आज भी जीवित है, नवाबी शौक….
इलाहाबाद, रवि कुमार राठौर। पहले कबूतरबाजी या कबूतर उड़ान मनोरंजन का मुख्य माध्यम हुआ करता था। परंतु जबसे मनोरंजन के आधुनिक साधन आए हैं तब से कबूतरबाजी की परंपरा खत्म होने की कगार पर पहुंच गई है। ऐसे दौर में यह प्राचीन परंपरा शहर में आज भी जीवित है। कबूतरबाजी इलाहाबाद का कदीमी शौक है। हालांकि इसकी शुरूआत के बारे में ठीक तौर पर कुछ कहना मुश्किल है लेकिन बुजुर्ग कबूतरों की मानें तो शाहजहां के जमाने में हिन्दुस्तान में कबूतरबाजी का शौक पला, बढ़ा। उन्होंने ईरान से बैलगाड़ी से कबूतर मंगवाए थे। प्रतियोगिता में शामिल ऊंची उड़ान वाले बुलंद परवाज के कबूतरों में गिरहबाज यानी कलाबाजी वाले कबूतर ही खास रहते है। रंगों के आधार पर ही इनके नाम रखे जाते हैं। इसमें सिर पर फूल वाले को फुलसिरा, काले रंग वाले को कलसिरा, लाल रंग वाले को ललसिरा, काली दुम वाले को कलदुमा, हरे को सब्ज और सफेद को नेखा कहते हैं। आपको बता दे आजाद पीजियन फ्लाइंग कलब टूर्नामेंट कबूतरबाजी का प्रदर्शन की शुरूआत 9 मई के महीने को कराया गया था जिसका फाइनल 15 मई को हुआ था। जिसमे इलाहाबाद शहर से 64 टीमों ने भाग लिया था। टूर्नामेंट के दिन सुबह सहरी जैसा माहौल रहता है। शाहगंज, नखासकोहना, दरियाबाद, बम्हरौली सहित शहर के तमाम इलाकों में लोग भोर से पहले ही उठ जाते है, कबूतरबाजी के नायाब शौक कबूतरबाजों को सोने नहीं देता। प्रतियोगिता सुबह साढ़े पांच शुरू होती खिलाड़ी कबूतरों की सेवा और शिनाख्त में कबूतरबाज कई घंटे पहले ही जुट जाते है। जोश और जज्बे के बीच शहर में कई अड्डों, टह से दर्जन-दर्जन भर कबूतरों की टोली उड़ान भरती है तो दुआएं भी उनके साथ रहती। शुरूआत में कबूतर, चिड़ियों की तरह नजर आते, फिर जमीं से जहां तक की उड़ान भरने और देर तक आकाश में टिके रहने के लिए ओझल हो जाते है। मुन्नवर राना के कहे, ’कबूतर की वफादारी पर शक नहीं करना, वह तो घर को इसी मीनार से पहचानते हैं,’ ने कबूतरबाजों का हौसला बढ़ाता है। जीत-हार का फैसला कबूतरों की गिनती और उनकी उड़ान के घंटो के आधार पर किया जाता है। प्रत्येक टीम में बारह-बारह कबूतर शामिल किये जाते है। उड़ान के समय कबूतरों को दूध, रोटी के साथ मेवों की गोली भी दी जाती है। कबूतरबाजी का फाइनल राउंड में चार टीमें होती जिसमें से पहले, दूसरे और तीसर स्थान पर रहने वालों को पुरस्कृत किया गया। आजाद पीजियन फ्लाइंग कलब का पुरस्कार वितरण समारोह कार्यक्रम 2 अक्टूबर को किया गया कार्यक्रम के संयोजक मुन्नू भाई एवं समशाद अहमद ने कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमे विधायक हाजी परवेज अहमद एवं पूर्व विधायक अशरफ ने प्रतियोगिता जीतने वाले प्रथम विजेता सल्हापुर गाँव से मो. नसर को 35000 का नगद पुरस्कार दूसरे स्थान पर बम्हरौली गाँव से मो. मोनिस को 15000 का नगद तीसरे स्थान पर हटवा गाँव से मो. शाकिव को 10000 का नगद और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया अन्य सभी टीम को भी उपहार वितरण किये गये। कार्यक्रम में मुख्यरूप से मो. मोनिस, जावेद खान, हाशिम अली, मुन्नू गोटा, अजीम, शादाब खान आदि लोग मौजूद रहे।