Thursday, May 2, 2024
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आर्थिक समीक्षा में अगले पांच वर्षों के लिए विकास और रोजगार का ब्‍लू-प्रिंट : डॉ. बिबेक देबराय

डॉ. देबराय ने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण संघवाद, व्‍यय सुधार, एमएसएमई के लिए नीतियां, जीएसटी और प्रत्‍यक्ष कर सुधार के जरिये उजागर होता है
न्‍यायिक सुधार और डाटा की भूमिका स्‍वागत योग्‍य : ईएसी-पीएम अध्‍यक्ष
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्‍यक्ष डॉ. बिबेक देबराय ने आर्थिक समीक्षा में वित्‍तीय मजबूती, वित्‍तीय अनुशासन और निवेश पर जोर दिए जाने का स्‍वागत किया है। पिछले पांच वर्षों में भारत का वास्‍तविक सकल घरेलू उत्‍पाद विकास की औसत दर 7.5 प्रति‍शत रही है। आर्थिक समीक्षा का आकलन है कि 4 प्रतिशत वार्षिक मुद्रास्फीति के साथ 2024-25 तक अर्थ वयवस्‍था 5 ट्रिलि‍यन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी, जिसमें वास्‍तविक सकल घरेलू उत्‍पाद विकास 8 प्रतिशत होगी। इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकता है। लेकिन हमें वित्‍तीय मजबूती के मार्ग से हटना नहीं है, जो मध्‍यकालीन वित्‍तीय नी‍ति में व्‍यक्‍त किया गया है। इसे वित्‍तीय घाटा/ सकल घरेलू उत्‍पाद अनुपात और ऋण/सकल घरेलू उत्‍पाद अनुपात में भी प्रकट किया गया है। बढ़े हुए घाटे से निजी निवेश को नुकसान पहुंचता है, निजी पूंजी की लागत बढ़ती है तथा घरेलू क्षेत्र वित्‍तीय बचत में रुकावट आती है। आकलन के अनुसार 2018-19 में भारत की विकास दर 6.8 प्रतिशत रहेगी तथा च‍क्रीय सार्वजनिक खर्च को कम करने का अवसर मिलेगा। इसलिए डॉ. बिबेक देबराय ने समीक्षा में वित्‍तीय मजबूती और निवेश को बढ़ावा देने, खासतौर से निजी निवेश को बढ़ावा देने के प्रावधानों का स्‍वागत किया है।
समीक्षा में अगले पांच वर्षों के दौरान विकास और रोजगार का ब्‍लू-प्रिंट पेश किया गया है। यह 2014 और 2019 के बीच पहली नरेन्‍द्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के अनुरूप है, जिसमें व्‍यवहार में बदलाव की पहलों को शामिल किया गया है। वर्ष 2014 से 2019 के बीच नीतियों में निरंतरता है और 2019 से 2024 तक प्रस्‍तावित नीतियां इसमें शामिल हैं। समीक्षा से संघवाद, व्‍यय सुधार, एमएसएमई के लिए नीतियां, जीएसटी और प्रत्‍यक्ष कर सुधार के जरिये सरकार का दृष्टिकोण उजागर होता है। डॉ. बिबेक देबराय ने कहा कि इस वर्ष की आर्थिक समीक्षा में एक अभिनव और स्‍वागत योग्‍य पक्ष यह है कि इसके तहत न्‍यायिक सुधार और डाटा की भूमिका का प्रावधान किया गया है। कुल मिलाकर समीक्षा में अतीत से हटकर काम करने के दृष्टिकोण का हवाला दिया गया है, जिसे संस्‍कृत के उद्धरणों से व्‍यक्‍त किया गया है। इन उद्धरणों में सुशासन संबंधी अनेक सूचनाएं मौजूद हैं और समीक्षा को पूरा करने के लिए केवल कौटिल्‍य का उद्धरण देने तक सीमित नहीं रहना है बल्कि कमंडकीय नीतिसार का भी ध्‍यान रखना है।