‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ यह कहावत इसलिए कही गई कि यदि आपका मन और नीयत साफ है तो वह व्यक्ति गंगा के समान पवित्र है। कुंभ मेले में स्नान की मान्यता है कि गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से पापों का नाश, मोक्ष प्राप्ति और आत्मा की शुद्धि होती है। यह मेला साधु-संतों, गुरुओं और श्रद्धालुओं के मिलन का केंद्र है, जहां ज्ञान, भक्ति और सेवा का आदान-प्रदान होता है लेकिन यह कुंभ स्नान जो 144 साल बाद आया है और जहाँ सबसे ज्यादा भीड़ नजर आ रही है उसे देखकर लगता है कि हर किसी को अपने पाप धोने है या फिर धरती पर पापियों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि कुंभ स्नान के द्वारा पाप धोये जा रहे हैं या फिर लोग नए पाप करने के लिए शक्ति संचय कर रहे हैं क्योंकि इस कुंभ मेले में ज्ञान और साधना का संगम दिखाई नहीं दे रहा है।
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प्रयागराज भगदड़: प्रशासनिक लापरवाही या भक्तों का उन्माद
एक पौराणिक शहर की सीमाओं पर विचार करना चाहिए, जिसे अपनी धार्मिक विरासत को बनाए रखते हुए आठ करोड़ लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। दस लोगों के लिए डिज़ाइन की गई जगह में सौ लोग कैसे रह सकते हैं? यह विचार करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है। इसके अलावा, वीवीआईपी संस्कृति और सरकार के मुनाफे की खोज, जिसमें राजस्व के लिए हर उपलब्ध भूमि को पट्टे पर देना और बिचौलियों को शामिल करना शामिल है, के बीच का सम्बंध मामले को और जटिल बनाता है। यह धार्मिक भक्ति का मामला है, प्रतिस्पर्धा या उन्माद का नहीं।
प्रयागराज में हुई भगदड़ के बारे में सुनना दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान चली गई। यह घटना निस्संदेह विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यापक चर्चाओं को जन्म देगी। विपक्ष आलोचना करेगा, जबकि सरकार अपने कार्यों को सही ठहराने का प्रयास करेगी, लेकिन जो लोग मर चुके हैं उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। प्रयागराज में संगम तट पर वर्ष 2013 के कुंभ मेले के दौरान 10 फरवरी दिन रविवार को मौनी अमावस्या का स्नान था। कुचलने और गिरने से 35 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि दर्जनों लोग घायल हुए थे।
कुंभ की साइंटिफिक व्याख्या
ग्रह के ऊर्जाओं की
मंगलमई बेला
तटिनी पर अमृत की
छवि कुंभ मेला।
हमारे पौराणिक शब्दों के अर्थ अधिकतर सांकेतिक होते हैं। कुंभ की बात करें तो यहाँ कुंभ का अर्थ घड़ा, सुराही या कलश की बजाय पानी से अधिक ताल्लुक रखता है।
वैसे कुंभ का शाब्दिक अर्थ होता है – घड़ा। सरल सी बात है कि जब बात घड़े की हो तो सबसे पहले ध्यान पानी का आता है। जी हाँ, यहाँ संकेत जल का हीं है।
