Friday, September 20, 2024
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आर्टिकल 370 पर श्सुप्रीमश् सुनवाईः शाह फैसल व शहला राशिद ने वापल ली याचिकाएं

राजीव रंजन नाग, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई से पहले 11 जुलाई को आईएएस अधिकारी शाह फैसल और एक्टिविस्ट शहला राशिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिकाएं वापस ले लीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड से अपना नाम हटाने की मांग की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के तौर पर उनके नाम हटाने की अनुमति दे दी।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य नयायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अनुमति मिलने के बाद अब लीड पेटिशन शाह फैसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का नाम बदल जाएगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आर्टिकल 370 की संवैधानिकता पर सवाल खड़े करने वाली याचिकाओं की सुनवाई की अगली तारीख 2 अगस्त तय की है। इस बीच, आईएएस अधिकारी शाह फैसल और पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद शोरा ने 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाएं वापस ले ली हैं।भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज श्री फैसल और सुश्री शोरा को अपनी याचिकाएं वापस लेने की अनुमति दे दी और निर्देश दिया कि उनके नाम याचिकाकर्ताओं की सूची से हटा दिए जाएं।
श्री फैसल पहली बार 2009 में सिविल सेवा प्रवेश परीक्षा यूपीएससी में टॉप करके सुर्खियों में आए थे – ऐसा करने वाले वे पहले कश्मीरी थे। कई सरकारी पोस्टिंग के बाद, उन्होंने कश्मीर में बेरोकटोक हत्याओं के विरोध में 2019 में सेवा से इस्तीफा दे दिया था। एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने केंद्र पर भारतीय मुसलमानों को हाशिए पर रखने और सार्वजनिक संस्थानों को नष्ट करने का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स मूवमेंट के नाम से एक राजनीतिक पार्टी लॉन्च की।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र संघ के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुकी शेहला रशीद 2016 में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए कन्हैया कुमार और उमर खालिद सहित कई छात्र नेताओं की रिहाई की मांग को लेकर आंदोलन के दौरान प्रमुखता से उभरीं थी। कन्हैया कुमार अब कांग्रेस नेता हैं। उमर खालिद दिल्ली दंगों के एक मामले में जेल में हैं। शेहला रशीद बाद में शाह फैसल की पार्टी में शामिल हो गईं थीं।
श्री फैसल उन कश्मीरी नेताओं में शामिल थे, जिन्हें केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद हिरासत में लिया गया था। इस कानून के ख्त्म करने के बाद केंद्र ने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। अगस्त 2020 में जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट ने घोषणा की कि श्री फैसल को उनके अनुरोध पर पार्टी सदस्य के रूप में कार्यमुक्त कर दिया गया है। बाद में शेहला रशीद ने भी पार्टी छोड़ दी थी। पिछले साल, उन्होंने सरकारी सेवा में बहाली के लिए आवेदन किया था और अपना इस्तीफा वापस लेने के ले लिया था। उनका आवेदन स्वीकार कर उन्हें आईएएस सेव में वापस ले लिया गया था। हाल ही में एक ट्विटर पोस्ट में, श्री फैसल ने कहा कि अनुच्छेद 370 अब अतीत की बात है।
उन्होंने कहा, मेरे जैसे कई कश्मीरियों के लिए 370 अतीत की बात है। झेलम और गंगा हमेशा के लिए महान हिंद महासागर में विलीन हो गई हैं। कोई पीछे नहीं जा सकता। केवल आगे बढ़ना है।
आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ लगी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 2 अगस्त से सुनवाई शुरू करेगा। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में हर हफ्ते 3 दिन सुना जाएगा और जल्द से जल्द निपटारे का प्रयास किया जाएगा। 2019 में केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। मोदी सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में 20 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में केंद्र सरकार के इस कदम की संवैधानिकता पर सवाल खड़े किए थे। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ इस बेंच की अध्यक्षता करेंगे।