Wednesday, June 26, 2024
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प्रकृति और कोविड-19ः विज्ञान ने मनुष्यता को स्वर्ग और नर्क दोनों दिखा दिए

हाल ही में विज्ञान के अधिक उन्नतीकरण व आधुनिकीकरण का विभिन्न क्षेत्रों में मनुष्यता व पृथ्वी पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
यदि हमारे पूर्वज इस नए दौर के चमत्कारों को देखते तो वे अचंभित रह जाते और साथ ही मानते कि ये सदी इतनी बुरी भी नहीं है जितनी उनके समय में थीं। विज्ञान की देवी ने एक ओर हमें जीवन दान का आशीर्वाद दिया तो दूसरी ओर हमें जीवन की गुणवत्ता की कमी का अभिशाप दिया है। हम इक्कीसवीं सदी में एक प्राकृतिक बम पर सवार होकर प्रवेश कर चुके हैं जो कभी भी फट सकता है, क्योंकि दिन प्रतिदिन मनुष्य का असीमित लालच व धरती मां का शोषण हो रहा है। वो दिन दूर नहीं जब न केवल हम बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ पीने का पानी व प्रकृति मां के कोमल सुंदर हरे-भरे वन-विपिन शुद्ध वायु बरसात के लिए तरसेंगे।
ये चिंता न जाने हमें कितने समय से थी, परन्तु हाल ही में कोरोना वाइरस ने हमें दिखा दिया कि हम प्रकृति के आगे कितने तुच्छ हैं। एक ओर मानव जाति कोरोना की लड़ाई में हारती जा रही है वहीं दूसरी ओर असंतुलित पृथ्वी का बहाल हो रहा है। इसका प्रमाण हमारे आसपास हुई घटनाओं में दिख रहा है। न जाने कितने सालों के शोध व वैज्ञानिकों के प्रयासों के बावजूद भी हमारी पृथ्वी की ओजोन परत में छिद्र कम नहीं हो रहे थे। जिस से सूर्य की हानिकारक यूवी किरणे पर्यावरण को नष्ट करतीं हैं। परंतु आज वे छेद न के बराबर है।देश के विभिन्न राज्यों से भी इसके प्रभाव कि भिन्न भिन्न तस्वीरें दिख रही हैं। भारत की राजधानी नई दिल्ली का प्रदूषण स्तर, AQIमें गिरावट 114 की हो गई है, जहां पहले स्वच्छ वायु के लिए निरंतर कई प्रयास किए जाते थे परन्तु आज की विडंबना देखिए कि शुद्ध वायु में मास्क पहनना अनिवार्य है। साथ ही हमारी नदियां, जैसे गंगा मैया व यमुना नदी का जल नीला व प्रदूषण रहित हो गया है। हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां उत्तर प्रदेश के सहारनपुर वासियों के घरों से दिखाई देने लगी हैं।
लाक डाॅउन के चलते मौन व वीरान पड़े नगरों में वन के पशु पक्षीयो ने दस्तक दे दी है। मुंबई महानगर के मरीन ड्राइव के पास समुद्र तट पर डाल्फिनों का झुंड अठखेलियां करता दिखाई दिया, वहीं दूसरी ओर केरल में सिविट सड़क पार करता दिखाई दिया।
नैनीताल में हाथियों का झुंड निवास स्थलों में नजर आया। कुछ शेरों का झुंड सड़कों पर नजर आया। कई प्रकार के कबूतर, मोर व चिड़ियों ने डेरा जमा लिया है।
विश्व में भी इस अनूठी दास्तां को महसूस किया जा रहा है। हमारे पड़ोसी देश नेपाल में विशालकाय जलहस्ती घूमता दिखा। जापान के नारा पार्क के मृग खाने की तलाश में विचरण कर रहे हैं।
इजरायल के टेल अवीव शहर, में वीरान और मौन पड़े हवाई अड्डों के जहाजों के बीच कलहंस सपरिवार टहलते नजर आए। विश्व महाशक्ति अमरीका भी इन जीवों के आगे नतमस्तक हो गया-उसके समुद्री तटों के पास भी मगरमच्छ दिखें तथा उसके राज्यों के कई रिहायशी इलाकों में शेर व चीते दोड़ते दिखे।
वहीं यूरोपीय देशों में कोरोना वाइरस से प्रभावित फैशन का देश इटली में पर्यटक वहां के गंदे और बदबूदार पानी की शिकायत करते थे परन्तु अब स्वच्छ पानी व भिन्न भिन्न प्रकार के जीव जंतु दिखाई देने लगे हैं। साथ ही उसके पड़ोसी देश फ्रांस की राजधानी, पेरिस में पेंग्विन और बतखें नजर आई।
हमारे पास केवल एक धरती है और मनुष्य प्रकृति पर पूरी तरह निर्भर है। विज्ञान ने मनुष्यता को स्वर्ग और नर्क दोनों दिखा दिए अब यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वे क्या चुनना चाहता है।
-सुमन नारंग