Thursday, November 28, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » तंजवूर में आयोजित किया गया श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम

तंजवूर में आयोजित किया गया श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम

समागम के दूसरे दिन स्तम्भित करने वाली प्रस्तुतियां देखकर लगा कि भारतीय लोककलायें आज भी कितनी समृद्ध है।
डॉ. दीपकुमार शुक्लः तंजवूर, तमिलनाडु। श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम के दूसरे दिन स्तम्भित करने वाली एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देखकर लगा कि भारतीय लोककलायें आज भी कितनी समृद्ध हैं। बस आवश्यकता हैं उन्हें अवसर प्रदान करने की।
श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम के दूसरे दिन प्रातरू 10.30 बजे श्लोक और आदिवासी कलाश् बिषय पर संगोष्ठी हुई। जिसमें वरिष्ठ रंगरकर्मीयों तथा शोधकर्ताओं ने अपने-अपने विचार रखते हुए विभिन्न लोककलाओं की वृहद जानकारी दी। संगोष्ठी में परिचर्चा करने वालों में विशेष रूप से इन्दुमती रमन तमिलनाडु से, ई.के.गोविन्दा वर्म राजा केरल से, राकेश तिवारी छत्तिसगढ़ से, एम.एन. वेंकटेश कर्नाटक से तथा मोहन स्वरूप भाटिया एवं हरि प्रसाद सिंह उत्तर प्रदेश से पधारे थे।
सायंकालीन कार्यक्रम में इन्हीं लोक और आदिवासी कलाओं की मंच पर उत्कृष्ट प्रस्तुति देखकर इनकी प्रभावशाली समृद्धता का स्वतरू आभास हुआ। पहली प्रस्तुति आन्ध्र प्रदेश के एम. वी. सीम्हाचल शास्त्री की हरिकथा थी। तेलगू भाषा की इस प्रस्तुति में शास्त्री जी ने भगवान राम की कथा का सस्वर गान करते हुए रामायण, गीता, भागवत आदि के महत्व को भी बताया। उन्होंने बड़े ही जोरदार ढंग से कहा कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का वास्तविक विकास इन्हीं ग्रन्थों के अध्ययन से होना सम्भव है। दूसरी प्रस्तुति असम के बोडो नृत्य की थी। असम के खिरोद खखलारी की टीम ने अपने जबरदस्त प्रदर्शन से समा बांध दी। उसके बाद तेलंगाना के च.रवीकुमार की टीम ने बड़़ा ही हाहाकारी लोकनृत्य प्रस्तुत करके दर्शकों से खूब तालियां बटोरी। अन्तिम प्रस्तुति के रूप में तमिलनाडु के आदिवासी नृत्य श्पोइक्काल कुथिराई अट्टमश् का प्रदर्शन टी.ए.आर.नादीराव एवं एन.जीवाराव की टीम ने किया। इस लोक नृत्य में दुलदुल घोड़ी सहित अन्य कई प्रचीन कलाओं का प्रदर्शन किया गया। जिसने दर्शकों को वाह वाह कहने पर विवश कर दिया।इस अवसर पर दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजवूर के निदेशक प्रो.एम.बालसुब्रमण्यम, संगीत नाटक अकादेमी के अध्यक्ष शेखर सेन, सचिव रीता स्वामी चैधरी, उप सचिव राजू दास, विजय सिंह, भारत भुषण, रानी केन, जसवन्त सिंह, राहुल कुमार, सुरेन्दर सिंह, भूप सिंह, मोहिन्दर कुमार, धरमवीर, वी.वी.रमन, प्रहलाद, अनिल, अंशू, अजय कुमार, राजेश पाण्डेय, संतोष कुमार तथा जोशफ आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु अपने अपने दायित्व को बेहतर तरीके से संभाला। मंच का कुशल संचालन साधना श्रीवास्तव ने किया। श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम की समीक्षा करने हेतु आब्जर्वर के रूप में कलकत्ता से मीना बनर्जी, जयपुर से अंशू हर्ष, कानपुर से डॉ.दीपकुमार शुक्ल, नयी दिल्ली से शैलजा खन्ना, हैदरावाद से माधवी जी एवं श्रीनिवास तथा तमिलनाडु की रमा कौशल्या आदि पूरे समय कार्यक्रम का समीक्षात्मक अवलोकन करते रहे।