कानपुर दक्षिण, जन सामना संवाददाता। कानपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर आये दिन सवाल खड़े होते रहते हैं। लेकिन पुलिस इस हद तक गिर गयी है कि बिना जाँच किये ही एक साल पहले मर चुकी महिला को ही गवाह बनाने से पीछे नहीं हटी! वहीं सबसे बड़ी बात ये रही कि इंस्पेक्टर सहित गोविन्दनगर क्षेत्राधिकारी ने भी अनदेखी कर चार्जशीट को कोर्ट में पेश कर दिया। पीड़िता ने बताया कि सत्तरह मार्च को क्षेत्र में रहने वाले रशीद अहमद, शेखू कसान, साहिल आदि लोग अश्लील हरकत करने लगे तो महिला ने विरोध किया जिनके बाद सभी ने महिला से जबर्दस्ती करते हुए कपड़े फाड़ दिए महिला ने आरोप लगाते हुए बताया कि घर के अंदर घुस कर अपनी आबरू बचाई। वही महिला ने घटना की सूचना पुलिस को दी मौके पर पहुँची पुलिस ने पीड़िता को ही शाम तक थाने में बैठाए रखा जिसके बाद कुछ लोगों के पहुँचने पर महिला को देर शाम पुलिस ने थाने से छोड़ दिया गया। वही महिला ने उन्नीस मार्च को डीआईजी से मिलकर न्याय के लिए गुहार लगाई। डीआईजी के आदेश पर नौबस्ता पुलिस के द्वारा मुकदमा दर्ज कर लिया गया। और दूसरे ही दिन महिला द्वारा दी गयी तहरीर के आधार पर लगी 323, 504, 354 कि धारा में से 354 को हटा दिया गया। और कुछ दिन बाद ही नौबस्ता थाना क्षेत्र के आवास विकास चौकी इंचार्ज सुभाष चन्द्र ने करीब एक साल पहले खत्म हो चुकी मृतका को ही गवाह बना कर चार्जशीट लगा दी। वही पूर्व इंस्पेक्टर आशीष शुक्ला ने भी बिना देखे ही चार्जशीट पर हस्ताक्षर कर क्षेत्राधिकारी को चार्जशीट भेज दी। जिसके बाद क्षेत्राधिकारी ने भी अनदेखी कर चार्जशीट पर हस्ताक्षर करके चार्जशीट को कोर्ट में पेश कर दी। वही पीड़िता ने बताया कि जल्द ही आरोपियों पर कार्यवाही नही हुई तो पीड़िता आत्महत्या करके जान दे देगी।