Sunday, November 24, 2024
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सृष्टि चक्र का ज्ञान एवं महाविजय उत्सव में बुराईयों की आहुति

2016-09-28-5-sspjsफिरोजाबाद, एस. के. चित्तौड़ी। पूनम बहन ने सर्वप्रथम सभागार में लोगों को सृष्टि चक्र की जानकारी दी उन्होने यह बताया कि संसार का नाटक एक चक्र में घूमता है। इसे चार भागों में बांटा गया है पहला सतयुग दूसरा त्रेतायुग तीसरा द्वापरयुग और चोैथा कलयुग है। शिवबाबा ने ही ब्रह्मा बाबा के तन के माध्यम से यह बताया कि चारों युगों में से प्रत्येक युग 1250 वर्ष का होता है। इस प्रकार पूरे संसार नाटक की रील 5000 वर्षों की होती है। उन्होने यह बताया कि पहले आत्मा स्वर्णिम में थी और उसकी बैट्री फुल चार्ज थी लेकिन जन्म लेने के कारण और अनेक विकारों के कारण आत्मा की बैट्री डिस्चार्ज होती गयी। सतयुग में पूरी सृष्टि पर श्री नारायण का राज्य था। और सभी लोग एक ही राज्य एक ही धर्म और एक ही भाषा चलती थी। लेकिन जैसे-जैसे युग बीतते गये आत्मा की बैट्री डिस्चार्ज होती गयी द्वापरयुग आते आते आत्मा की बैट्री 60 से 65 प्रतिशत तक डिस्चार्ज हो गयी। इसलिए परमपिता परमात्मा ने मनुष्य आत्माओं के कल्याण हेतु धर्म गुरूओं को पृथ्वी पर भेजना शुरू कर दिया जहाँ पहले त्रेतायुग तक देश में केवल आदि देवी-देवता सनातन धर्म था। वहीं द्वापरयुग में इस्लाम जैन , बौद्ध ईसाई, आदि धर्मों का अर्भिभाव हुआ। इस समय कलयुग अन्तिम चरण में है इसलिए चारों तरफ पाप अत्याचार और भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। गीता में भी कहा गया है-
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लार्निभवति भनत्।
अभ्प्रथानम् अर्धमस्य तदात्मानं सगाम्महम्।।
बुराईयों के कारण ही 1936 में परमपिता शिव का अवतरण हुआ। और परमपिता परमात्मा ने खुद धरती पर आकर आत्मा और परमात्मा का परिचय दिया तथा ईश्वरीय ज्ञान सुनाया। और यह बताया कि यदि आत्मा की बैट्री को चार्ज करना है तो परमात्मा से कनेक्शन करना ही पड़ेगा।
ईश्वरीय ज्ञान सुनने के कारण आज शिविर में सभी भाई-बहनों ने अपनी बुराईयों की आहुति दी।
आज शांति का पुंज बन गया शांतिकुण्ड़। क्रोध को नफरत को राग एवं द्वेष को शांतिकुण्ड के यज्ञ में स्वाहा करना। और वे क्रमबन्द्ध आते गये और दृढ़ संकल्प की तीली से अपनी प्रतिज्ञा को सार्थक करते गए। जिससे निकली भाईचारे की एक शक्तिशाली लौे। वन्देमातरम् और वसुदैव कुटुम्बकम् का अपना सपना साकार नजर होता आ रहा था आज शिविर में बहुत सुन्दर यज्ञकुण्ड़ रचा गया था। यहां आने आये साधको ने न जाति न धर्म देखा न रंग न रूप देखा उन्होने देखा एक दूसरे की आत्मा को। यह पाठ पक्का कराया तनावमुक्ति विशेषज्ञा ब्र.कु. पूनम बहन ने।
पूनम बहन ने कहा यह शिविर अन्तिम चरण में है वास्तव में हम एक पिता की संतान है। यदि हम एक-दूसरे को आत्मिक रूप से देखे तो सब भाई – भाई है यह हम पाठ पक्का कर लें तो संसार के सारे ही झगड़े राग द्वेष नफरत समाप्त हो जायेगी शिविर में आज शंख ध्वनि व नगाड़ो के साथ महाविजय उत्सव बनाया गया इस अवसर पर सुनदर आतिशबाजी भी की गयी सभी साधकों ने एक साथ मिलकर मोमबत्ती लेकर प्रतिज्ञाा की कि आज से हम नये जीवन की शुरूआत करेगें। स्वपरिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करेगें बदला न लेकर स्वंय को बदलकर दिखायेंगें। आपसी संबंधो में निस्वार्थ प्यार व स्नेह की भावना रखेगें और एक-दूसरे के प्रति शुभ- भावना रखेगें व हर एक को कार्य में सहयोग देंगें। शिविर में उत्साह से भाग लेने के लिए फिरोजाबाद सेवाकेन्द्रो की संचालिका ब्र.कु. सरिता दीदी ने शहरवासिवायों को बधाई दी तथा उन्होने बताया शिविर के आगे का 15 दिन का एड़वांस कोर्स प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविघालय ज्योति भवन कैला देवी मन्दिर के सामने रामलीला ग्राउन्ड़ फिरोजाबाद में प्रातः 6.00 से 7.00 और 7.00 से 8.00 , सायः 4.00 से 5.00 और 7.00 से 8.00 के वक्त चलेगा । ये कोर्स सभी के लिए निःशुल्क है।