कोरोना की दूसरी लहर भारत में इतना भयानक रूप धारण कर चुकी है कि पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट को कहने पर विवश होना पड़ा कि यह दूसरी लहर नहीं बल्कि सुनामी है और अगर हालात ऐसे ही चलते रहे तो अनुमान लगाए जा रहे हैं कि अगले कुछ महीनों के भीतर मौतों का कुल आंकड़ा कई लाखों में पहुंच सकता है। इन दिनों कोविड संक्रमण के प्रतिदिन साढ़े चार लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और हजारों लोगों की रोजाना मौत हो रही हैं। यही कारण है कि कोरोनावायरस के तेजी से बढ़ते मामलों की वजह से देशभर में अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन सिलेंडर तथा कोरोना के इलाज में बड़े स्तर पर इस्तेमाल हो रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित कुछ दवाओं की मांग में इतनी जबरदस्त वृद्धि हो गई है कि स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ने लगी हैं
Read More »छुट्टी पर भेजे गए सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति,31 मई तक था कार्यकाल
सैफई,इटावा। सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ राजकुमार मेडिकल यूनिवर्सिटी की अव्यवस्थाओं को संभालने में नाकाम रहे इसलिए शासन ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है उनका कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो रहा था । आलोक कुमार प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने इस आशय का पत्र जारी किया है उन्होंने मेडिकल यूनिवर्सिटी में कार्यवाहक कुलपति के तैनाती के संबंध में आदेश जारी किए हैं पत्र में बताया गया है कि कुलपति का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो रहा है नए कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रचलित है और शीघ्र ही नए कुलपति की नियुक्ति सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के उपरांत की जाएगी|
Read More »मां का स्थान देश.दुनिया एवं भगवान से भी ऊपरः शास्त्री
ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकान्त शास्त्री ने मातृ दिवस के पावन पर्व पर अपनी मां सहित देश दुनिया की सभी माताओ को प्रणाम करते हुए कहाँ की, मां बच्चों की प्रथम पाठशाला एवं गुरु होती हैए मां ही एक ऐसी गुरु है। जो अपने बच्चों को पूरे मनोयोग से वात्सल्य और प्यार के साथ शिक्षा देती है। मां साहस, धैर्य, ममता, त्याग, तपस्या, सेवा, विश्वास के मिसाल की प्रतिमूर्ति होती है और इसलिए मां सदा.सदा पूज्य थी, पूज्य है और पूज्य रहेंगी। शास्त्री ने यह भी कहा कि मां ममता के आंचल की सर्वोत्तम छाया है। माँ का सम्मान दुनिया के सभी देवी देवताओं का सम्मान है। वर्तमान कोविड.19 महामारी में मां का विशेष ख्याल रखें। शास्त्री ने कहा मेरा ऐसा कोई दिन नहीं बितता जिस दिन मां को प्रणाम न करूं और मां को याद न करूं। वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि मां का दर्जा दुनिया में सबसे ऊपर है और शायद ही कभी कोई मां के ऋण को अदा कर पाएगाए बड़ी बहन एवं बड़ी भाभी भी मां के समान ही पूजी जाती हैं और अपना कर्तव्य बखूबी निभाती है। मां के प्यार से हम तो क्या भगवान भी नतमस्तक हो जाते हैं। मां ने ही भगवान कृष्ण एवं भगवान राम आदि महापुरुषों को जन्म दिया है। शास्त्री ने यह भी कहा कि आज का पावन पर्व देश दुनिया के सभी माताओं को बारंबार प्रणाम करने का दिवस है एवं समूचे देश दुनिया की मातृ शक्तियों को आदर करने और इसको यादाश्त रखने वाला दिवस है और इसी को ही मातृ दिवस कहां जाता है और माँ की कृपा देश दुनिया के सभी भाई बहनों के ऊपर बनी रहे।