आइए समझते हैं कि कुंभ को नदी के जल या नदी स्नान से क्यों जोड़ा गया है। सबसे पहले जानते हैं कुंभ से संबंधित पौराणिक कथा के बारे में।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद भगवान विष्णु ने मोहिनी वेश धरकर अमृत कुंभ हासिल तो कर लिया परंतु अमृत से भरा हुआ कलश (कुंभ) लेकर जब वह जा रहे थे तो असुरों ने उस कलश को छीनने के लिए भगवान के साथ छीना झपटी की इन्हीं चेष्टाओं के बीच कलश में से अमृत की चार बूँदें छलक कर बाहर पृथ्वी पर गिर पड़ीं। यह अमृत बूँदें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज तथा नासिक में गिरी जिससे ये स्थान तीर्थ बन गए।
प्रतिस्पर्धा के बीच जीवित रहने का संघर्ष करते बच्चे
स्कूली पढ़ाई के बजाय कोचिंग के भयावह दौर में, छात्रों में आत्महत्या की प्रकृति और प्रवृत्ति का नए सिरे से अध्ययन करने की भी बहुत सख्त ज़रूरत है, क्योंकि देश की पूरी युवा बौद्धिक संपदा दांव पर लगी हुई है, जिसके दूरगामी गंभीर नतीजे पूरे राष्ट्र के माथे पर गहरा सिकन ला सकते हैं। युवाओं के कंधे पर स्थापित विकासशील प्रगति का पूरा ढांचा ही भरभरा कर गिर सकता है। छात्रों को इसे चुनौती के रूप में लेते हुए पूरी क्षमता के साथ इसका सामना करना चाहिए। परीक्षा जीवन-मृत्यु का प्रश्न नहीं है। परीक्षा परिणामों को जीवन का अंतिम आधार न मानकर अपनी सफलता की राह स्वयं बनानी होती है। बिना श्रम के जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता नहीं मिलती। अभिभावकों को यह समझना है कि उन्हें अपने बच्चों के साथ कैसा घरेलू बर्ताव करना है।
वैसे तो इस दौर में पूरी युवा पीढ़ी ही भयावह मानसिक व्याधि से विचलित है, इनमें विशेषत: छात्र विचलन गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। हमारे देश में प्रति 100 में 15 से अधिक छात्र आत्महत्या से प्रभावित हो रहे हैं। वे अवसाद, चिंता और आत्मघात से पीड़ित पाए जा रहे हैं। कठिन प्रतिस्पर्धा और पढ़ाई-लिखाई में अनुशासन आदि को लेकर तनाव बढ़ रहा है, उससे न सिर्फ़ शिक्षा व्यवस्था से जुड़े लोगों, बल्कि पूरे समाज की चिंता बढ़ती गई है। पारिवारिक दबाव, शैक्षिक तनाव और पढ़ाई में अव्वल आने की महत्त्वाकांक्षा ने छात्रों के एक बड़े वर्ग को गहरे मानसिक अवसाद में डाल दिया है।
गेमिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उठायें हैं कई महत्वपूर्ण कदम
भारत सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को विनियमित करने और अवैध गेमिंग को रोकने के लिए, और गेमिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
DGGI को विशेष शक्तियाँ प्रदान:
1. अवैध ऑनलाइन गेमिंग वेबसाइटों को ब्लॉक करने की शक्ति
2. जीएसटी चोरी की जांच करने की शक्ति
3. ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की निगरानी करने की शक्ति
गेम एडिक्शन को नियंत्रित करने के लिए:
1. राष्ट्रीय गेमिंग नीति बनाने की योजना
2. ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए दिशानिर्देश
3. गेम एडिक्शन के लिए समर्थन सेवाएं
आखिर प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा का कारण क्या है ?
