Wednesday, April 30, 2025
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लाल बहादुर ने 11 वर्ष की अवस्था में किए थे गांधी जी के दर्शन- डा0 भवानीदीन

हमीरपुर, अंशुल साहू।  किशनू बाबू शिवहरे महाविद्यालय, सिसोलर में विमर्श विविधा तत्तावधान में जिनका देश ऋणी है के तहत अहिंसक संग्राम के विश्व सूरमा महात्मा गांधी की जयंती और शास्त्री जी की जयंती पर आज श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कालेज के प्राचार्य डॉ0 भवानीदीन ने कहा कि गांधी जी सही मायने में अहिंसक संग्राम के ऐसे पहले विश्व पुरोधा थे, जिनका कोई सानी नहीं था, साथ ही शास्त्री जी कर्मठता के प्रतीक और जय जवान जय किसान के उद्गाता रहे। गांधी जी सविनय अवज्ञा आंदोलन के अग्रदूत रहे। गांधी जी को देश की अविरल सेवा के कारण तीन प्रमुख लोगों ने महात्मा कहकर संबोधित किया था। सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने महात्मा कहा। उसके बाद स्वामी श्रद्धानंद ने 1915 में गांधी जी को महात्मा कहकर पुकारा। तत्पश्चात 1919 रविंद्र नाथ टैगोर ने गांधी जी को महात्मा कर संबोधित किया, जिसे आज अधिक मान्यता मिली है। सुभाष चंद्र बोस ने 1944 में रन्गून रेडियो के संबोधन में गांधी जी को राष्ट्रपिता कहा था। गांधी जी की संपूर्ण लड़ाई का आधार अहिसक सिद्धांत थे, जिसे विश्व के अहिन्सक सन्ग्रामों में पहला माना जा सकता है। असहयोग, आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन गांधी के अहिंसक आंदोलन थे। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में करमचंद गांधी के घर हुआ था। इनकी मां का नाम पुतलीबाई था। गांधीजी की शिक्षा पोरबंदर, राजकोट श्यामल दास कॉलेज और लन्दन विश्वविद्यालय में हुई। 13 वर्ष की आयु में 1883 में गांधी जी का विवाह कस्तूरबाई मकन जी से हो गया था। गांधी जी ने लन्दन में तीन वर्ष तक पढ़ाई की। उसके बाद 1893 से 1914 तक दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकारों की लड़ाई लड़ी। चम्पारण और खेड़ा से किसानों के हित को लेकर संघर्ष प्रारंभ किया। उसके बाद आजादी के पहले तक गांधी का देश को आजाद कराने में अहम योगदान था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। लाल बहादुर का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के घर हुआ था। मां का नाम राम दुलारी था। प्यार में इन्हें नन्हे और बचवा कहा जाता जाता था। लाल बहादुर की प्रारंभिक शिक्षा मुगलसराय में हुई। ये डेढ साल के होगे तभी इनके पिता का निधन हो गया। इनका पालन पोषण नाना ने किया ,लालबहादुर ने बनारस के हरिश्चंद्र स्कूल से हाईस्कूल किया। 1926 में काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि हासिल की, जो उपनाम के रूप उनके जीवन से जुड़ गई। ये शास्त्री के नाम से प्रसिद्ध हो गए। लाल बहादुर ने 11 वर्ष की अवस्था में गांधी जी के दर्शन किए थे। ये भारत सेवक सन्घ से जुडकर देश सेवा का व्रत ले लिया। इनका गांधी आंदोलनो मे सक्रिय सहयोग रहा। गांधी जी को अपना गुरु मानते थे। यह प्रदेश के मंत्रिमंडल में प्रदेश के तथा देश के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे। 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री बने और 18 माह प्रधानमंत्री रहे। कर्मठता, देश सेवा और सादगी इनके रोम रोम में बसी हुई थी। 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में इनका निधन हो गया। इन दोनों विभूतियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। कार्यक्रम में डॉ श्याम नरायन, प्रदीप यादव, अखिलेश सोनी, आरती गुप्ता, नेहा यादव प्रशांत सक्सेना, सुरेश सोनी, गणेश शिवहरे, हिमांशु सिंह, आनंद रामचन्द्र साहू, राकेश यादव, राजकुमार गुप्ता आदि ने विचार रखे और संचालन डा0 रामपाल ने किया।