Monday, November 18, 2024
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स्कूल संचालकों की मनमानी से अभिभावकों में आक्रोश

रसूलाबाद, कानपुर देहात। अदृश्य कोरोना वायरस के चलते चारो तरफ लोग परेशान दिख रहे और लोगों के कामकाज और व्यापार पूरी तरीके से ठप हो गए। लोगों को दो वक्त की रोटी चलाना मुश्किल पड़ रहा। वहीं ऐसे में कई जगहों पर किराए के मकान में रहने वाले कुछ लोगों को उनके मालिकों ने राहत दी तो कई जगहों पर लोगों ने इस अवसर का लाभ भी उठाया। खासतौर से कुछ स्कूल संचालक ने अपनी मनमानी और हठधर्मिता बंद नहीं की और कोरोना कॉल के समय की मनमानी फीस वसूलने पर आमादा हैं। जिससे अभिभावक परेशान देखे गए।
जनपद के रसूलाबाद क्षेत्र में दो से तीन कालेजों के संचालकों ने कोरोना काल के चलते अप्रैल, मई और जून माह की फीस को माफ कर दिया गया। लेकिन कई स्कूलों के संचालक शिक्षकों के वेतन का हवाला देकर तो कोई ऑनलाइन पढ़ाई की बात कहकर अप्रैल, मई और जून की फीस वसूल रहे हैं। मानो स्कूल संचालकों की सारी संवेदनाएं मर चुकी है। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते अभी लगभग लॉकडाउन लगा है। वहीं लॉकडाउन के शुरुआती दौर में लोगों को खाने तक के लाले पड़ गए। वहीं ऐसे में स्कूल कॉलेज के संचालकों की मनमानी से अभिभावकों में आक्रोश भी देखा जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते हर वर्ग के लोगों को खासा नुकसान हुआ है। लोगों के व्यापार ठप हो गए। ऐसे में स्कूल कॉलेज संचालकों को थोड़ी राहत तो देनी चाहिए थी जिससे उनके बच्चों की शिक्षा दीक्षा अच्छे से चल सके। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। रसूलाबाद क्षेत्र में दो से तीन विद्यालयों ने तो 3 से 4 माह तक की विद्यालय की फीस तो माफ कर दी। लेकिन अभी भी अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं।
फीस वसूलने तक सीमित रहे ऑनलाइन क्लास
रसूलाबाद। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते स्कूल कॉलेजों ने फीस वसूलने के लिए ऑनलाइन शिक्षण प्रक्रिया को शुरू किया। लेकिन कुछ दिन चलने के बाद यह शिक्षण प्रक्रिया ऑनलाइन बंद हो गई। कुछ विद्यालय तो ऑनलाइन शिक्षण कार्य तो चलाते रहे। लेकिन बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण कार्य समझ में नही आया। कई अभिभावकों के पास संसाधनों का अभाव होने के चलते ऑनलाइन शिक्षा पूरी चौपट रही।
कई राजनैतिक संगठनों ने किया विरोध
रसूलाबाद। स्कूल संचालकों की मनमानी के विरोध में कई राजनीतिक दलों ने शासन को पत्र लिखें और यह मांग करते हुए कहा कि कोरोना काल में हर वर्ग हर समाज का व्यक्ति प्रभावित हुआ। जब व्यापार और काम धंधा नहीं चला तो वह अपने बच्चों की फीस कैसे भरेंगे तो संक्रमण काल के समय की फीस माफ करने की मांग की।