Read More »आकाशीय बिजली की चपेट में आने से दो की मौत,महिला झुलसी
चकिया,चन्दौली। कोतवाली क्षेत्र में रविवार की सुबह में तेंदू के पत्ते की तुड़ाई करने जा रहे दो मजदूरों की आकाशीय बिजली की चपेट में आने से मौत हो गई तथा एक महिला मजदूर घायल हुई है। जिसका उपचार चल रहा है| चकिया कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक नागेन्द्र सिंह ने बताया कि रविवार की सुबह में मुबारक पुर के निवासी तुफानी उर्फ सदाफल( 35 ) तथा प्रभावती देवी ( 42) एवं परमिला ( 37 )अपने गांव से मजदूरी के लिए शिकारगंज क्षेत्र के जोगिया कला गांव की सीतापुर नई बस्ती की पहाड़ी पर तेंदू पत्ते की तुड़ाई करने जा रहे थे। उसी के दौरान रविवार की सुबह में अचानक बारिश तथा आकाशीय बिजली की चमक होने लगी बारिश से बचने के लिए तीनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए उसी समय तीनों आकाशीय बिजली की चपेट में आ गये। जिससे तुफानी उर्फ सदाफल एवं प्रभावती देवी की मौके पर मौत हो गई। जबकि परमिला गंभीर रूप से घायल हो गई है।
Read More »शादीशुदा बेटे की विडंबना समझो
शायद इस विषय के बारे में कोई सोच भी नहीं रहा। हर विषय, हर किरदार पर लिखा गया है पर शादीशुदा बेटे कि हालत और मन: स्थिति को शब्दों में ढ़ालना आसान नहीं। ये एक ऐसा किरदार है जिस पर दोगुनी जिम्मेदारी होती है। बेटा खुद को माँ-बाप का कर्ज़दार समझता है क्यूँकि जन्म दिया है। और पत्नी का रखवाला क्यूँकि अग्नि को साक्षी मानकर ताउम्र साथ निभाने का वचन दिया है, तो हुआ न सैंडविच।
अक्सर हम कई घरों में सास बहू को लड़ते झगड़ते देखते है। दोषारोपण और तू तू मैं मैं से शुरू होते परिस्थिति अलग होने की कगार तक आ जाती है। जब बेटे की शादी होती है तो यहाँ पर एक माँ को कुछ बातों के लिए खुद को तैयार करना जरूरी होता है। पहले तो आपका औधा एक पायदान उपर उठता है, यानी कि माँ से आप सासु माँ बनने जा रही है।
रेडियो वक्त की आवाज़ 91.2 FM ने कोरोना जागरूकता कार्यक्रम ’कोरोना किट’ का संचालन किया
शिवली/कानपुर देहात। कानपुर देहात के एक मात्र सामुदायिक रेडियो वक्त की आवाज़ 91.2 एफएम ने कोरोना जागरूकता से सम्बंधित कार्यक्रम ’कोरोना किट’ का संचालन किया है। जिसमे श्रोताओं को कोरोना महामारी से बचने के लिए विशेषज्ञों से सीधा संवाद कराया जाएगा। जिससे ग्रामीण क्षेत्रो में तेजी से बढ़ रही महामारी के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके। कोरोना किट प्रोग्राम में किस तरह से हम जाने की कोरोना के लक्षण क्या होते है, उनकी पहचान हम खुद कैसे करे, होम आइसोलेशन क्या है और इसमें क्या क्या सावधानी करनी होती है। साथ ही कोरोना से बचने के लिए घर पर ही क्या इलाज किया जाए जिससे कोरोना महामारी से हमारा शरीर अपनी इम्युनिटी बढ़ा सकें और कोरोना महामारी से बचाव कर सके।
Read More »उ0प्र0 पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन कोविड हेल्प डेस्क लगातार जरुरतमंद लोगों की हेल्प कर रहा
लखनऊ। आज राजधानी लखनऊ की 2 जरुरतमंद महिलाओ ने घर में राशन खत्म बहुत परेशानी में है कह कर एसोसिएशन कोविद हेल्प डेस्क से मदत मांगी एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उनके घर 30 मिनट में पहुंचकर 10 -10 किलो राशन का पैकेट जिसमे आटा चावल दाल तेल नामक और सब्जी मसाला व मास्क उपलब्ध कराया और आगे भी मदत का भरोशा दिया।
