मथुरा। राष्ट्रीय लोक दल को किसानों की पार्टी कहा जाता है। हालांकि रालोद का जनाधार पश्चिमी यूपी में ही रहा है। विधानसभा और लोकसभा में पार्टी की सीट घटती बढ़ती रहती हैं लेकिन रालोद का जनाधार हमेशा रहा है। यही वजह है रालोद के साथ गठबंधन के लिए सभी राजनीतिक दल लालायित रहते हैं। इस इस समय बालोद इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। लेकिन लगातार इस तरह की बातें भी सामने आती रहती हैं कि भारतीय जनता पार्टी रालोद को अपने खेमे में लाना चाहती है। रालोद खुद कितनी सीट जीत पाती है इससे इतर गठबंधन करने वाली पार्टी की नजर में वोट प्रतिशत रहता है जो कई सीटों पर चुनाव परिणाम बदल सकता है। लेकिन पश्चिमी यूपी में रालोद के मजबूत गढ रहे मथुरा में पार्टी की हालत विगत दशक से खस्ता है। जयंत चौधरी की लोकसभा में मिली जीत को छोड दिया जाये तो रालोद के खाते में कुछ है नहीं, बावजूद इसके रालोद में स्वंभू नेताओं की भरमार है और हूंकार भी खूब है लेकिन परिणाम शून्य के इर्दगिर्द ही मिल रहे हैं। इसकी लिए जानकार पार्टी की रणनीति और नीति को भी जिम्मेदार मान कर चल रहे हैं। मथुरा से राष्ट्रीय लोकदल के जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह भरंगर ने बताया कि राष्ट्रीय लोकदल राजस्थान के भरतपुर विधानसभा से चुनाव लड़ी। जिसमें राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी डॉ. सुभाष गर्ग भारी मतों से विजयी हुए। उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह जीत सभी ब्रजवासियों की है। ये राष्ट्रीय लोकदल की 100 प्रतिशत जीत है। अगर गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल को ज्यादा सीट मिलती तो ये आंकड़ा और अधिक होता। साथ ही उन्होंने कहा कि इतने भारी विरोध के बाद भी राजस्थान व मध्य प्रदेश परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे। ये सब परिणाम उनके कार्यों के नहीं है। उन्होंने कहा कि ये जीत तो ईडी, प्रशासन, ईवीम, धनवल की जीत है लेकिन देश की जनता धीरे धीरे समझ रही है। अभी युवाओं को भी समझ में आएगा। जब वो 22 साल की उम्र में रिटायर होकर घर आ जाएंगे। तब उनके पास रोज़गार के कोई विकल्प नहीं होंगे। सरकार की प्रलोभन कारी नीतियों के दुष्परिणाम कुछ समय बाद आने पर लोगो की समझ में आ जाएगा। गठबंधन 2024 के चुनाव को दमदारी से लड़ेगा और केंद्र सरकार में गठबंधन की सरकार बनेगी। हालांकि रालोद की रणनीति और चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाले प्रयासों पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।