Tuesday, May 7, 2024
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कोरोना आपदा आर्थिक वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम है

भारत 130 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला महज एक देश या धरती नहीं है अपितु यह विश्व की वह पावन भूमि है जहाँ स्वस्थ विचार पवित्र संस्कार और मनमोहक परम्परा इसे अग्रणीय और जीवन्त बनाती है। हिमालय से निकली आध्यात्मिक अनुभूति एवं ऋषि-मुनियों की तपस्या से उत्पन्न ऊर्जावान शक्ति एवम संस्कृति इसे विश्व गुरु के पद पर बैठाती है और बार बार संकट के समय विश्व की निगाहें भारत पर टिक जाती हैं। अतः जरुरत है अतीत के पननों को पलटने की अभी भी बहुतों को याद होगा गांवों में बनी मिट्टी की दीवारों के घर, कपड़ा, नालियाँ व मिट्टी और लकडी से बनी छत। हर त्योहार या शुभ अवसर पर गाय के गोबर, मूत्र और पानी से आंगन और दीवार की पुताई यह सब करने में अजीब उत्साह और ऊर्जा का संचार किसी भी वायरस के खत्म होने की गारंटी पूरी तरह वायरस मुक्त, सर्दी मे गर्मी और गर्मी मे सर्दी। लेकिन आज खूबसूरत और बड़े भवनों को वायरस मुक्त बनाया जा रहा है जबकि हम इसे पहले से ही जानते थे हमारी संस्कृति मे पहले सात समंदर पार जाने की मनाही थी यहाँ तक की अपनी सीमा भी पार नहीं करते थे।पूर्वज जानते थे भारत के मौसम, परम्परा, संस्कृति के साथ जीवनशैली हमने विकसित की है वह अन्य के सम्पर्क में आने पर दूषित और घातक होगी। आज हम उड़ाने बंद कर चुके हैं कहते हैं कि पुरानी हर चीज बुरी नहीं होती है और नयी हर चीज अच्छी नहीं लेकिन हमने अपने प्राचीन हर अच्छे संस्कार और विचार का न ही मजाक उड़ाया बल्कि तिरस्कार भी किया। इसका फायदा उठाने के लिए एक वर्ग तैयार भी बैठा था जिसने लोगों को जाति ,धर्म ,भाषा, क्षेत्र, आदि में बांटकर सत्ता की लूटखसोट की। आज वह भी डरे सहमें हैं। हम गंगा, यमुना, पर्वत, बृक्ष आदि की पूजा करते थे इन्हें पवित्र मानकर इनकी रक्षा करते थे लेकिन महज एक आर्थिक व्यवस्था के समर्थन में एक वर्ग ने इसे भी नष्ट कर दिया। योग और त्याग की भूमि को रोग और अय्याशी से ग्रसित कर दिया। हमारे बैध (जो सम्पूर्णता में इलाज करते थे) और हमारी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी, योग ध्यान सबको समाप्त कर महंगे अग्रेजी उपचार को लाद दिया गया। पांच तत्व से बने शरीर को महज एक तत्व के आधार पर इलाज लाभ तो देता है लेकिन बदले में अन्य कई बीमारियां भी देता है। अब भी समय है सम्भलने और सोचने का कोरोना जैसे वाइरस भविष्य मे भी प्रकट किये जायेंगे और इन्हीं के सहारे आर्थिक युद्ध लड़े जायेंगे। विनोद कटियार (अध्यक्ष, सहकारी समिति सन्दलपुर कानपुर देहात)