Wednesday, September 18, 2024
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श्री कृष्ण और सुदामा से लें मित्रता की सीख – लवकुश तिवारी

खागा, फतेहपुर। हथगाम नगर के सिठौरा रोड स्थिति लक्ष्मी कांत पाण्डेय (राजा मास्टर ) के आवास में चल रही संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास आचार्य लवकुश तिवारी ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए।
उन्होंने श्री कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा से समझ सकते हैं । उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के बार बार आग्रह करने पर अपने मित्र से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे । द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के सखा हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया । उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। कथा व्यास ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है।
कथा सुनने वालो में लक्ष्मी कांत पाण्डेय, राजू पाण्डेय, आरती पांडेय, मुन्ना लाल गौतम,पावन पांडेय, रमेश पाण्डेय, अरुण कुमार, मोहन अग्रहरी, रामकिंकर पाण्डेय, पिंटू पाण्डेय आदि श्रोतागण मौजूद रहे ।