कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिलाधिकारी कुमार रविकान्त सिह ने निर्देश दिए हैं कि डीईआईएए एवं डीईएसी समिति के सदस्य/विशेषज्ञ जिला स्तर पर लघु खनिजों के खनन हेतु पर्यावरण स्वच्छता का प्रमाणपत्र दिए जाने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि सम्बन्धित की पत्रावली पूरी तरह ईको प्रो है या नहीं। इसके अलावा खनन एरिया के चारों ओर की जीपीएस फीडिंग कराएं तथा केएमएल पत्रावली गूगल मैप पर भी अपलोड करवाएं। वन भूमि से नियमानुसार दूरी बनी रहे अन्यथा की दशा में जैव विविधता नियमों का उल्लंघन माना जाएगा जिसके तहत 10 लाख रूपये का जुर्माना व 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान जैव विविधता एक्ट में है।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व अमर पाल सिंह ने कलेक्टेªट सभाकक्ष में आयोजित बैठक में वन विभाग के डीएफओ डा0 राजीव मिश्रा, उप निदेशक कृषि आर0 के0 तिवारी, खनन निरीक्षक, पर्यावरण अधिकारी आदि को निर्देश दिए कि वे प्रस्तुत 23 प्रस्तावों को एक बार फिर से अध्ययन कर लें। यदि कहीं किसी भी स्तर पर कोई कमी रह गयी हो तो उसे समय से दुरूस्त कर लें। उन्होंने कहा कि मा0 न्यायालय व प्रदेश सरकार खनन के प्रति पूरी तरह से संवेदनशील है। खनन सम्बन्धी जो भी कार्य हों वे नियमानुसार व विधिसम्मत होने चाहिए। बैठक में उप निदेशक कृषि व डिप्टी डीएफओ ने चर्चा के दौरान पूछा कि सोडिक लैण्ड तथा एल्केलाइन जिसकी पीएच 10 से 12 है उसकी क्या कार्य योजना है। इस मौके पर अन्य बिन्दुओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में डिप्टी डीएफओ मुकेश शर्मा, गुलाम बाबू, शैलेन्द्र यादव आदि सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।