Sunday, July 7, 2024
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सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

फिरोजाबाद, जन सामना संवाददाता। दयाल महिला पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में उत्तर प्रदेश की संस्कृति में लोक उत्सव और मानव मूल्य विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का विधिवत समापन सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ।
कार्यक्रम का आगाज दाऊ दयाल शिक्षण संस्थान की छात्राओं द्वारा राधा-कृष्ण के नृत्य पर मनमोहक प्रस्तुती देकर किया। संगोष्ठी के अंतिम दिन तकनीकी सत्र में मंचासीन अतिथियों में प्रोफेसर डॉ अनुपमा चतुर्वेदी ने उत्तर प्रदेश की संस्कृति पर विस्तृत से चर्चा की। डॉ नीलम सिंह ने अपना शोध पत्र वाचन कर उत्तर प्रदेश की संस्कृति से जनमानस को रूबरू कराया। संस्था की प्राचार्या ने कहा कि उत्तर प्रदेश की पावन धरा भगवान राम और कृष्ण की जन्मस्थली है। यहां की मिट्टी के कण-कण में हमारी संस्कृति का वास है। यहां के रीति-रिवाज परंपराओं, संगीत एवं कला के माध्यम से वैश्विक स्तर पर हिंदुस्तान ने अपना परचम लहराया है।प्रो सुनीता रानी घोष हिन्दी विभाग, आगरा कॉलेज आगरा ने कहा कि वैदिक काल से ही उत्तर प्रदेश की संस्कृति में संगीत, नृत्य, वास्तुकला एवं स्थापत्य कला आदि के माध्यम से भारतीय समाज में सत्यम, शिवम, सुंदरम की स्थापना की जाती रही है। उन्होंने कहा कि ब्रज प्रांत में खेली जाने वाली होली में रंगों का विशेष महत्व है। उन्होंने अलग-अलग रंगों की विशेषता भी बताई। बीडीएम कॉलेज शिकोहाबाद की प्राचार्या प्रोफेसर गीता यादवेन्दु ने कहा कि हमारी संस्कृति ही हमारी संस्कृति की संवाहक है। जिसके द्वारा हम आदिमानव से महामानव तक का सफर तय कर पाए हैं। मुख्य वक्ता डॉ नीतू गुप्ता ने कहा कि लोक जीवन में संस्कृति और समाज एक दूसरे के पूरक हैं। वहीं प्रोफेसर संजीव भारद्वाज ने आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक की संस्कृति के स्वरूप पर वृहद प्रकाश डाला। तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में में उच्च कोटि के लगभग 375 शोध पत्रों का वाचन किया गया।