Thursday, July 4, 2024
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भगवान की सेवा से ही सब कुछ पाया जा सकता हैः स्वामी शुकदेवानंद

फिरोजाबाद। अखिल भारतीय सोहम महामंडल के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा एवं संत सम्मेलन के तृतीय दिवस पर सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज ने कहा कि मनुष्य को अच्छे कर्मों से यश और धर्म पुण्य की प्राप्ति होती। उन्होंने कहा कि मानव जीवन महत्वपूर्ण है। इसके लिए देवता भी तरसते हैं। प्राणी मात्र को भजन और भक्ति निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए। जीवन में सहज भाव अति आवश्यक है व्यक्ति को अपना कर्तव्य, बुद्धि, विवेक के साथ करना चाहिए। अच्छे कर्मों से मनुष्य को यश और धर्म पुण्य की प्राप्ति होती है व्यक्ति को जो मिला है उसमें संतोष कर वैराग्य के पृति भी जागृत होना चाहिए। इसी में परम शांति प्राप्त होती है। महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानंद ने कहा कि हनुमान जी ने भगवान राम की भक्ति करते हैं उसी प्रकार हम सबको करनी चाहिए। जैसे एक पिता अपनी पुत्र की देख रेख करता है उसी प्रकार यदि हम भगवान के ऊपर भरोसा करेंगे तो भगवान हम सभी पर पिता की तरह देखरेख रखेंगे। उन्होंने आगे कहा कि जीव ब्रह्म का संबंध अभेद है भगवान की सेवा से ही सब कुछ पाया जा सकता है। स्वामी ज्ञानानंद, वेदांताचार्य स्वामी अनंतानंद, स्वामी परमानंद, स्वामी प्रज्ञानंद, स्वामी नारायण आनंद, स्वामी भगवतानंद, स्वामी निगमानंद ब्रह्मचारी अरुण स्वरूप आदि संतों ने भी भक्तों का मार्गदर्शन किया। वहीं श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य राम गोपाल शास्त्री ने ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र तथा वामनअवतार की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान की भक्ति में कोई लोभ नहीं होना चाहिए। भक्ति में एकाग्रता होनी चाहिए। जिस बालक ध्रुव एवं भक्त प्रहलाद ने अपनी छोटी उम्र में मोह माया त्याग कर भक्ति में मन को लगा दिया। फलस्वरूप उन्हें भगवान की प्राप्ति हुई। भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग में समस्त साम्राज्य ले लिया। कथा के अंत में मुख्य यजमान संजय शर्मा एवं पूनम शर्मा व यज्ञपती सौरभ तिवारी एवं नेहा तिवारी ने आरती कर प्रसाद वितरण कराया।