Friday, April 26, 2024
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दाल-रोटी के लाले, फिर भी दुनिया के छठे सबसे बड़े धनी

लखनऊ, प्रियंका वरमा माहेश्वरी। महंगाई ने ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के पांचवे दिन रोजमर्रा के सामानों के दामों में 10 से 30 फीसदी तक बढ़त ले ली है। आटा, दाल, सब्जियों पर महंगाई की गाज सबसे पहले गिरी है। यह हालात अकेले राजधानी में नहीं बल्कि पूरे सूबे में हैं क्योंकि पिछले तीन दिनों से लगभग 10 हजार ट्रकों के पहिये लखनऊ से अपनी जगह से हिले भी नहीं लिहाजा जिलों में आटा, दाल, सब्जियों की सप्लाई बंद हो गई है। बता दें कि 20 रूपये किलो वाला आटा 26-28 रूपये किलो, आलू 20 रूपये से बढकर 24-30 रूपये किलो बिकने लगा है। दूसरी ओर अखबारों में जबरी खबरें छपवाई जा रही हैं कि किसी भी सामन की कमी नहीं है, जबकि हकीकत में मुनाफाखोरों की लाटरी निकल आई है। कहीं यह सोंची समझी वोटों की राजनीति तो नहीं ?
बताते चलें कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सोमवार को व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने मुलाकात कर व्यापारियों की समस्याओं का मांग पत्र सौंपा, जिसमें केन्द्र सरकार की नीतियों से परेशान ट्रांसपोर्टरों की देशव्यापी हड़ताल से व्यापारियों एवं किसानों की परेशानी का जिक्र करते हुए सरकार द्वारा वार्ता न करने की बात कही गई। व्यापारियों ने श्री यादव को बताया कि उत्तर प्रदेश में ई-वे बिल के लिये 50 हजार मूल्य की सीमा को बढ़ाया गया जबकि दिल्ली, तमिलनाड़ु एवं पश्चिम बंगाल में यह सीमा 01 लाख तक है। उत्तर प्रदेश में जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों का कम से कम 20 लाख का जीवन बीमा और प्लास्टिक कारोबारियों को तत्काल राहत के तहत तैयार प्लास्टिक माल बेचने एवं नये विकल्प तैयार करने के लिये कम से कम एक वर्ष का समय की मांग की गई।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते मोदी सरकार ने अपनी पीठ ठोकते हुए ढोल बजाया था कि हम फ्रांस को पछाड़ कर छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गये हैं द्य यह ढोल विश्व बैंक के ताजा आंकड़ों की तस्वीर दिखाकर बजाय गया, लेकिन आम लोग तो इस तरक्की के चाँद को छू पाने से कोसों दूर हैं द्य दरअसल आंकड़ों का खेल सच से कोसों दूर गणितीय होता है जैसे एक मजदूर ने दिन भर में 300 रूपये कमाए और किसी कारपोरेट ने 2 लाख, तो प्रति व्यक्ति आय होगी एक लाख एक सौ पचास द्य इससे भी मजेदार बात है कि जो विश्व बैंक भारत को छठी और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बता रहा है, वही बताता है कि हमारी आबादी में 22 फीसदी से अधिक गरीब हैं। पिछले दिनों महंगाई के आये आंकड़ों पर नजर डाल ली जाये।
मोदी सरकार के 4 सालों में थोक महंगाई सर्वाधिक ऊंचाई पर रही। थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 5.77 फीसदी पर पहुंच गई जोकि 4 सालों में सर्वाधिक है। सबसे ज्यादा सब्जियों और ईंधन के महंगा होने के कारण मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है। मई में थोक सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 4.43 फीसदी और पिछले साल जून में 0.90 फीसदी तक थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं के वर्ग में मुद्रास्फीति जून 2018 में 1.80 फीसदी रही जो मई में 1.07 फीसदी थी। सब्जियों के भाव सालाना आधार पर 8.12 फीसदी ऊंचे हैं। मई में सब्जी की कीमतें 2.51 फीसदी बढ़ी थी। बिजली और ईंधन के क्षेत्र में मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 16.18 फीसदी हो गई जो मई में 11.22 फीसदी थी। इसकी प्रमुख कारण वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों का बढ़ना रहा। इसी दौरान आलू की कीमत 1 साल पहले की तुलना में 99. 2 प्रतिशत ऊंची चल रही थी। मई में आलू में मुद्रास्फीति 81. 93 फीसदी रही। इसी प्रकार प्याज की महंगाई दर जून में 18. 25 फीसदी रही जो इससे पिछले महीने 13. 20 फीसदी रही। जून में दालों के दामों में गिरावट रही। दाल दलहन का भाव सालाना आधार पर 20.23 घट गए थे। सरकार ने अप्रैल की थोक मूल्य मुद्रास्फीति पर संशोधन कर 3.62 प्रतिशत कर दिया है। प्रारंभ में इसके आंकड़ों में इसके 3.18 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।
खुदरा मुद्रास्फीति के जारी हुए आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जून में 5 फीसदी रही जो पांच महीने का उच्च स्तर है। उल्लेखनीय है कि देश की मौद्रिक नीति को तय करने में भारतीय रिजर्व बैंक मुख्यता खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों का इस्तेमाल करता है।
बढ़ती महंगाई दर रिजर्व बैंक के अनुमान की मुताबिक ही है। ने अपने ताजा अनुमान में अक्टूबर मार्च छमाही में खुदरा महंगाई दर 4.07 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। मौद्रिक नीति समीक्षा की पिछली बैठक में रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। केंद्रीय बैंक ने 4 साल बाद नीतिगत दर में वृद्धि की है। मौद्रिक नीति समिति की अगली तीन दिवसीय समीक्षा बैठक 30 जुलाई से 1 अगस्त के बीच होगी। अब अगर आपकी समझ में कुछ आया हो तो महंगे-सस्ते का आंकलन कर सकते हैं ?