Thursday, March 28, 2024
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भीषण जाड़े से प्रभावित हुआ जनजीवन

चकरनगरः इटावा। ‘धन के पंद्रह मकर पचीस, चिल्ला जाड़े हैं चालीस।’ यह बुजुर्गों की बनाई कहावत कहीं गलत नहीं है। इस समय ठंड अपनी यौवना अवस्था पर है जिसके चलते पशु-पक्षी, वृद्ध पुरुष-महिला बुरी तरह प्रभावित है। यहां तक कि ठंड के प्रकोप से कई जीवधारियों के प्राण पखेरू भी उड़ गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्दी का प्रकोप इस वक्त अपनी यौवना अवस्था पर है जिसके दुष्परिणाम स्वरूप जंगलों में बिहार करने वाले पशु पक्षी बुरी तरह कुप्रभावित हैं और वृद्ध महिला व पुरूष भी बेहद परेशान है। दिन में टेंप्रेचर सामान्य हो जाने पर राहत की सांस मिल जाती है लेकिन रात्रि के वक्त पढ़ने वाला कोहरा व पाला जिससे ठंड के असर से बहुत सारे जीवधारी बेहद परेशानी की स्थिति में है। एक पक्षी जिसका नाम यहां पर लोग इसे पीली पैर वाली चिड़िया के नाम से जानते हैं। इस पक्षी को सुबह देखा गया कि एक पेड़ के नीचे सर्दी के प्रकोप से कुप्रभावित होकर उसके प्राण पखेरू उड़ गए और इसका शरीर मृत अवस्था में जमीन पर पड़ा हुआ मिला।
उमेश चंद्र मिश्रा (55 वर्षीय) बताते हैं कि ठंड का प्रकोप प्रतिवर्ष बढ़ता ही जाता है। चाहे भले ही थोड़े दिनों को पड़े लेकिन सर्दी का प्रकोप इतनी तेज गति से बढ़ जाता है कि जीवधारी इसे झेल पाने में मुंहताज हो जाता है। 55 वर्षीय जय नारायण मिस्त्री बताते हैं कि हमारे घर की मुसीबत रहमदिल तो देख ही नहीं सकता सर छुपाने के लिए कहीं भी छत नहीं है सिर्फ छप्पर, टीनटप्ण डालकर किसी तरीके से जीवन यापन कर रहा हूं। कई बार कॉलोनी प्राप्त करने के लिए प्रयास किए गए लेकिन पैसा पास में ना होने के कारण मुझे आज तक कॉलोनी प्राप्त नहीं हुई। सिर्फ वर्तमान प्रधान श्रीमती मिथिलेश कुमारी ने मुझे एक शौचालय स्वच्छता अभियान के चलते जरूर दे दिया है जिसके लिए मैं उनका आभारी हूं। सर्दी से बचाव के लिए हमारे पास सिर्फ जंगल की लकड़ी ही एक सहारा है इसके अलावा सारी रात सर्दी में ठिठुर-ठिठुर कर काटता हूं। 75 वर्षीय प्यारेलाल का मानना है कि लगातार तीन दिन पड़े पाली ने सर्दी का मिजाज ही बदल दिया है इससे सर्दी का प्रकोप बढ़ गया है सामान्यतया मौसम में आद्रता भी बढ़ी है जिसके चलते कोहरा या यूं कहें कि यह धुंध शाम से ही छाकर सुबह कभी-कभी 11या12 बजे तक बनी रहती है जिससे जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। 90 वर्षीय श्री योगेश चंद्र दीक्षित बताते हैं की इस पड़ रही सर्दी से गेहूं जैसी फसल को राहत की सांस मिल रही है और पैदावार अच्छे होने के चांस दिखाई दे रहे हैं लेकिन वहीं पर लाहा अरेहरा आदि फसलों को भारी नुकसान होने के चांस भी दिखाई दे रहे हैं। पढ़ने वाले पाले से जहां एक तरफ सर्दी का प्रकोप बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ हरी-भरी शाखाओं की पत्तियां भी मुरझा कर पेड़ सूखे दिखाई देने लगे हैं। नाना प्रकार के पक्षी निर्मित आशियाने / घोसले जो इस सर्दी के चलते खाली पड़े हुए हैं। अब इससे खुद ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह घोंसला बनाने वाले पक्षी कहीं दूसरी जगह चले गए हैं या ठंड के प्रकोप चलते काल-कवलित हो गए। वृक्षों की पत्तियां लाल-पीली होकर झड़ने की स्थिति में हैं। यदि सर्दी का यही हाल बना रहा तो जनमानस का जीवन काफी कष्टमय बन जाएगा।
रिपोर्टर-राहुल तिवारी / डॉ एस. बी. एस.  चौहान