया जाए तथा उसे सेंकने के लिए सोयाबीन का रिफाइंड तेल यदि प्रयोग में लाया जाए, तो वह व्यंजन निस्संदेह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होगा।
डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम