Tuesday, April 30, 2024
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ध्यान से ही मानव की मुक्ति संभव है

हाथरस, नीरज चक्रपाणि। महान रहस्यदर्शी ओशो के जन्म दिवस पर अखिल कुमार जैन के रविकुंज स्थित निवास पर ध्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें ओशो संन्यासियों के साथ-साथ अन्य ध्यान प्रेमियों ने भी भाग लिया। संचालन स्वामी अमृत दिनेश्वर ने किया।
ध्यान कार्यक्रम से पूर्व आधुनिक, तनावपूर्ण, प्रतियोगिता व दौड़ धूप भरे जीवन में ध्यान की उपयोगिता के बारे में भी बताया गया। ध्यान की उपयोगिता के बारे में स्वामी जी ने बताया कि किस प्रकार हम ध्यान को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं तथा ध्यान के नियमित अभ्यास से अवसाद (डिप्रेशन), भावुकता, तनाव, विक्षिप्तता आदि अनेक मानसिक रोगों के छुटकारे के साथ-साथ कैसे हम अनेकों शारीरिक समस्याओं से भी मुक्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि ध्यान ही एकमात्र उपाय है जिसके नियमित अभ्यास से हम अपनी आत्मा का साक्षात्कार कर सकते हैं तथा संसार के समस्त सुख दुखों के बीच रहकर आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत कर सकते हैं। ध्यान से ही मानव की मुक्ति संभव हैं। ओशो ने अपना सम्पूर्ण जीवन ध्यान के लिए न्यौछावर कर दिया। उन्होंने देश विदेश भ्रमण कर लोगों को ध्यान के बारे में जागरूक किया। ओशो ने लगभग 112 ध्यान विधियां इजाद कीं, ताकि मनुष्य हर परिस्थिति में उनका उपयोग कर सके। अंत में उन्होंने सभी से नियमित ध्यान करने का आग्रह किया। ध्यान कार्यक्रम में चंद्रकांत जैन, कपिल अग्रवाल, अखिल जैन, अनिल दीक्षित, नवीन वाष्र्णेय, डा. मुकेश वर्मा आदि उपस्थित थे।