आंकड़ों के अनुसार, जो लोग आजीविका की तलाश में स्थानीय और क्षेत्रीय सीमाओं के पार जाते हैं, उन्हें अपने मेजबान समाज में स्थायी रूप से बाहरी समझे जाने का अपमान सहना पड़ता है। श्रमिकों को अक्सर टेलीविजन स्क्रीन पर दुखद घटनाओं के पात्र के रूप में दिखाया जाता है, जिससे उनके योगदान और उन्हें प्राप्त मान्यता के बीच का अंतर उजागर होता है। राष्ट्र के बुनियादी ढांचे के पीछे की ताकत होने के बावजूद, राष्ट्रीय महानता के विमर्श में उनकी भूमिका को शायद ही कभी स्वीकार किया जाता है। पॉलिसी शून्य होने के कारण अक्सर असुरक्षित छोड़ दिया जाता है यद्यपि प्रवासी कार्यबल राष्ट्रीय गौरव के प्रत्यक्ष चिह्नों में महत्वपूर्ण योगदान देता है, फिर भी उनके अधिकारों को नियंत्रित करने वाली नीतियों का घोर अभाव है।
मुकद्दर संवार लेता
ईश्वर ने कर्म हुनर साथ भेजा, अब तो समझना तुझे ही होगा।
हुनर कभी जाया नही जाता, अगर शिद्दत से तुमने है सीखा।
बदलाव यहां कौन नहीं कर पाता, जो अपने कर्म धर्म से दूर है होता।
जिंदगी में बदलाव तभी होगा, जब ख़ुद की खूबी पहचान लेगा।
मुकद्दर लेकर वह है जरूर आता, पर मुकद्दर कर्म से ही है पाता।
हर काम बिगाड़ देती है लालसा, अनचाहे अनाचार भी देती है करा।
जिंदगी में सतर्क रहना भी है होता, बदरंग हो जाती है जिंदगी वरना।
वक्त रहते हुनर को पहचान लेता, तेरा मुकद्दर खुद ब खुद संवर जाता।
राष्ट्रीय युवा दिवसः ऊर्जा, उत्साह, और आत्मनिर्भरता का संदेश
हर वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन महान संत और विचारक स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिनके विचार युवाओं के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहे हैं। भारत सरकार ने 1984 में उनके आदर्शों को सम्मान देने हेतु इस दिन को युवा दिवस घोषित किया। इस दिन का उद्देश्य युवाओं में ऊर्जा, उत्साह, आत्मनिर्भरता, और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना को प्रोत्साहित करना है।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’’
यह वाक्य हर युवा को प्रेरित करता है कि वह अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करे और पूरे जोश के साथ उसे प्राप्त करने का प्रयास करे।
गायब होती बेटियाँः आखिर किसकी बन रहीं शिकार ?
हरियाणा के हिसार में लापता बेटी की खोज में परेशान एक पिता ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से मिलने का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस ने सीएम के पास जाने से रोका तो दंपती ने आत्मदाह करने का प्रयास किया। घटना उस समय हुई जब मुख्यमंत्री का काफ़िला हिसार दौरे पर था। पिता ने ख़ुद पर पेट्रोल डालकर आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने उसे समय रहते रोक लिया। गीता कॉलोनी निवासी के अनुसार 29 सितंबर से उसकी 16 साल की बेटी लापता है। थाने में शिकायत देकर गुमशुदगी दर्ज करवा चुके हैं। उसने बताया कि वह गाड़ी चलाता है, बेटी नौवीं कक्षा तक पढ़ी है। बताया कि 29 सितंबर की सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर वह घर से निकली थी। लेकिन लगभग चार माह बाद भी बेटी नहीं मिली। आखि़र कहाँ गायब हो जाती है देश की बेटियाँ? क्यों नहीं ढूँढ पाती बेटियों को हमारी पुलिस? इसने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार के तमाम दावों के बावजूद भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध रुक नहीं रहे हैं। इसका एक मुख्य कारण इस मुद्दे को लेकर सभी राजनीतिक दलों में रुचि की कमी है।
Read More »आखिर क्यों नहीं थम रहा रुपये में गिरावट का सिलसिला ?
निर्यात की तुलना में आयात में वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़ने से विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह बढ़ता है, जिससे रुपया कमजोर होता है। कच्चे तेल और सोने के बढ़ते आयात के कारण 2022 में भारत का रिकॉर्ड व्यापार घाटा रुपये के मूल्यह्रास को बढ़ाता है। भारतीय रुपये में गिरावट बाहरी क्षेत्र की कमज़ोरियों के बीच मुद्रा स्थिरता बनाए रखने की चुनौतियों को रेखांकित करती है। मुद्रा मूल्य में उतार-चढ़ाव वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और पूंजी बहिर्वाह के साथ-साथ राजकोषीय घाटे जैसे घरेलू कारकों से उत्पन्न होते हैं। भारत के बाहरी लचीलेपन को बढ़ाने और इसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए प्रभावी नीतिगत उपाय महत्त्वपूर्ण हैं।