Saturday, May 4, 2024
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टीबी बीमारी एवं सीबीनाॅट मशीन की जाॅच के प्रति किया जागरुक

हाथरसः जन सामना ब्यूरो। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनिल सागर वशिष्ठ के निर्देशन में आरएनटीसीपी के अन्तर्गत जिला स्तर पर भारत स्काउट गाइड रैली को श्री दौलतराम बारहसैनी इन्टर कालेज के मैदान पर छात्र छात्राओं  तथा स्टाफ को टीबी बीमारी के लक्षण, जांच व उपचार आदि से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी जिला पब्लिक प्राइवेट मिक्स कोर्डिनेटर मनोज कुमार उपाध्याय द्वारा प्रदान की गयी। उन्होंने कहा कि टीबी के मुख्यतः सामान्य लक्षण हैं दो सप्ताह से खॅासी व खाॅसी के साथ बलगम एवं बलगम में खून का आना, रात को पसीना आना, सीने में दर्द का होना, बजन कम हो जाना, भूख कम लगना एवं सुबह शाम हल्का बुखार रहना या अधिक समय से बुखार का बना रहना। जिला पीपीएम समन्वयक ने बताया कि 80 से 85 प्रतिशत रोगी फेंफड़े की टीबी के होते हैं जो कि बीमारी फैलाने के मुख्य कारक हैं। लेकिन यह बे्रन, यूटरस, मुहॅ, लीवर, किडनी, गला, हड्डी, नाखून व सिर के बालों में भी हो सकती है। यह खाॅसने, छींकने के दौरान मुॅह से निकलने वाली वारीक बूंदों से इन्फेक्शन फैलता है। जो बारीक बूदें होती हैं उनको ड्रोपलेट्स कहते हैं एक छोटी से छोटी ड्रोपलेट्स में लगभग 30 हजार माइक्रो बैक्टीरिया होते हैं जो टीबी फैलाने के मुख्य कारक होते हैं। टीबी का बैक्टीरिया शरीर के जिस भाग में होता है उसके टिशू को पूरी तरह नष्ट कर देता है। यूटरस में है तो बांझपन की वजह बनती है, हड्डी में है तो हड्डी को गला देती है। बे्रन में है तो मरीज को दौरे पड़ सकते हैं। आंत की टीबी के लक्षणों में पेट में दर्द का होना, सूजन आना एवं आंत का फट जाना। पीपीएम ने कहा कि आप अपने घर पर कच्चे दूध का सेवन कदापि न करें। दूध को सही प्रकार उबाल कर उपयोग में लायें क्योंकि दूध में भी टीबी के बैक्टीरिया हो सकते हैं। दूध को सही प्रकार से उबालने पर टीबी के बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। यदि मरीज टीबी की औषधियां छोड़ छोड़कर या कम मात्रा में खाये तो दवा प्रतिरोधी (एमडीआर) टीबी हो सकती है। यदि बलगम में टीबी निकलती है तो उस मरीज की दवायें उन्हीं जाॅच केंद्रों से निःशुल्क शुरु कर दी जाती है।