Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

भाजपा की महत्वाकांक्षाओं को बड़ा झटका – पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम विश्लेषण

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने ऐसा चमत्कार कर दिखाया है, जिसकी अधिकांश राजनीतिक पंडितों ने उम्मीद तक नहीं की थी। दरअसल विश्लेषकों के अलावा भाजपा भी यही मानकर चल रही थी कि ममता के दस वर्षों के शासनकाल के दौरान लोगों में उनके प्रति नाराजगी है और राज्य में सत्ता विरोधी लहर है लेकिन तृणमूल ने चुनाव में जबरदस्त कांटे की टक्कर दिखने के बावजूद पिछली बार की 211 सीटों के मुकाबले इस बार 213 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार धमाकेदार जीत दर्ज की है। 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो सीटों पर चुनाव टल जाने के कारण कुल 292 सीटों पर ही मतदान हुआ था। ममता और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए यह अब तक का बेहद कठिन चुनाव था लेकिन तीसरी बार भी रिकॉर्ड बहुमत से चुनाव जीतकर ममता ने भाजपा के सपनों को चकनाचूर कर दिया।

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देश को आज फिर एक सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता है

भारत अब सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की चपेट में है। भीड़ वाले कब्रिस्तानों में कोविड के अंतिम संस्कार के वीडियो के साथ सोशल मीडिया फीड भरा हुआ है, हांफते हुए मरीजों को ले जाने वाली एंबुलेंस की लंबी कतार, मृतकों के साथ बहने वाले मोर्टार, और अस्पतालों के गलियारों और लॉबियों में कभी-कभी मरीज़, दो से ज्यादा एक बिस्तर पर।
भारत महामारी की दूसरी लहर के साथ जूझ रहा है जिसने दुनिया भर में 2020 तक पूरी तरह तबाह कर दिया है। हमारे देश में कई संकट देखे गए जिनमे बड़े पैमाने पर अंतर और अंतर-प्रवासन, खाद्य असुरक्षा, और एक ढहता हुआ स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा। अब दूसरी लहर ने मध्यम और उच्च वर्ग के नागरिकों को भी अपने घुटनों पर ला दिया है। आर्थिक पूंजी, सामाजिक पूंजी के अभाव में, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँचने में अपर्याप्त साबित हुई है। आज बीमारी सार्वभौमिक है, लेकिन स्वास्थ्य सेवा नहीं है।

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कोविड-19 महामारी के शिकार लोगों का सम्मानजनक दाहसंस्कार – मौलिक अधिकार का हिस्सा ?

अंतिम संस्कार के लिए उचित बंदोबस्त का ना होना, अमानवीय बर्ताव की पराकाष्ठा के तुल्य – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से आज कोरोना महामारी ने जो हालात पैदा किए हैं वैसे हालात आज से 100 वर्ष पूर्व पैदा हुए थे। याने सूत्रों की मानें तो हर 100 वर्ष में किसी न किसी रूप में महामारी आती है।… बात अगर हम भारत की करें तो शुक्रवार दिनांक 30 अप्रैल 2021 को प्रधानमंत्री ने अपने संपूर्ण मंत्रिमंडल की बैठक कोरोना पर मंथन के लिए बुलाई और वहां भी कहा कि 100 वर्ष पूर्व ऐसी महामारी देखी थी और सांसदों को अपने कार्य क्षेत्र में समस्याओं का समाधान करने और केंद्र राज्य कोरोना महामारी को हराएगा ऐसी सांत्वना दी। उधर केंद्रीय गृह मंत्री ने भी कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन आयात करने की इजाजत दी है और बंद पड़े मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट और नए प्लांट शुरू कर दिए गए हैं।

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मेडिकल संसाधनों की कालाबाजारी – आपदा में अवसर पाना मानवता पर कलंक

आपदा में कालाबाजारी पर शासन, प्रशासन की अत्यंत तात्कालिक सख़्ती, सामाजिक संगठनों, सेवाभावी व्यक्तियों द्वारा पैनी नजर रखना जरूरी – एड किशन भावनानी
भारत में फैले तीव्रता से कोरोना संक्रमण को देख और मेडिकल संसाधनों की अत्यंत कमी से जूझते भारत की सहायता करने मानवीय दृष्टिकोण से संपूर्ण विश्व आज भारत की ओर दौड़ पड़ा है और तात्कालिक तीव्रता से संसाधन उपलब्ध करवा रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत में अति तीव्रता से कोरोना संक्रमण फैलने से उपलब्ध संसाधनों की अत्यंत कमी हो गई थी और प्रधानमंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री और बुधवार दिनांक 28 अप्रैल 2000 21 को रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री से वार्ता की और विश्व के अनेक देशों अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, दुबई, कुवैत, इजराइल, सिंगापुर इत्यादि अनेक देशों ने अनेक मेडिकल संसाधनों को उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया है

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मौत के तांडव का दोषी कौन

कोरोना संक्रमण दिन प्रतिदिन भयावह रूप लेता जा रहा है| स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से निढाल हो चुकी हैं| चारो ओर हाहाकार और त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ है| इससे नाराज सर्वोच्च अदालत ने देश के हालात आपातकाल जैसे बताये हैं| पूर्णतया पंगु हो चुकी देश की स्वास्थ्य सेवाओं का स्वतः संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस विकट परिस्थिति में हम मूकदर्शक नहीं रह सकते| मद्रास तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस विभीषिका के लिए चुनाव आयोग को दोषी माना है| जबकि दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन संकट पर सवाल उठाते हुए प्रदेश सरकार से कहा कि अब हमारा विश्वास डगमगा गया है|

