Sunday, September 22, 2024
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बाल विवाह रोकने हेतु ग्राम्य पंचायत स्तर पर करायें जन कल्याण जागरूकता कार्यक्रम: पंकज वर्मा

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। अक्षय तृतीया आगामी 7 मई 2019 के अवसर पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के निर्देशन में अपर जिलाधिकारी प्रशासन पंकज वर्मा ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बाल विवाह रोकने हेतु कार्यक्रम आयोजित कराने हेतु संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में उन्होंने जिला पिछडा वर्ग कल्याण अधिकारी/प्र0 जिला प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस विभाग, मुख्य चिकित्साधिकारी, परियोजना निदेशक, ग्राम्य विकास विभाग, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, समस्त खण्ड विकास अधिकारी, संरक्षण अधिकारी समेकित बाल संरक्षण योजना, महिला कल्याण अधिकारी महिला शक्ति केन्द्र, सुगमकर्ता 181 महिला हेल्पलाइन आदि को बाल विवाह रोकने हेतु कार्यक्रम जनपद एवं ग्राम्य पंचायत स्तर पर जन कल्याण जागरूकता कार्यक्रम क्षेत्र में कराये जाने के निर्देश दिये।
उक्त बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रशासन पंकज वर्मा ने कहा कि बाल विवाह वह है जिसमें लडके या लडकी की कम उम्र में शादी की जाती है यह प्रथा पुराने जमाने से हमारे देश में चली आ रही है। बच्चा एक ऐसा व्यक्ति है जो अभी 18 साल का नही हुआ है। एक ऐसी लडकी का विवाह जो 18 साल से कम की है या ऐसे लडके का विवाह जो 21 साल से कम का है। बाल विवाह कहलाएगा और इसे बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के लिए दोषी 18 साल से अधिक लेकिन 21 साल से कम उम्र का बालक जो विवाह करता है। जिस बालक या बालिका का विवाह हो उसे माता पिता संरक्षक अथवा वे व्यक्ति जिनके देख रेख में बालक/बालिका है। वह व्यक्ति जो बाल विवाह को सम्पन्न संचालित करे अथवा दुष्प्रेरित करें। जैसे बालक विवाह कराने वाला पंडित आदि। वह व्यक्ति जो बाल विवाह कराने में शामिल हो या ऐसे विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करे निर्देश दे या बाल विवाह को रोकने में असफल रहे अथवा उसमें सम्मिलित हो। जैसे बाल विवाह में शामिल बराती, रिश्तेदार आदि। वह व्यक्ति मजिस्ट्रेट के विवाह निषेध संबंधी आदेश की अवहेलना करे।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह के लिए दण्ड हेतु बाल विवाह के आरोपियों को दो साल तक का कठोर कारावास या एक लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनो एक साथ हो सकते है। बाल विवाह कराने वाले माता पिता, रिश्तेदार, विवाह कराने वाला पंडित, काजी आदि भी हो सकता है। जिसको तीन महीने तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। बाल विवाह कानून के तहत किसी महिला को कारावास की सजा नही दी जा सकती है। माता पालक को भी इस जुर्म में कैद नहीं किया जा सकता केवल जुर्माना भरना पडेगा। बालक या बालिका जिसका विवाह हुआ हो और चाहे इसमें उसकी सहमति हो या न हो। उन्होंने बताया कि बाल विवाह की शिकायत जिस व्यक्ति का बाल विवाह करवाया जा रहा हो उसका कोई रिश्तेदार दोस्त या जानकार बाल विवाह के बारे में थाने जाकर पूरी जानकारी दे सकता है। इस पर पुलिस पूछताछ करके मजिस्ट्रेट के पास रिपोर्ट भेजेगी। मजिस्ट्रेट के कोर्ट में केस चलेगा और बाल विवाह साबित होने पर अपराधी व्यक्तियों को सजा दी जायेगी। बैठक में उन्होंने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिये कि अक्षय तृतीया आगामी 7 मई 2019 के अवसर पर बाल विवाह रोकने हेतु लोगो को कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूक करें तथा व्यापक प्रचार प्रसार भी करें जिससे कि लोगों को बाल विवाह के सम्बन्ध में जानकारी हासिल हो सके। बैठक में अपर सीएमओ डा0 बीपी सिंह, क्षेत्राधिकारी सदर अर्पित कपूर, जिला प्रोबेशन अधिकारी गिरिजा शंकर सरोज, समाजसेवी कंचन मिश्रा ने भी बाल विवाह के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी।
बैठक में जिला विद्यालय निरीक्षक अरविन्द कुमार द्विवेदी, जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश यादव, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, संरक्षण अधिकारी (जिला बाल संरक्षण इकाई), महिला कल्याण अधिकारी, सुगमकर्ता 181 महिला हेल्पलाइन, पूनम गुप्ता समाजसेवी आदि उपस्थित रहे।