कमल और मत्स्य पालन की संयुक्त रूप से खेती कर किसान अपनी आय का इजाफा कर सकते हैं
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि किसान कृषि विविधीकरण के माध्यम से खेती कर कृषि उपज व आय में वृद्धि कर जनपद व प्रदेश को उन्नतिशील बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। कृषि विकास की सफलता के लिए किसान कृषि विभाग तथा प्रदेश कृषि नीति द्वारा बताए गए दिशा निदेर्शो व आधुनिक तरीके से कृषि कर कृषि उपज व उत्पादन बढ़ाकर कृषि व किसान विकास समृद्धि मे आगे आए। किसानो के विकास, उत्थान तथा उन्नयन के प्रति देश व प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन पूरी तरह से संवेदनशील है। सरकार की परिकल्पना है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी से अधिक कर समृद्धिशाली व सशक्त बनाना है। सरकार द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी, लाभपरक योजनाओ का किसान बढ़चढकर लाभ ले। किसान व्यवसाय से अधिक कृषि अपनी संस्कृति समझे तथा प्रगतिशील किसान बनने की ओर अग्रसर हो। जनपद में कृषि व किसान विकास की असीम संभावना है। किसान आधुनिक तकनीकी उन्नतिशील बीज, खाद आदि उपयोग कर उपज बढ़ाए तथा कृषि विविधीकरण के माध्यम से खेती करें और अपनी आय का इजाफा करें। पशुपालन, मत्स्य पालन, फूलों की खेती आदि कृषि विविधिकरण को समझे। कृषि विविधीकरण में फूलों की खेती के विकास की भी असीम संभावना है। कमल के फूल, कमल गट्टा, कमल की डंटी एवं कंद की व्यापारिक तौर पर मांग रहती है, क्योंकि इनका अलग अलग कार्यो में उपयोग किया जाता है। अकबरपुर विकास खंड के गांव सलावतपुर के किसान रामगोपाल कुशवाहा व खीरी के ग्राम सकुन्दीपुर के किसान अरूण कुमार व के अनुसार इन दिनों फ्लोरीकल्चर का चलन बढ़ रहा है, जिससे किसान अपनी आय का इजाफा कर सकते है। तालाब में कमल के फूल की खेती व मत्स्य पालन दोनो को साथ साथ किया जा सकता है। किसान रामगोपाल कुशवाहा, खीरी में जाकर तालाब में कमल की खेती व मत्स्य पालन दोनो को साथ साथ अभी हाल ही में देख कर आये है वहां के तालाब में इनका उपयोग कमल की खेती व मत्स्य पालन दोनो के लिए साथ साथ किया जा रहा है। किसान अगर चाहें तो तालाब में मत्स्य पालन के साथ साथ ही कमल फूल की खेती कर उससे भरपूर लाभ अर्जित कर सकते हैं। किसान रामगोपाल कुशवाहा व अरूण कुमार ने सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार से सबका साथ व सबका विकास सरकार के महत्वपूर्ण कल्याणकारी व लाभपरक योजना वाली पुस्तक प्राप्त की तथा कमल व मत्स्य पालन की संयुक्त रूप से तालाबों में खेती व उत्पादन के बारे में विस्तार से बताया। कमल वनस्पति जगत का एक पौधा है जिसमें बड़े और सुन्दर फूल खिलते हैं। यह भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। कमल का पौधा (कमलिनी, नलिनी, पद्मिनी) पानी में ही उत्पन्न होता है और भारत के सभी उष्ण भागों में तथा ईरान से लेकर आस्ट्रेलिया तक पाया जाता है। कमल का फूल सफेद या गुलाबी रंग का होता है और पत्ते लगभग गोल, ढाल जैसे, होते हैं। जानकारों द्वारा बताया गया कि कमल के रेशे से तैयार किया हुआ कपड़ा पहनने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं। कमल के तने लंबे, सीधे और खोखले होते हैं तथा पानी के नीचे कीचड़ में चारों ओर फैलते हैं। तनों की गाँठों पर से जड़ें निकलती हैं। यह झीलों, तालाबों और गड़हों तक में होता है। यह पेड़ बीज से जमता है। रंग और आकार भेद से इसकी बहुत सी जातियाँ होती हैं, पर अधिकतर लाल, सफेद और नीले रंग के कमल देखे गए हैं। कहीं कहीं पीला कमल भी मिलता है। कमल की पेड़ी पानी में जड़ से पाँच छः अँगुल के ऊपर नहीं आती। इसकी पत्तियाँ गोल गोल बड़ी थाली के आकार की होती हैं और बीच के पतले डंठल में जड़ी रहती हैं। इनके नीचे का भाग जो पानी की तरफ रहता है, बहुत नरम और हलके रंग का होता है। कमल की गंध भौंरे को बड़ी प्यारी लगती है। चिकित्सा में उपयोगी है-अनेक आयुर्वेदिक, एलोपैथिक और यूनानी औषधियाँ कमल के भिन्न-भिन्न भागों से बनाई जाती हैं। चीन और मलाया के निवासी भी कमल का औषधि के रूप में उपयोग करते हैं। कमल के फूलों का विशेष उपयोग पूजा और शृंगार में होता है। इसके पत्तों को पत्तल के स्थान पर काम में लाया जाता है। बीजों का उपयोग अनेक औषधियों में होता है और उन्हें भूनकर मखाने बनाए जाते हैं। कमल की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी जिला उद्यान कार्यालय, जिला कृषि कार्यालय आदि सहित कमल व मत्स्य पालन करने वाले जानकार किसानों से भी प्राप्त की जा सकती है। कमल की खेती के साथ मत्स्य उत्पाद भी बढ़ाया जा सकता है। कमल की खेती और मत्स्य पालन वाले तालाब में अपने सुन्दर पत्तों के कारण तालाबों में नमी बनाये रखते है जिससे मछलियां शीतलता पाकर विकास करती है और तालाब का पानी भी जल्द नही सूखता है।