Wednesday, May 8, 2024
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कुपोषण को भगाने के लिए शबरी संकल्प योजना हुई लागू

कानपुर देहातः जन सामना ब्यूरो। विकास भवन आर्डिटोरियम हाल माती में शबरी संकल्प अभियान के अन्तर्गत पोषण पखवाडा कार्यक्रम जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी केदारनाथ सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, आंगनबाड़ी, पंचायती राज विभाग, आईसीडीएस, ग्राम्य विकास, खाद्य विभाग, जिला कार्यक्रम विभाग आदि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों से कहा कि कुपोषण के परिदृश्य के दृष्टिगत विभिन्न विभागीय कार्यक्रमों में कन्वर्जेन्स स्थापित करते हुए प्रदेश में कुपोषण की रोकथाम हेतु शबरी संकल्प अभियान संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इस अभियान के अन्तर्गत जहां एक ओर लाभार्थियों को सेवाओं की उपब्धता सुनिश्चित करायी जायेगी वहीं विभाग के आधारभूत ढांचे एवं अनुश्रवण व्यवस्था को भी सृदृढ़ीकृत किया जायेगा। यह अभियान विभिन्न स्तरों पर कन्वर्जेन्स माडल के माध्यम से कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कुपोषण को भगाने को लेकर शबरी संकल्प योजना लागू की है इस योजना में 0 से 3 वर्ष तक के बच्चों की वजन दिवसों में पाये गये कुपोषित अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी लाने को लेकर यह योजना शुरू की गयी है इसमें शासन ने दिसम्बर 2018 तक कुछ बच्चों में अनिवार्य रूप से ऐसे कुपोषण वाले जनपद में 2 प्रतिशत ही बच्चे दिखे शेष बच्चे 98 प्रतिशत बच्चों का सुपोषण हो सके। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया तेज हो चुकी है अभियान को तेज किया जायेगा जिससे जनपद में बच्चों को सुपोषित बनाया जा सके। जनपदीय अधिकारियों द्वारा कम से कम दो-दो गांव को गोद लेते हुए उस गांव को छः माह की अवधि में कुपोषण मुक्त बनाना, मेगा काल सेन्टर के माध्यम से वीएचएनडी सत्रों कें सलग्न कर्मियों एवं ग्राम प्रधानों को काल करते हुए वीएचएनडी सेवाओं का आउटकम आधारित बनाना।
मुख्य विकास अधिकारी केदारनाथ सिंह ने कहा कि कुपोषित बच्चों की आनलाइन टैकिंग ई-शबरी पर जैसे पीले व लाल श्रेणी के 0-3 वर्ष के बच्चों की मासिक टैªकिंग तथा सूचना की वेबसाइट पर फीडिंग, वनज दिवस 2017 के दौरान चिन्हित बच्चों की संख्या के आधार पर बेसलाइन का निर्धारण, आंगनबाड़ी केन्द्रों का सुदृढीकरण में सभी केन्द्रों पर शौचालय, बिजली व पीने के पानी की व्यवस्था, समुदायिक पोषण सम्बन्धी जागरूकता दिवस-बचपन, लाडली एवं ममता दिवस में पोषाहार वितरण के साथ साथ प्रत्येक केन्द्र पर पोषाहार से बनने वाले व्यंजनों का माह में कम से कम एक बार प्रदर्शन, सघन मोबिलाइजेशन करते हुए आशा के साथ मिलकर कम से कम एक सामुदायिक बैठक ग्राम स्तर पर बचपन, लाडली या फिर ममता दिवस के दिन होनी है। उन्होंने कहा कि ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस पर स्वास्थ्य व पोषण सेवायें जिनमें से गर्भावस्था के दौरान मिलने वाली सेवाओं पर विशेष फोकस, पुनः वनज व अति कुपोषित बच्चों की स्क्रीनिग पर विशेष ध्यान, ग्राम प्रधान की प्रतिभागिता, मेगा काल सेन्टर के माध्यम से सेवाओं में सुधार, कुपोषण मुक्त गांव जिसमें से प्रत्येक नोडल अधिकारी द्वारा कम से कम दो राजस्व गांवों को छः माह के अन्दर कुपोषण मुक्त करना, प्रत्येक माह दोनों गांवों का अनिवार्यतः भ्रमण कर प्रगति की मासिक रिपोर्ट अपलोड करना तथा मासिक जिला पोषण समिति की बैठक में मासिक बैठक, शबरी अभियान की प्रगति पर चर्चा, कार्यवृत्त को हर माह अपलोड करना होगा।
जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश यादव कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग में गर्भवती महिलाओं को एमसीटीएस रजिस्ट्रेशन और मासिक प्रसवपूर्व जांच (वनज, हीमोग्लोबिन, पेट की जांच, पेशाब की जांच), एक घण्टे के अन्दर नवजात शिशुओं को स्तनपान शुरू कराना सुनिश्चित होना, आईसीडीएस के तहत आंगनबाडी केन्द्र पर निर्धारित मात्रा में मासिक अनुपूरक पोषाहार पाने वाली गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण, आंगनबाडी केन्द्र पर 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को निर्धारित मात्रा में मासिक अनुपूरक पोषाहार उपलब्ध कराना, पंचायती राज विभाग के माध्यम से खुले में शौच मुक्त गांव बनाना, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सुरक्षित जल (बोरिंग) की उपलब्धता सुनिष्चित कराना, ग्राम सभा द्वारा उक्त कार्यवाही की मासिक समीक्षा कराना तथा ग्राम्य विकास विभाग में मनरेगा योजना के अन्तर्गत कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों के परिवार के सदस्यों जाॅब कार्ड उपलब्ध कराना, खाद्य विभाग के माध्यम से पीडीएस योजना के अन्तर्गत कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों के परिवारों को राशन कार्ड उपलब्ध कराना, उक्त परिवारों को पीडीएस योजना के अन्तर्गत अनुमन्य मात्रा के अनुसार खाद्यान्न प्राप्त होना सुनिश्चित कराना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुपोषण की रोकथाम हेतु मातृ-शिशु मृत्यु दर व मातृ-बाल कुपोषण में कमी लाते हुए कुपोषण-मुक्त गांव बनाये जा रहे है। इस प्रयास के अन्तर्गत पोषण विशिष्ट (गर्भावस्था के दौरान देखभाल, स्तनपान, एनीमिया आदि) तथा पोषण संदेवदनशील (स्वच्छता, शिक्षा, आजीविका) हस्तक्षेपों को समाहित करते हुए इन हस्तक्षेपों को लागू करने वाले विभागों द्वारा चलाई जा रही है विभिन्न योजनाओं के लिए मानक एवं स्कोरिंग निर्धारित करते हुए एवं राजस्व गांव को इकाई लेकर वहां संचालित उक्त गतिविधियों का प्रभावी क्रियान्वयन एवं सघन अनुश्रवण कर गांवों को चरणवद्ध रूप से कुपोषण-मुक्त गांव बनाया जाना है। प्रदेश में प्रथम चरण में कुल 7000 गांव को कुपोषण-मुक्त गांव बनाया जाना है। इस पहल का उद्देश्य विभिन्न विभागीय कनर्वेन्स परिचालित माडल का प्रदर्शन करना है। इस पल में चयनित किये गांवों मे जो अधिमानतः खुले में शौच मुक्त गांव भी होंगे में किए गये काम को आगे जिले में प्रतिकृति और उत्कृष्टता के माडल का प्रदर्शन करने के लिए पनाया जायेगा। इस मौके पर डीडीओ अभिराम त्रिवेदी, जिला पंचायती राज अधिकारी अजय कुमार श्रीवास्तव, स्वास्थ्य विभाग से निवेदिता, डीपीसी विमल कुमार ने भी कुपोषण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर स्वास्थ विभाग, शिक्षा विभाग, आंगनबाड़ी, पंचायती राज विभाग, आईसीडीएस, ग्राम्य विकास, खाद्य विभाग आदि विभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे तथा स्क्रीन के माध्यम से भी जानकारी दी गयी।