Monday, November 18, 2024
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विश्व अल्जाइमर्स दिवस: घर-परिवार की शोभा बुजुर्गों को भूलने की बीमारी से बचाएं

हमीरपुर, अंशुल साहू।  उम्र बढ़ने के साथ-साथ इंसान को तमाम बीमारियां घेरने लगती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (अल्जाइमर्स-डिमेंशिया) की है। इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद घर-परिवार की शोभा बढ़ाने वाले बुजुर्गों को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लाने का है। इसी के तहत 21 से 27 सितंबर तक चलने वाले राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए इस बीमारी की सही पहचान और उससे बचाव के उपायों के बारे में जागरूकता लाने की बड़ी कोशिश की जाएगी। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. महेशचंद्रा का कहना है कि बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नजरंदाज न करें बल्कि उनको ध्यान से सुनें। ऐसे कुछ उपाय करें कि उनका मन व्यस्त रहे, उनकी मनपसंद की चीजों का ख्याल रखें। निर्धारित समय पर उनके सोने-जागने, नाश्ता व भोजन की व्यवस्था का ध्यान रखें। अमूमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है या यूं कहें कि नौकरी-पेशा से सेवानिवृत्ति के बाद यह समस्या पैदा होती है। इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही इसके लक्षण नजर आएं तो जल्दी से जल्दी चिकित्सक से परामर्श करें ताकि समय रहते उनको उस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके। इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से एक है कि जीवन शैली में एकदम से बदलाव आना जैसे- शरीर में आलसपन का आना, लोगों से बात करने से कतराना, बीमारियों को नजरंदाज करना, भरपूर नींद का न आना, किसी पर भी शक करना आदि। जिला अस्पताल के मनरूकक्ष की साइको थैरिपिस्ट डॉ.नीता का कहना है कि हमीरपुर जैसे छोटे जनपद में भी प्रतिमाह पांच से लेकर दस केस ऐसे आ रहे हैं। उम्रदराज लोगों में यह समस्या ज्यादा है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने को स्वस्थ रखें। नकारात्मक विचारों को मन पर प्रभावी न होने दें और सकारात्मक विचारों से मन को प्रसन्न बनाएं। पसंद का संगीत सुनने, गाना गाने, खाना बनाने, बागवानी करने, खेलकूद आदि जिसमें सबसे अधिक रुचि हो, उसमें मन लगायें तो यह बीमारी नहीं घेर सकती। इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम और योगा को अपनाकर इससे बचा जा सकता है।