Saturday, June 29, 2024
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बेटे के दोस्त ने ही शराब के नशे में दरोगा की गोली मारकर की थी हत्या

⇒बेटी की फीस के लिए पैसे न देने पर हुई थी झड़प, एसपी ग्रामीण ने घटना किया अनावरण
फिरोजाबाद। दरोगा पिता की मदद के लिए भेजे गए दोस्त ने ही दरोगा की शराब के नशे में गोली मारकर हत्या कर दी। उसने बेटी की किताब और फीस के लिए दरोगा से पैसे मांगे थे। इसी बात को लेकर उसकी दरोगा से झड़प भी हुई थी। रुपये न देने पर जेब से तमंचा निकालकर गोली मार दी। पुलिस ने हत्या का अनावरण किया है। दरोगा दिनेश मिश्रा की हत्या उनके ही साथ रहने वाले प्राइवेट कर्मचारी धीरज शर्मा उर्फ प्रवीन पुत्र स्व. रामबाबू शर्मा निवासी बी-470 कालिन्दी बिहार फेज-3, थाना ट्रान्स यमुना आगरा ने की थी। मामूली कहासुनी होने पर उसने अपने पास रखे तमंचे से गोली मार दी। इसके बाद बदमाशों द्वारा हत्या की कहानी रच पुलिस और दरोगा की पत्नी को बताया। आरोपी दो दिन तक पुलिस को झूठ बोलकर घुमाने का प्रयास करता रहा, लेकिन अंत में अपने ही बनाए जाल में फंस गया। एसएसपी आशीष तिवारी ने बताया कि पूछताछ में धीरज ने बताया कि वह मूल रूप से ग्राम नगला केवल, कन्थरी थाना शिकोहाबाद फिरोजाबाद का रहने वाला है। उसके पिता पुलिस विभाग में उ.नि. के पद से रिटायर हुए थे, जिन्होंने कालिन्दी विहार आगरा में मकान बनवाया हुआ है। वर्तमान में वह वहीं अपनी माँ व छोटे भाई के साथ रह रहा है। आरोपी ने हाईस्कूल 63 प्रतिशत, इण्टरमीडिएट 82 प्रतिशत एवं बीएससी 78 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण की थी। नौकरी न मिलने पर उसने एक समाचार पत्र में विज्ञापन विभाग में नौकरी की। कुछ समय के बाद वहां से नौकरी छूट गयी। उसके बाद एक ट्रांसपोर्टर के यहाँ नौकरी शुरू की। जहां करीब छह वर्ष तक नौकरी की पढ़ाई खत्म करने के बाद से ही में गलत संगत में पड़ गया था। और शराब पीने का आदी हो गया। शादी के बाद शराब पीने की लत की वजह से पत्नी भी छोड़ कर चली गयी। मेरे एक बच्ची है जिसकी उम्र 7 वर्ष है जो अपनी दादी (मेरी माँ) के साथ आगरा में रहकर पढाई कर रही है। विगत 06 माह से में मृतक उ.नि. दिनेश कुमार मिश्रा के साथ रहकर उनका खाना बनाना, कपडे धोना व अन्य घरेलू कार्य किया करता था। जिसके एवज में दरोगा जी मुझे खाना पीना व खर्चा इत्यादि के पैसे दिया करते थे। विगत दो माह से उन्होंने मुझे कोई पैसा नहीं दिया था। मैंने अपनी बेटी की किताब व फीस के लिये पैसे मांगे तो उन्होंने मुझे मना कर दिया। गुरुवार को उसे सब्जी व घरेलू सामान खरीदना था। वह दरोगा के साथ ही चला गया। जहाँ रास्ते में उसने शराब पी उसके बाद पैसे माँगे तो मेरी उनसे कहा-सुनी हो गयी थी। जिससे मैं अपना आपा खो बैठा। जब हम लोग थाना वापस आ रहे थे तो मैंने दरोगा की मोटर साइकिल रुकवाकर सुनसान जगह देखकर अपने पहने पेंट से तमंचा निकालकर गोली मार दी। तमन्चा मय खोखा कारतूस के पास के बिटौरा में छुपा दिया तथा पुलिस को गुमराह करने के उद्देश्य से घटना को एक्सीडेन्ट कहकर मैने सूचना थाना व दरोगा के परिजनों को दी।