फिरोजाबाद। महावीर जिनालय छदामीलाल जैन मंदिर में चातुर्मास कर रहे आचार्य वसुनंदी महाराज ससंघ के सानिध्य में नित्य प्रतिदिन धर्म की वर्षा हो रही है। जिसमे सैकड़ों भक्त उपस्थित होकर अपने जीवन को धन्य बना रहे है।
आचार्य श्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिसका जन्म हुआ है उसका मरण सुनिश्चित है। चाहे देव हो या नारकी, चाहे भोग भूमि से हो या कर्मभूमि से, चाहे मनुष्य हो या तिर्यंच (जानवर) मरना सबका सुनिश्चित होता है। यह तक कि तीर्थंकर आदि महापुरुष हुए उनका भी मरण सुनिश्चित था, किंतु उनके मरण को मरण ना कहकर महामरण, निर्वाण, मृत्यु, मृत्युंजय आदि शब्दो से संबोधित किया जाता है। किंतु ये धारणा है कि मूर्ख जीव ऐसा मानता है मरने के बाद उन्हें यमराज ले जाता है, परंतु जब आयु का बंद हो जाता है तब जीव को एक शरीर को छोड़ कर दूसरे शरीर को ग्रहण करना पड़ता है। इंसान को जन्म जरा मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष मार्ग की खोज करनी चाहिए। एवं मोक्ष पद को प्राप्त करना चाहिए। तभी मनुष्य इस शरीर की मलयुक्त काया से मुक्त हो सकता है। आचार्य श्री ने आगे कहा की मनुष्य को वैराग्य, तप और आत्मध्यान का खेल खेलना चाहिए तभी वह अपने कर्मो से मुक्त हो सकता है। अंत में चातुर्मास समिति ने आचार्य श्री की जन्मभूमि मनिया से आए मोतीराम को पीत दुपट्टा पहना कर स्वागत सत्कार किया।