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समझ लो प्रकृति बदला ले रही है

हम इंसानों ने आज तक प्रकृति को प्रदूषित करने का एक मौका नहीं गंवाया मुफ़्त में मिल रहे हवा पानी ऑक्सीजन हरियाली की लेश मात्र हमें कद्र नहीं।
नदी, तालाब, समुद्र, हवा, पानी, जंगल, आकाश, मिट्टी, जीव, जंतु, वृक्ष सब में जीवन है और सबने हमें कुछ न कुछ दिया ही है, पर हमने बदले में प्रदूषण दिया है शोषण, दोहन किया है। कितने सारे जीव हमारे कारण विलुप्ति की कगार पर है। नदियों में गटर का और फैक्ट्रियों का गंदा जल बहाते है, वृक्षों को काट कर कांक्रीट के जंगल खड़े कर रहे है। समुद्र किनारे घूमने जाते है तो पानी की बोतलें और प्लास्टिक की थैलियां और रैपर दरिया में बहा देते है।

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संसाधनों की कमी से त्रस्त अस्पतालों, मरीजों, पीड़ितों ने न्यायपालिकाओं का रुख किया

कोरोना महामारी की गंभीरता के आंकलन में शासन, प्रशासन, नागरिकों सभी की कमी रही – हौसला बुलंद रख, एकजुट होकर लड़ना होगा – एड किशन भावनानी
कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर में हालांकि पूरा विश्व जूझ रहा है, परंतु इस दूसरी वेव ने भारत पर सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिला है। जिस तरह रोज़ संक्रमितों का आंकड़ा अधिकृत विभाग द्वारा जारी किया जा रहा है वह काफी गंभीर और चिंता का विषय बना हुआ है और इस समस्या को जनता के भय, अफवाहों, जरूरत ना होने पर भी, स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग इत्यादि के कारण और अधिक बढ़ाया जा रहा है।.. उधर देश के नामी 4 डॉक्टरों द्वारा बार-बार जनता के साथ वर्चुअल वार्ता की जा रही है और अफवाहों दवाइयों, इंजेक्शन और ऑक्सीजन की जरूरतों, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत के बारे में जानकारी साझा की जा रही है। मन की बात में प्रधानमंत्री ने भी अफवाहों पर नहीं जाने, डॉक्टरी या विशेषज्ञों की सलाह अनुसार ही काम करने का मंत्र दिया था।

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ज़िंदगियों से खेल रहे है मुनाफाखोर

ज़मीनों के सौदे देखें, प्रॉपर्टी के सौदे भी देखे पर अब ज़िंदगी के भी सौदे होने लगे है। लगता है इंसान का ज़मीर ही मर गया है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों से पूरा देश परेशान है ऐसे में कुछ मुनाफाखोर संक्रमण में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों और ऑक्सीजन की ब्लैक मार्केटिंग करके पैसा बनाने में लगे हुए हैं। इंसान को ऐसी घटिया फ़ितरत पर शर्म आनी चाहिए। लोग यहाँ एक-एक साँस को तरस रहे है, मरिज़ के रिश्तेदार भटक रहे है की कहीं से दवाई और ऑक्सीजन का जुगाड़ हो जाए और आत्मजन को बचा सके, सरकार मुसीबत से जूझ रही है की हर अस्पताल में ऑक्सीजन पहुंचाया जाय। ऐसी स्थिति में कुछ लोग अमानवीय कृत्य करते दवाई और ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहे है।

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इस महामारी के वक्त में क्रिकेट जरूरी की मरीजों का इलाज

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एंड्रयू टाय ने ये कहते हुए आइपीएल लीग से लिव ले लिया की जहाँ भारत में इतनी महामारी के बीच लोगों को दवाई, ऑक्सीजन और बेड नहीं मिल रहे ऐसे में स्पांसर कंपनियां इतने रुपए क्रिकेट पर कैसे लगा सकती है। हम विदेशीयों को क्या-क्या बोलते रहते है, उनकी संस्कृति के बारे में टिप्पणी करते रहते है। पर आज जहाँ हमारे देश वालों के दिल में ये सुविचार नहीं आया वहाँ एक विदेशी ने अपनी संवेदना जता दी।

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‘‘ऑक्सीजन संकट और कहर बरपाती कोरोना की सुनामी: नए-नए स्ट्रेन और म्यूटेंट की चुनौती’’

‘लांसेट’ जर्नल में भारत को लेकर प्रकाशित हुए हालिया अध्ययन में दावा किया गया था कि जल्द ही देश में प्रतिदिन औसतन 1750 लोगों की मौत हो सकती है, जो तेजी से बढ़ते हुए जून के पहले सप्ताह में प्रतिदिन 2320 तक पहुंच सकती है लेकिन कोरोना वायरस के दोहरे म्यूटेशन के कारण भारत में संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है कि मौतों का आंकड़ा नित नए रिकॉर्ड बना रहा है और दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अब सुनामी का दर्जा दिया है। अध्ययन में जहां जून के शुरूआती सप्ताह में प्रतिदिन 2320 तक मौतें होने का अनुमान जताया गया था, वहीं 24 अप्रैल की सुबह तक 24 घंटे में ही 2624 मौतें दर्ज की गई। देश के लगभग सभी राज्यों में कोरोना की नई लहर कहर बरपा रही है और अब ऑक्सीजन की कमी का भयावह संकट समस्या को और विकराल बना रहा है।

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