आज के अखबार में पढ़ा तो एक धक्का सा लगा, क्या हैं वो? गुजरात के भरूच में १०० लोगों को लालच दे धर्म परिवर्तन करवाया गया। एक यूके के नागरिक और मौलवी के साथ ९ लोगों के सामने फरियाद– ये हैं हेड लाइन्स। जो लालच से नहीं माने उनको डरा कर धर्मांतरण करवाया गया की उनकी पहचान कश्मीर से पाकिस्तान तक हैं, फरियाद करने वालों को मार दिया जायेगा। ३७ परिवारों के १०० लोग उनके झांसे में आ गए। क्या हो रहा हैं ये? क्यों गरीबों को निशाना बनाया जा रहा हैं? देश विदेश से आने वाली आर्थिक सहायता की मदद से ये जबरन धर्म परिवर्तन का कार्य योजनाबद्ध तरीकों से हो रहा हैं। इन में तीन नामचीन धर्म परिवर्तन में कार्यरत लोग मीटिंग करते हैं, वडोदरा के धार्मिक ट्रस्ट ने भी आर्थिक सहाय के हैं, जो करोड़ों में हैं, जिसमें से यहां १२ से १५ रुपए खर्च कर १३७ लोगों को अपने धर्म से भटका कर साम, दाम, भेद और दंड दे कर धर्म परिवर्तन किया जा रहा था। उनको बड़े मकान बना के देने का लालच भी दिया, मुंबई घूमने का भी लालच दिया गया और युवाओं को नशीले पदार्थों का लालच दे धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा हैं। ये तो एक छोटा सा उदाहरण हैं, पूरे भारत वर्ष में ये लोग का नेटवर्क कार्यशील हैं, उन्होंने १०२६ जितनी जगहों का मुआयना कर कुछ जगहों का चयन कर कार्य चालू किया हैं। इन में स्कूल के बच्चे भी हैं जिन्हें पैसे दे कर शुक्रवार के दिन दूसरे शहर में नमाज पढ़ने के लिए ले जाया जाता था और उनको धर्म परिवर्तन के कुछ समय बाद पक्के नमाजी होने के बाद जेहाद के लिए तैयार किया जाएगा ऐसा वहां के लोग बताते हैं।
किसी धर्मपरिवर्तित व्यक्ति के पिता की मृत्यु पर उनके दफन के लिए जगह नहीं दी थी गांव वालो ने तो वहां के मुस्लिम समाज ने उसी वक्त चंदा एकत्रित कर के जमीन खरीदी और वहा कब्रिस्तान बना दफन कर ने के लिए की सहूलियत दी गई। सब के लिए नकली आधार कार्ड आदि सभी डॉक्यूमेंट्स बने हुए हैं, कैसे?
कौन जिम्मेवार हैं इन सब के लिए? कैसे गैरकानूनी तरीकों से उन्हे ये सभी डॉक्यूमेंट्स मिल जाते हैं, भ्रष्ट कर्मचारी या अनैतिक राजनीति या दोनों ही? अभी राजकोट में एक बांग्लादेशी महिला आधार कार्ड और पैन कार्ड जो असली थे, कैसे बनाए गए ये एक प्रश्न हैं। ऐसे तो कितने ही होंगे जिनका कोई पता ही नहीं हैं। वैसे तो अमेरिका में भी लोग गैरकानूनी तरीके से बस जाते हैं किंतु उनको कोई भी डॉक्यूमेंट्स नहीं मिलते और छुपके रहना पड़ता हैं, ड्राइविंग लाइसेंस भी नही मिल पाता हैं। और अपने देश में आम नागरिकों जैसे सभी सहूलते मिलने के बाद मतदाता भी बन जाते हैं और कुछ राजकीय दलों के चाहितें बन जाके आर्थिक सहाय और दूसरे फायदे मिलते हैं की पूछो मत। देश के नागरिक भी राजनीति करते करते देश विरोधी कार्यों में कब लिप्त हो जाते हैं पता ही नहीं चलता। क्यों देश की अखंडता और एकता को दांव पर लगा के सिर्फ अपने फायदों की ही सोचते हैं ये लोग? आम नागरिक जो सारे टैक्स भरता हैं और उसी टैक्स के पैसों से ये काम होता हैं जो देश विरोधी, समाज विरोधी होता हैं। किसी को अपने धर्म से जबरन चलित कर दूसरे धर्म में सम्मिलित करना एक पाप कर्म हैं, किसी की आस्था के लिए कथुराघात हैं। यहीं वो राजकरणी नेता जिनके पूर्वजों ने डर या लालच की वजह से धर्मपरिवर्तन किया वही आज कह रहें हैं कि अगर धर्म में जिसकी आस्था होगी वह क्यों दुसरें धर्म को अंगीकार करेंगे? अरे भाई तुम अपने पूर्वजों के कदम को ही गलत बता रहे हो!
कैसे रोका जाए इस धर्मांतरण के प्रयासों को? सरकार और धार्मिक विद्वानों को इस के बारे में सोच सख्त कदम उठाना बहुत जरूरी हैं। हमें ही नहीं सभी को अपने धर्म को सम्मान पूर्वक पालन करने का हक़ मिलना चाहिए, क्यों किसी से कोई डरें? ये धार्मिक वैमनस्य बहुत ही घातक हो सकता हैं।
(संकलन) जयश्री बिरमी, अहमदाबाद