एसोसिएशन कोविद हेल्प डेस्क 22 दिन से लगातार जहा कोविद संकर्मित बिजली कार्मिको, अभियंताओ, श्रमिकों, उपभोक्ताओ का बढ़ा रहा मनोबल और कर रहा मदत वही प्रवासी मजदूरों रिक्शा चलको को भी बाँट रहा खाद्य सामग्री व राशन चाहे वह बिजली कार्मिको अभियंताओ श्रमिकों उपभोक्ताओ का मामला हो चाहे वह प्रवासी मजदूरों की मदत का मामला हो चाहे लाकडाउन के चलते जीविका पर संकट के चलते रिक्शा चालकों को आटा दाल चावल बिस्कुट चिप्स मास्क सेनिटाइजर बाटने का मामला हो आज 22 वे दिन भी उ0प्र0 पावर आफीसर्स एसोशिएसन कोविद हेल्प डेस्क लगातार लोगो की हेल्प पूरे प्रदेश में करता चला आ रहा है।
कोविड-19 – कोरोना वैक्सीन पेटेंट संरक्षण अस्थाई रूप से सस्पेंड कर मानव प्राण बचाना जरूरी
विश्व व्यापार संगठन ने सभी देशों की सहमति बनाकर शीघ्र निर्णय लेना जरूरी
कोरोना वैक्सीन बौद्धिक संपदा अधिकार स्थगित करना जरूरी – वैक्सीन उत्पादन बढ़ेगा, मानवता का भला होगा – एड किशन भावनानी
विश्व के मानवों को कोरोना महामारी अपने फंदे में जकड़ तीव्रता से निकल रही है और हम मानव अभी तक वैश्विक रूप से आपस में ही उलझ कर रह गए हैं। हालांकि हर देश एक दूसरे की मेडिकल संसाधनों से मदद कर रहे हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्रसंघ भी हरकत में आए हैं परंतु वर्तमान समय में जरूरत है विश्व व्यापार संगठन को अत्यंत तात्कालिक रूप से सभी सदस्य 160 सदस्य देशों की सम्मिट आयोजित कर कोरोना वैक्सीन से जुड़े बौद्धिक संपदा अधिकार को अस्थाई अवधि के लिए तात्कालिक सस्पेंड करने का प्रस्ताव पास करने की ओर ठोस कदम बढ़ाने की जरूरत है ताकि लाखों लोगों की जो विश्व स्तर पर सांसे अटकी हुई है, उन्हें जीवन दान देनेमें यह ठोस प्रस्ताव पारित कर सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सकता है।
वेदना वृक्ष की…
(आज जब साँस लेने के लाले पड़ रहे हैं तब हमें पता लग रहा है कि, जो असली ऑक्सीजन का स्रोत हैं, वह हमारे वृक्ष ध्वनस्पति हैं। जो अनीति मनुष्य ने की है, परिणाम भी भुगतना तो पड़ेगा। क्या कहता है वृक्ष?)
रचयिता- डाॅ. कमलेश जैन ‘वसंत’, तिजारा
मैं वृक्ष हूँ ‘मनु’ मित्र तेरा, चाहता रहना चिरायु..
रे, मनुज अब भी सम्हल.. मैं हूं तेरी प्राणवायु..
प्रथम युग में कल्पतरु, इस भूमि का दाता बड़ा था..
अहर्निश सब कुछ लुटा, परमार्थ में अर्पित खड़ा था..
मैं ही तेरी औषधि,जीवन मेरा निःस्वार्थ है रे..
छाल-पल्लव, फूल-फल, कण-कण मेरा परमार्थ है रे..
मुझको अपनाकर रहे, आनंदमय ऋषि-मुनि शतायु..
रे, मनुज अब भी सम्हल..मैं हूँ तेरी प्राणवायु..
प्रकृति के सौंदर्य का, मैं ही प्रबल कारण रहा हूँ..
सब रहें नीरोग सुंदर, मैं नियति का प्रण रहा हूँ…
सृष्टिरूपी मल्लिका का, जो सुखद उपहार हूँ मैं..
पशु-पक्षियों का आसरा, वसुधैव का श्रृंगार हूँ मैं..
सकारात्मक पहल…
यह सही है कि इस महामारी के दौर में भयानक रूप से संक्रमित हो रहे लोग और उससे भी भयानक मृत्यु के आंकड़ों ने सभी को भयभीत कर रखा है। ऐसे समय में सरकारी व्यवस्थाएं नाकाम साबित हो रही है। लोग बाग बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों के लिए परेशान हो रहे हैं। जहां लोग आपदा में अवसर तलाश कर भ्रष्टाचार और कालाबाजारी को बढ़ावा दे रहे हैं, जो मानवता को दरकिनार कर संवेदनहीन होकर सिर्फ अपना लाभ अर्जित कर रहे हैं उन्हें इंसान होने का दर्जा कतई नहीं दिया जा सकता है। उन्हें मानव समाज कभी माफ नहीं करेगा। मगर ऐसे विपत्ति के समय में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मरीजों की सेवा में जी जान से जुटे हुए हैं। इन लोगों के सेवा भाव के कारण इंसानियत पर भरोसा टिका हुआ है।
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