Monday, April 29, 2024
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अतिक्रमणकारियों के आगे लाचार है जिले का प्रशासन

-साइकिल ट्रैक पर अवैध कब्जा, प्रशासन दे रहा है मौन स्वीकृति
-सत्ता के दबाव में आकर अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही नहीं कर पा रहा है स्थानीय प्रशासन
रायबरेलीःजन सामना ब्यूरो। सत्ता की हनक के साथ पार्टी के नेताओं का समर्थन प्राप्त हो तो कही भी कब्जा करना आसान हो जाता है। फिर चाहे वह शहर के बीचों बीच डिग्री काॅलेज चौराहा ही क्या न हो। यहाॅ पर पुलिस चौकी भी बनी हुई है, और यहीं से शासन प्रशासन के आलाधिकारी रोज सैकड़ों बार गुजरते है। लेकिन किसी को साइकिल ट्रैक पर अवैध कब्जा नजर नहीं आता है। आयें दिन भयंकर जाम की स्थित बनी रहती है फिर भी प्रशासन इस अवैध कब्जे को हटाने की जहमत नहीं उठा पा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि साइकिल ट्रैक पर कब्जा तो स्थानीय प्रशासन ही करवाता है। बिना उसके सहमति से कब्जा करना आसान नहीं है। यहाॅ पर जो सब्जी की दुकान खुली है यह स्थानीय प्रशासन की देन है। प्रशासन की बदौलत ही यह दुकान चल रही है। अगर प्रशासन चाह ले तो यह दुकान रातो रात हट जाये, लेकिन प्रशासन को उससे आमदनी होती है। इसी लिए प्रशासन इसे नहीं हटवाता है। दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि यह दुकान हरिओम सोनकर की है जिसकी जान पहचान सत्तासीन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से है। शायद इस लिए भी प्रशासन उससे नहीं बोलता है। यहीं कारण है कि आज प्रशासन की मौन स्वीकृति की बदौलत ही यह दुकान चल रही है। इस दुकान सें रोज प्रशासनिक अधिकारियों के यहाॅ सामान जाता है। और जिले के नामचीन लोग यहाॅ से सामान ले जाते है। उन्ही सब लोगों का दबाव प्रशासन पर बना रहता है। इस दुकान से प्रशासन को अच्छी खासी इनकम भी होती है। नहीं तो चैराहे पर भला कौन इतनी तगड़ी दुकान चला सकता है। वह भी साइकिल ट्रैक पर सरकारी जगह पर। साइकिल ट्रैक इस लिए बनवाया गया कि शहर के सम्मानित बयोबृद्व लोग रोज सुबह मार्निगवाॅक के लिए साइकिल से इसी साइकिल ट्रैक पर साइकिल चलाकर स्वास्थ्य जीवन जीयेंगे। सरकार ने इस योजना पर लाखों रूपयें खर्च कर डालें। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता की वजह से साइकिल ट्रैक पर अतिक्रामणकारियों द्वारा अवैध तरीके से कब्जा जमा रखा है। इस ओर किसी भी सम्बन्धित अधिकारी एव जिम्मेदार अधिकारी की नजर नहीं जाती है। विकास प्राधिकारण के अधिकारी भी मौन है, डीएम अभय कुमार खत्री भी देखकर अनदेखा कर रहे है। जिले के आलाधिकारी भी इस अतिक्रमणकारी के आगे नतमस्तक दिखाई पड़ रहे है। ऐसा लगता है सत्ता के दबाव में आकर इस अतिक्रमणकारी पर कार्यवाही से अधिकारी पीछे हट रहे है अब देखना यह है प्रशासनिक अधिकारियों पर एक व्यक्ति भारी पड़ता है या फिर एक व्यक्ति पर प्रशासन भारी पड़ता है।