Sunday, November 24, 2024
Breaking News
Home » लेख/विचार » ये कैसी मानसिकता

ये कैसी मानसिकता

लडकियों की इज्ज़त को तार-तार करने वाले बलात्कार जैसे मुद्दे को मजाक बनाकर ये कहना कि अगर रैप रोक नहीं सकते तो लेट कर मजे लो, जब होना ही है तो खुशी-खुशी हो जाने दो। इस कथन पर कर्नाटक के विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को जितना लताड़ा जाए उतना कम है। वाह भैया वाह, क्या आप अपनी माँ, बहन, बेटी को भी यही हिदायत देंगे?
कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. आर. रमेश कुमार ने विधानसभा में कहा, जब बलात्कार होना ही है तो लेट जाओ और इसका मजा लो। उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिस पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है।
और रमेश कुमार के बयान पर कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी उन्हें रोकने या इस पर कोई कार्रवाई करने की बजाय हंस रहे है, बलात्कार कोई हंसने में उड़ा देने वाली बात है?
रैप जिनके साथ ये हादसा हुआ नहीं उनके लिए एक आम शब्द हो सकता है, पर जिनके साथ ये घिनौना हादसा होता है उनकी रूह तार-तार हो जाती है। मार दूँ या मर जाऊँ वाले ख़तरनाक ख़यालों से नखशिख खून खौल उठता है। इज्जत हर लड़की के लिए किंमती गहने के बराबर होती है, और जब कोई भी लड़की या महिला बलात्कार का शिकार होती है तब कितनी भी कमज़ोर, लाचार क्यूँ न हो, हो ऐसे हादसों के वक्त विरोध करते जुनून से विद्रोह करती है। कौन खुशी-खुशी लेट कर मजे लेंगी।
जिनके साथ ये घटना घटती है, वो लड़की या महिला कोई अपनी ना होते हुए भी ऐसे हादसों के बारे में जब हम सुनते या पढ़ते है तो हमारा दिल दहल जाता है, मन करता है वो दरिंदे मिल जाए तो ज़िंदा जला दें। ऐसी गिरी हुई और समाज के लिए जो बात कलंकित करने वाली है उस बारे में ऐसी सोच रखना और गैरवाजिब बयान देना एक नेता को हरगिज़ शोभा नहीं देता।
अरे झांक कर देखो उन लड़कियों के भीतर जिनके साथ बलात्कार होता है डर, खौफ़, शर्म और लज्जा से उसकी आत्मा तड़प रही होती है। अंग-अंग जल रहा होता है। एक अबला पर जब चार चार लठ्ठे वहशीपन से टूट पड़ते है तब उस लड़की की हालत के बारे में सोचकर ही कलेजा काँप उठता है, और किसीके साथ ये हादसा होता देखकर कमज़ोर और नपुंसक इंसान का भी खून खौल उठता है। कोई लेट कर मजे कैसे ले सकता है, वाणी आपके व्यक्तित्व की शोभा है, कब, कहाँ कौनसी बात बोलनी है इतना पता एक पढ़े लिखे नेता को होना ही चाहिए।
विवादित बयान देकर माफ़ी मांग लेने से आपका अपराध कम नहीं हो जाता। तीर एक बार छूट जाता है तो कहीं भी जाकर लगता है, वापस नहीं आता। कुर्सी की गरिमा रखते नेताओं को कुछ भी बोलने से पहले सोचना चाहिए कि किस मुद्दे पर क्या बोलना है। खास कर ऐसे नाजुक मामलों पर। ऐसे नेताओं के ख़िलाफ़ योग्य कारवाई की जानी चाहिए, जो महिलाओं की गरिमा को हल्की करते अनाप-सनाप बयान देते है।
भावना ठाकर ‘भावु’ (बेंगुलूरु, कर्नाटक)