Friday, March 29, 2024
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कवयित्री सम्मेलन में फिर रहा कवयित्रियों का जलवा

2016-09-26-3-sspjsहाथरस, नीरज चक्रपाणि। मेला श्री दाऊजी महाराज के विशाल पंडाल में शनिवार की रात्रि को अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन ने मां सरस्वती के छविचित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर किया।
अखिल भारतीय कवत्रियी सम्मेलन की संयोजिका कवयित्री मीरा दीक्षित के संयोजन में कवयित्री सम्मेलन की अध्यक्षता श्रीमती प्रमिला गौड़ तथा संचालन श्यामधारा के मुख्य संचालक आशुकवि अनिल बौहरे की कवयित्रियों से नोंकझोंक, पूर्ण संवाद, हा-हा, ही-ही, हूं-हूं कराकर रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया। आयोजकों ने कवयित्रियों का स्वागत किया।
कवयित्री पूनम द्विवेदी ने मां सरस्वती की वंदना की। उन्होंने फिर सुनायी-बड़ी ही तमन्ना से पाला था जिसको, वही आज बेटी जलायी गयी है।
सम्मेलन में एडीजे कुंवर अल्ला रक्खा खां ने भी गजल पेश की।
सम्मेलन की सहसंचालिका कवयित्री मनु दीक्षित ने सुनाया-हथियाया बलूचिस्तान तैने और काश्मीर की वादी ये, तू प्यार, अंहिसा कब सीखो, तू तो हिंसा को आदी ये, अब सत्य अहिंसा, संधि पत्र की बातें नहीं उचारेंगे, तैने अठारह को मारौ ओ अब हम अठारह सौ मारेंगे।
प्रतापगढ़ से पधारीं कवयित्री मीरा तिवारी ने सुनाया- बड़ा बनना है तो अपना बड़ा किरदार कर लेना, गमों में गैर में खुद को भी तो हकदार कर लेना।
देहली से पधारीं कामिनी ठाकुर देहली ने सुनाया- आजकल सुनिए जमाने में एक रोग चला है, जिनका न कोई इलाज जिसकी न कोई दवा है, ये तो एक सागर जिसकी हर दिल को लगी हवा है।
दिल्ली से आईं प्रियंका राय ओमनंदिनी ने सुनाया-जिन्दगी शर्तों की मोहताज नहीं होती है, दर्द होता है तो आवाज नहीं होती है, मुझसे रूठे हैं ये खुदगर्ज जमाने वाले, बस मेरी मां है जो नाराज नहीं होती है।
बदायूं से आयीं वेद ऋचा बदायूंनी ने सुनाया-हालात खुशगवार बनाती हैं चूड़ियां, दो दिल की दूरियों को मिटाती हैं चूड़ियां, जब कोई फेंक देता है हाथों से तोड़कर, रोती हैं खुद भी सबको रूलाती हैं चूड़ियां।
मुरसान से पधारीं सीमा निगम ने सुनाया-मेरा घर चमन गुलशन था, जिसमें एक फूल खिला था, आज वतन की खातिर अपनी डाली से गिर बैठा।
कवयित्री मीना शर्मा ने सुनाया-कोख में ही मार दोगे आप जब बेटियों को, फिर कैसे धरती पे आएंगी ये बेटियां।
अध्यक्षता करते हुये श्रीमती मनीषा शर्मा-भला किसी का कर न सको तो बुरा किसी का मत करना।
डा. एस. एच. नकवी- अकेला हूं मगर आवाद कर देता हूं वीराने, बहुत पछतायेगी ये शामे तनहाई, तेरे आने पे क्या गुजरी, तेरे जाने पे क्या गुजरी, किसी को क्या खबर की, तेरे दीवाने पे क्या गुजरी।
इस अवसर पर सहकारिता सम्मेलन एवं संगीत सम्मेलन के संयोजक राजेश सिंह गुड्डू, महेन्द्र सिंह सोलंकी, नगर पंचायत मुरसान अध्यक्ष देशराज सिंह, हरवीर तौमर, के.सी. सोलंकी, ब्रजेश वशिष्ठ, गोपाल चतुर्वेदी, विद्यासागर विकल, अजय रावत, विजय सिंह प्रेमी, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, अमृत सिंह पौनियां, श्यामबाबू चिन्तन, बालकवि विष्णु, अजय गौड़ एड., राजू लाला, सुनील दीक्षित, डा. जितेन्द्र शर्मा, ताराचन्द्र माहेश्वरी, प्रवीन चैधरी एड., जयशंकर पाराशर, श्ीतल शर्मा, कृष्णबिहारी शर्मा कुलकुल आदि उपस्थित थे। अंत में कवयित्री सम्मेलन की संयोजिका मीरा दीक्षित ने आभार सभी का व्यक्त किया। श्रीमती प्रमिला गौड़ ने सम्मेलन का समापन किया।
सम्मेलन के प्रचार की कमान श्यामधारा चैन्नई के अध्यक्ष हरीश अरोरा (बी.बी.जी.) मुरब्बा वाले तथा राजन चढ्डा के हाथों में थी। सम्मेलन में भोर तक कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया। लोगों ने तालियों की गड़गडाहट के साथ उनका उत्साहवर्द्धन किया।