मजहबी आज़ादी पर नज़र रखने वाली एक गैर राजनीतिक अमरीकी संस्था यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ़्रीडम (USCIRF) ने साल 2020 के लिए मंगलवार को जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में भारत को उन 14 देशों के साथ रखने का सुझाव दिया है जहाँ धार्मिक आज़ादी को लेकर कुछ ख़ास चिंताएं हैं। रिपोर्ट में भारत को उन देशों में शामिल किया गया है जहाँ धार्मिक अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न लगातार बढ़ रहा है।
USCIRF के अनुसार भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी से करोड़ों मुसलमानों को हिरासत में लिए जाने और स्टेटलेस हो जाने का ख़तरा उत्पन्न हो गया है।अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट में भारत को बर्मा, चीन, इरिटेरिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, सीरिया, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम के साथ 14 देशों के उस समूह में रखा गया है जिनके संबंध में अल्पसंख्यक उत्पीड़न को लेकर विशेष चिन्ताएँ हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतवर्ष में धार्मिक आज़ादी तेज़ी से गिरावट आई है और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ होने वाला उत्पीड़न दिन ब दिन बढ़ रहा है। हालांकि इस संस्था के पैनल में शामिल नौ में से दो सदस्यों ने भारत को ‘ख़ास चिंताओं वाले देशों की कोटि में रखे जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा जम्हूरी मुल्क है। जहाँ विपक्षी कांग्रेस पार्टी समेत बहुत से दलों ने नागरिकता संशोधन और एनआरसी का खुले आम विरोध किया है। वर्ष 2019 में भी USCIRF ने भी भारत सरकार की नीतियों पर अल्पसंख्यकों विशेषता मुसलमानों की मज़हबी आज़ादी की खिलाफवर्जी करने की आरोप लगाया था। -अब्दुल हमीद इदरीसी