लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल द्वारा ‘माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी और सतत विकास’ विषय पर लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया। यह पुस्तक विश्वविद्यालय के एन्वॉयरमेंटल माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रो. राम चंद्रा, अंजलि चौधरी एवं सना बानो द्वारा लिखी गयी है। यह पुस्तक माइक्रोबायोलॉजी, इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी एवं पर्यावरण विज्ञान के छात्रों की मांग को पूरा करने के मद्देनजर तैयार की गई है । यह पुस्तक इलाइट पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली से प्रकाशित है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने लेखकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और इसे विश्वविद्यालय के लिये गौरव का विषय बताया।
पुस्तक के लेखक प्रो. राम चंद्र, अंजलि चौधरी और सना बानो का कहना है कि इसकी सामग्री उद्योग, कृषि और स्वास्थ्य रखरखाव जैसे विभिन्न क्षेत्रों में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध छात्रों के कौशल विकास में सीधे योगदान देगी। इसके अतिरिक्त, माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, शहरी कचरा के उपचार और उद्योग दोनों के सतत विकास के लिए मददगार होगी। इसके अलावा पुस्तक का ज्ञान विभिन्न मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन में फायदेमंद होगी।
पुस्तक में मुख्य रूप से माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी की अवधारणा और सतत विकास में इसकी भूमिका, पर्यावरण प्रदूषकों का विघटन, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों का जैविक उर्वरक उत्पादन एवं खाद बनाना औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए विभिन्न बायोरिएक्टर से सम्बंधित विषय केंद्रित किया गया है, जो औद्योगिक और पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सूक्ष्म जैविक प्रौद्योगिकी (माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी) की मूल अवधारणा को समझने के लिए बहुत आवश्यक है। पुस्तक की भाषा बहुत सरल है ताकि अधिकांश पाठक माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी को समझ सकें। यह पुस्तक माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग के स्नातक, स्नातकोत्तर और युवा शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी होगी।