Thursday, May 2, 2024
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‘‘मानव सुधार पत्रिका‘‘ के विचोचन के अवसर पर मानव जीवन में वनस्पतियों की महत्वा बताया गया

2017.09.09 02 ravijansaamnaदिल दिया है जान भी देंगे ये वतन तेरे लिये, हम जियेंगे और मरेंगे तेरे लिये… देश भक्ति गीत की हुई आर्कषक प्रस्तुति
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। मानव जीवन में वनस्पतियों की महत्वा अधिक है इसके प्रति सभी को सचेत रहना होगा। पेड़ पौधे, वनस्पतियां अपने हित और अहित विपरीत गुणधर्म को जानती और समझती है वे अपने साथ गुण धर्म के छत्रों के आड़ पाते ही विपरीत भाव देने लगते है जो मानव प्रणाली के लिए घातक होता है। एक कहानी के अनुसार सीता द्वारा लगायी गयी पंचवटी में दूसरे ग्रुप द्वारा नागफनी का वृक्ष रोप दिया गया था। जिसका परिणाम यह रहा कि वहां की समान गुणधर्म वनस्पतियां भी विपरीत भाव देने लगी और सीता के मन में भी मृग स्वर्ण का दिखने लगा जबकि राम सहित सभी जानते थे कि मृग स्वर्ण का नही होता है किन्तु विमोहवस व सीता की बात मानमारने दौड जाते है जिसका परिणाम दुखत होता है अतः वनस्पतियों के महत्वां के साथ ही सचेत रहना भी जरूरी है। किसी भी राष्ट्र, समाज, व्यक्ति अथवा परिवार के सभ्यता ही विकास का स्तर इस बात पर निर्भर होता है कि वहां के निवासी वनस्पतियों के संबंध में कितने चेतन्य जानकारी और सम्वर्धनी तत्पर्यता रखते है वनस्पतियां मानव जीवन की कार्यदायी ऊर्जा ओर औसत स्वस्थ्य आयु का निर्धारण करती है। व्यक्ति कितना निरोग और स्वस्थ्य रहेगा लंबी आयु का होगा इसका एक प्रकार से मापदण्ड परिवेशीय वनस्पतियां ही निर्धारण करती है। ज्ञानी महापुरूषों की ज्ञान की प्राप्ति वनस्पतियों से सजे स्थल पर ही आसानी से संभव हो जाती है पुराणों, स्मृतियों, धर्मगन्थों में वृक्षों और वनस्पतियों के असीम महात्म्य धनात्मक संकेत मिले है। मानव जीवन जगत का एक समाजिक प्राणी है। तहसील डेरापुर, खुजर्रा गांव में खेतों और प्रचूर वनस्पती जगत के मध्य सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार ने गांव के खुजर्रा निवासी रामस्वरूप यादव द्वारा लिखी गयी ‘‘मानव सुधार पत्रिका‘‘ के विचोचन के अवसर पर कही। पुस्तक के लेखक रामस्वरूप यादव ने सहज और सरल भाषा में ग्रामीण परिवेश, रहन सहन, गांव में प्रदूषण रहित असीम जीवन की संभावनाओं का जहां जिक्र किया है वहां बताया है कि मनुष्य के अन्तर्रात्मा में भगवान होते है परन्तु इंसान उसको खेाज नही कर पाते या बिलंब करते है। उद्दाहरण देते हुए बताया कि कस्तूरी मुण्डल बसै मृग ढूंटे वन माहि ऐसे घट-घट राम है दुनिया देखे नाहि। अन्धविश्वास पर भी करीरदास जी की दोहें के माध्यम से जिक्र किया है दुनियां एंसी बावरी पत्थर पूजन जाय, घर की चकिया कोई न पूजे जिसका पीसा खायंे, पाहन पूजै हरि मिलै तो पूजूं मै पाहन। चाते तो चाकी भली जिसका पीसे खाय संसार।। आडंबरों से बचने के लिए कबीरदास जी के दोहों को अपनी पुस्तक में समावेश किया है कांकर पाथर जोड़ के मस्जिद दई बनाया। ता चढ़ मुल्ला बाग दे क्या बहरा हुआ खुदाय।। उन्होंने संतोषप्रद् जीवन व्यक्ति के लिए अच्छा बताया है। इस पर कह है कि महात्मा बुद्ध ने कहा कि जिस प्रकार वीणा के तार को इतना मत कसो की वह टूट जाये और न ही इतना ढीला रखों कि वीणा न बजे, मध्यम मार्ग अपनाने पर बल देते हुए कबीरदास जी के दोहे को किताब में समावेश करते हुए कहा कि सांई उतना दीजिये जितना गेह समाय, मैं भी भूंखा न रहूॅ, साधु भी न भूखा जाये। राम स्वरूप यादव लेखन ने गांव में जो दिक्कते है उसका भी जिक्र करने के साथ ही उसका निदान भी बताया है कुछ समस्यायें बतायी है और कहा है कि इनमें से अधिकांश समस्याओं का वर्तमान भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने समाधान कर दिया है जिसका पुस्तक में अनावश्यक प्रिटिंग हो गयी है जिसके लिए उन्होंने खेद भी जताया है। उपस्थित एनएसीसी कैड्ड व शालिनी यादव ने बताया कि गांव के परिवेश में लेखक द्वारा लिखी गयी पुस्तक प्रेरणादायक है साथ ही इसका विमोचन ग्रामीण प्रवेश में हो रहा है यह भी एक खुशी की बात है। पुस्तक विमोचन अवसर पर ग्रामीणों ने देश भक्तिगीत दिल दिया है जान भी देंगे ये वतन तेरे लिये, हम जियेंगे और मरेंगे तेरे लिये, तेरी खुशी मेरी हंसी बस आज है आदि भाव पूर्ण गीतों की प्रस्तुति भी की। पुस्तक विमोचन के अवसर पर लेखक रामस्वरूप यादव ने अपनी पुस्तके ग्रामीणों को भेट की। वहीं सरकार के फसली ऋण मोचन योजना अन्तर्गत प्रमाण पत्र वितरण की कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि फसली ऋण मोचन द्वितीय चरण के लाभ के लिए जो इस योजना के पात्र लाभार्थी किसान है वे अपना आधार कार्ड दो दिन के भीतर जिस बैंक से किसान ने ऋण लिया है उस बैंक के शाखा प्रबन्धक को आधार कार्ड की छायाप्रति देकर लिंक करा ले। किसान योजना हेतु पात्रता रखते है उनके ऋण मोचन सहायता प्रणाली के तहत आधार कार्ड से भी लिंक करवाना जरूरी है अतः जिनके पास आधार कार्ड नही है वे किसान शीघ्र ही आधार कार्ड बनवा ले। उन्होंने पात्रता बताते हुए कहा कि लघु एवं सीमान्त किसानो द्वारा 31 मार्च 2016 तक के लिए गये फसली ऋण में वर्ष 2016-17 में जमा की गयी धनराशि को घटाते हुए 31 मार्च 2016 तक बकाया धनराशि का रूपये 1 लाख सीमा तक ऋण मोचन योजना हेतु पात्रता रखी गयी है। उन्होंने कहा कि 11 सितंबर को फसल ऋण मोचन योजना अन्तर्गत कार्यक्रम स्टेडियम में किया जाना है जिसमें प्रथम चरण में 5 हजार पात्र किसान जिनका बैंक में आधार कार्ड लिंक है उनको शामिल किया गया है। शेष द्वितीय चरण में किया जायेगा।